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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

04-10-2024

‘Made in India’ लेबल के लिए योजना पर विचार कर रही है सरकार

  •  सरकार वैश्विक बाजारों में ब्रांड इंडिया को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘मेड इन इंडिया’ लेबल के लिए एक योजना तैयार करने के प्रस्ताव पर चर्चा कर रही है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है।  अधिकारी ने कहा कि एक उच्चस्तरीय समिति योजना के विवरण की जांच कर रही है। इसका उद्देश्य भारत के लिए एक मजबूत ब्रांड पहचान बनाना है, जिस तरह ‘मेड इन जापान’ या ‘मेड इन स्विट्जरलैंड’ विशिष्ट छवियों और गुणों के बारे में बताते हैं। अधिकारी ने कहा, ‘‘हम भारत के लिए भी यही चाहते हैं।’’ उदाहरण के लिए, जब हम स्विट्जरलैंड के बारे में सोचते हैं, तो हम अक्सर उनकी घडय़िों, चॉकलेट और बैंकिंग प्रणालियों के बारे में सोचते हैं।’’अधिकारी ने कहा, ‘‘हम इस बात पर चर्चा करते हैं कि ऐसा किस तरह कर सकते हैं। क्या हम इस योजना को कपड़ा जैसे विशिष्ट क्षेत्रों के लिए बनाते हैं, जहां हमारी ताकत है। इसलिए हम ऐसी चीजों पर विचार कर रहे हैं।’’ विशेषज्ञों के अनुसार, ब्रांड इंडिया को बढ़ावा देने के लिए गुणवत्ता महत्वपूर्ण है। सरकार के पास वर्तमान में भारत ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (आईबीईएफ) है, जो विदेशी बाजारों में ‘मेड इन इंडिया’ लेबल के बारे में अंतरराष्ट्रीय जागरूकता को बढ़ावा देने और बनाने तथा भारतीय उत्पादों और सेवाओं के बारे में ज्ञान के प्रसार को सुगम बनाने के लिए है। यह वाणिज्य विभाग द्वारा स्थापित एक ट्रस्ट है। शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने सुझाव दिया है कि भारत की ब्रांडिंग रणनीति को तीन स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए - उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को ब्रांड करना; सर्वोत्तम उत्पादों से कम कीमत पर उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार करना, केवल ब्रांडिंग पर ध्यान केंद्रित न करना; और उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार के लिए कार्रवाई करना।’’

    भारत अपनी ब्रांडिंग को स्वाभाविक रूप से बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठा सकता है। लगातार उत्पाद की गुणवत्ता और विश्वसनीयता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उदाहरण के लिए, भारतीय दवा उद्योग ने उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाओं के उत्पादन के माध्यम से वैश्विक भरोसा हासिल किया है। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘इस प्रतिष्ठा को बचाने के लिए भारत को घटिया उत्पादों के आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।’’उन्होंने कहा कि जब तक भारत किसी क्षेत्र में शीर्ष-स्तरीय उत्पादन मानकों को प्राप्त नहीं कर लेता, तब तक ब्रांडिंग को पीछे रखना चाहिए। श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए, वर्ष 1990 और वर्ष 2010 के बीच, चीन चुपचाप टीवी और रेफ्रिजरेटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स का सबसे बड़ा अनुबंध निर्माता बन गया, और उसने अपनी फर्मों को ब्रांडिंग पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करने पर जोर नहीं दिया। एक बार अपने उत्पाद की गुणवत्ता पर भरोसा होने के बाद, चीन ने अपने ब्रांड को आक्रामक तरीके से बढ़ावा दिया।’’उन्होंने यह भी कहा कि भारत ‘इंडिया क्वालिटी प्रोडक्ट’ नामक एक एकीकृत ब्रांड स्थापित कर सकता है जो उत्कृष्टता और विश्वसनीयता का संकेत देता है। उन्होंने कहा कि इस लेबल का उपयोग करने के लिए निर्माताओं और निर्यातकों को विशिष्ट उत्पाद और पैकेजिंग मानकों को पूरा करना होगा।

