जिले में गुलाब के फूलों का व्यापार शेयर मार्केट की तर्ज पर चल रहा है। यहां बाजार में फूलों की आवक बढऩे के साथ भाव औंधे मुह गिर जाते है वहीं मांग बढऩे के साथ इनके मूल्यों में उछाल देखने के मिलती है। जिले में गुलाब के फूलों की खेती का विस्तार होने से इन दिनों गुलाब के फूलों का उत्पादन काफी बढ़ गया है। इन दिनों मंडी में रोजाना गुलाब के दस टन से अधिक फूल विक्रय के लिए आ रहे है। यहां सूचना केन्द्र चौराहे पर लगने वाली शहर की सबसे बड़ी गुलाब के फूलों की मंडी में खुले बाजार में गुलाब के भाव 30 रुपये प्रति किलो के आसपास आ गये। समान्यतया बाजार में गुलाब के भाव 70 से 100 रुपये प्रति किलो रहते है। भीलवाड़ा शहर के आस-पास के गंावों के किसानों अपने यहां कैश क्रोप पर ज्यादा फोकस करने लगे हैं। इससे गुलाब के फूलों की खेती में तेजी से विस्तार हुआ है। एक समय भीलवाड़ा शहर में गुलाब के फूलों की सप्लाई अजमेर और पुष्कर से होती थी, लेकिन अब गुलाब के फूलों का उत्पादन बढऩे से जिले के बाहर आपूर्ति करने की स्थिति में आ गया है। गुलाब की खेती किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण और लाभकारी उद्योग बनता जा रहा है, जो किसानों और व्यापारियों दोनों के लिए आय का एक स्थायी स्रोत बन गया है, लेकिन गुलाब के वैल्यूएडेड प्रॉडक्ट गुलाब जल, इत्र, गुलकंद और औषधीय उत्पादों को तैयार करने के लिए यहां कोई प्लांट नहीं होने से किसानों को इसका पूरा फायदा नहीं मिल पा रहा है। फलों की मांग त्योहारों और विशेष अवसरों, जैसे वैलेंटाइन वीक, में गुलाब की मांग और कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। मंडी में धर्मिक आयोजन नवरात्रा एवं वैलेंटाइन वीक के दौरान गुलाब की कीमतें सामान्य से 4 गुना तक बढ़ जाती हैं, जिससे किसानों और व्यापारियों को अच्छा मुनाफा होता है। गुलाब के फूलों के साथ गेंदें के फूलों का व्यापार कृषि क्षेत्र में एक उभरता हुआ और लाभकारी होने से भीलवाड़ा के आस पास मेजा बांध एवं कोठारी के नदी क्षेत्र के दर्जनों गांवों में इसके अतिरिक्त बनेड़ा के घाटी क्षेत्र में फूलों का उत्पादन सबसे अधिक होने से यहां के किसान इसे फूलों की घाटी के नाम से पूकारने लगें है। गुलाब और जिले में सीजन पर पैदा होने वाले गैंदे के फूलों का व्यापार भीलवाड़ा तेजी से उभर रहा है। यह धीरे धीरे लाभकारी उद्योग बनता जा रहा है। इससे किसानों की आय बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को रोजगार और उद्यमिता के नए अवसर विकसित हो रहे है। राज्य सरकार ने जिले में गुलाब के फूलों के उत्पादन को बढऩे के बाद भी अब तक ऐसा कोई तंत्र विकसित नहीं किया है जिससे गुलाब के अधिक उत्पादन की स्थिति में किसान को नुकसान नहीं हो। नाजूक फूलों को विक्रय के लिए आस पास की प्रमुख मंडियों तक तुरन्त फूलों को भेजने का कोई व्यवस्था नहीं होने से गिरते हुए भावों पर किसानों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।