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‘Made in India’ लेबल के लिए योजना पर विचार कर रही है सरकार

 सरकार वैश्विक बाजारों में ब्रांड इंडिया को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘मेड इन इंडिया’ लेबल के लिए एक योजना तैयार करने के प्रस्ताव पर चर्चा कर रही है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है।  अधिकारी ने कहा कि एक उच्चस्तरीय समिति योजना के विवरण की जांच कर रही है। इसका उद्देश्य भारत के लिए एक मजबूत ब्रांड पहचान बनाना है, जिस तरह ‘मेड इन जापान’ या ‘मेड इन स्विट्जरलैंड’ विशिष्ट छवियों और गुणों के बारे में बताते हैं। अधिकारी ने कहा, ‘‘हम भारत के लिए भी यही चाहते हैं।’’ उदाहरण के लिए, जब हम स्विट्जरलैंड के बारे में सोचते हैं, तो हम अक्सर उनकी घडय़िों, चॉकलेट और बैंकिंग प्रणालियों के बारे में सोचते हैं।’’अधिकारी ने कहा, ‘‘हम इस बात पर चर्चा करते हैं कि ऐसा किस तरह कर सकते हैं। क्या हम इस योजना को कपड़ा जैसे विशिष्ट क्षेत्रों के लिए बनाते हैं, जहां हमारी ताकत है। इसलिए हम ऐसी चीजों पर विचार कर रहे हैं।’’ विशेषज्ञों के अनुसार, ब्रांड इंडिया को बढ़ावा देने के लिए गुणवत्ता महत्वपूर्ण है। सरकार के पास वर्तमान में भारत ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (आईबीईएफ) है, जो विदेशी बाजारों में ‘मेड इन इंडिया’ लेबल के बारे में अंतरराष्ट्रीय जागरूकता को बढ़ावा देने और बनाने तथा भारतीय उत्पादों और सेवाओं के बारे में ज्ञान के प्रसार को सुगम बनाने के लिए है। यह वाणिज्य विभाग द्वारा स्थापित एक ट्रस्ट है। शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने सुझाव दिया है कि भारत की ब्रांडिंग रणनीति को तीन स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए - उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को ब्रांड करना; सर्वोत्तम उत्पादों से कम कीमत पर उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार करना, केवल ब्रांडिंग पर ध्यान केंद्रित न करना; और उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार के लिए कार्रवाई करना।’’

भारत अपनी ब्रांडिंग को स्वाभाविक रूप से बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठा सकता है। लगातार उत्पाद की गुणवत्ता और विश्वसनीयता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उदाहरण के लिए, भारतीय दवा उद्योग ने उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाओं के उत्पादन के माध्यम से वैश्विक भरोसा हासिल किया है। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘इस प्रतिष्ठा को बचाने के लिए भारत को घटिया उत्पादों के आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।’’उन्होंने कहा कि जब तक भारत किसी क्षेत्र में शीर्ष-स्तरीय उत्पादन मानकों को प्राप्त नहीं कर लेता, तब तक ब्रांडिंग को पीछे रखना चाहिए। श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए, वर्ष 1990 और वर्ष 2010 के बीच, चीन चुपचाप टीवी और रेफ्रिजरेटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स का सबसे बड़ा अनुबंध निर्माता बन गया, और उसने अपनी फर्मों को ब्रांडिंग पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित करने पर जोर नहीं दिया। एक बार अपने उत्पाद की गुणवत्ता पर भरोसा होने के बाद, चीन ने अपने ब्रांड को आक्रामक तरीके से बढ़ावा दिया।’’उन्होंने यह भी कहा कि भारत ‘इंडिया क्वालिटी प्रोडक्ट’ नामक एक एकीकृत ब्रांड स्थापित कर सकता है जो उत्कृष्टता और विश्वसनीयता का संकेत देता है। उन्होंने कहा कि इस लेबल का उपयोग करने के लिए निर्माताओं और निर्यातकों को विशिष्ट उत्पाद और पैकेजिंग मानकों को पूरा करना होगा।


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