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20-02-2025

बूंदी व निम्बाहेड़ा-चित्तौडग़ढ़ में बनेंगे स्टोन पार्क

  •  कोटा, बूंदी, भीलवाड़ा, चित्तौडग़ढ़ व बिजौलिया आदि क्षेत्र को देश-दुनिया में पहचान दिलाने वाले कोटा स्टोन, सैंड स्टोन व मार्बल इंडस्ट्री को ऑक्सीजन देने व इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए बूंदी व निम्बाहेड़ा-चित्तौडग़ढ़ में स्टोन पार्क की स्थापना की जाएगी। इस संबंध में राज्य सरकार ने राज्य बजट 2025-26 में बूंदी व निम्बाहेड़ा-चित्तौडग़ढ़ में स्टोन पार्क की स्थापना को लेकर घोषणा की गई है। स्टोन पार्क की स्थापना होने से स्टोन इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलने के साथ वैल्यू एडिशन हो सकेगा। साथ ही स्टोन की प्रोसेसिंग इकाइयां भी स्थापित हो सकेगी। हाड़ौती की लाइफ लाइन माना जाता है कोटा स्टोन व सैंड स्टोन  : कोटा स्टोन व सैंड स्टोन देश में ही नहीं, बल्कि ग्लोबल स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है। करीब 30 से अधिक देशों में कोटा स्टोन व सैंड स्टोन ब्रांड बन चुके है, जिसमें यूके, अमरीका व यूरोपीय कंट्री भी शामिल हैं। कोटा स्टोन व सैंड स्टोन का प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये से ज्यादा का एक्सपोर्ट होता है तथा सैंकड़ों की संख्या में कंटेनर विदेशों में जा रहे हैं। इसमें लंदन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कोरिया, दुबई, इजराइल, आयरलैंड चीन सहित अन्य देश शामिल हैं। कोटा स्टोन इंडस्ट्री से सैंकड़ों उद्यमी जुड़े हुए हैं और कोटा स्टोन इंडस्ट्री से 20000 से अधिक श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है। इसलिए कोटा स्टोन व सैंड स्टोन को हाड़ौती की लाइफ लाइन माना जाता है। बुरे दौर से गुजर रही है कोटा स्टोन इंडस्ट्री : प्रदेश का हाड़ौती संभाग कोटा स्टोन व सैंड स्टोन के खनन और प्रोसेसिंग के लिए विश्व प्रसिद्ध है। कोटा जिले का रामगंजमंडी, बीरियाखेड़ी, रूणजी, जुल्मी, लक्ष्मीपुरा, पीपाखेड़ी सुकेत, पाइली, चेचट, झालावाड़, झालरापाटन, कुदायला, बिजौलिया, बरड़, धनेश्वर आदि पूरा क्षेत्र खनिज संपदा से अटा पड़ा है। यहां पर प्रचुर मात्रा में निकलने वाला कोटा स्टोन व सैंड स्टोन देश-दुनिया में प्रसिद्ध है, लेकिन कोटा जिले के सबसे प्रमुख कारोबार के रूप में पहचान रखने वाले कोटा स्टोन की डिमांड दिनोंदिन कम हो रही है। कोविड के बाद से ही कोटा स्टोन इंडस्ट्री बुरे दौर से गुजर रही थी, लेकिन स्टोन पार्क की स्थापना से स्टोन इंडस्ट्री ने राहत की सांस महसूस की है। सैंड स्टोन की यह है खासियत : कारोबारियों के अनुसार कोटा, बंूदी व बिजौलिया से निकलने वाला सैंड स्टोन वहां की भौगोलिक स्थिति के अनुकूल होता है। सैंड स्टोन में नमी और पानी को सोखने की क्षमता अधिक होती है। यह स्टोन पानी के लगातार संपर्क में आने के बाद भी खुरदरा ही रहता है। इस कारण फिसलन नहीं होती है। ऐसे में यूके समेत यूरोपियन देशों में इसकी डिमांड अधिक बनी रहती है। इंडिया के कुल सैंड स्टोन एक्सपोर्ट में हाड़ौती की 60 फीसदी हिस्सेदारी : सैंड स्टोन एक्सपोर्टर्स से मिली जानकारी के मुताबिक इंडिया से अमरीका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, कनाड़ा, फ्रांस, बेल्जियम समेत विभिन्न देशों में सैंड स्टोन के सालाना करीब 25000 से 32000 कंटेनर्स का एक्सपोर्ट होता है, जिसमें से 60 फीसदी हिस्सेदारी अकेले कोटा, बूंदी व बिजोलिया क्षेत्र की रहती है। हालांकि पिछले कुछ समय से अमरीका व यूरोपीय देशों में व्याप्त आर्थिक मंदी के कारण सैंड स्टोन को मुश्किल दौर से गुजरना पडऩा रहा है। हालांकि स्टोन पार्क की घोषणा से डोमेस्टिक मार्केट के साथ इंटरनेशनल मार्केट में सैंड स्टोन के कारोबार को प्रोत्साहन मिलने की संभावना है।

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बूंदी व निम्बाहेड़ा-चित्तौडग़ढ़ में बनेंगे स्टोन पार्क

 कोटा, बूंदी, भीलवाड़ा, चित्तौडग़ढ़ व बिजौलिया आदि क्षेत्र को देश-दुनिया में पहचान दिलाने वाले कोटा स्टोन, सैंड स्टोन व मार्बल इंडस्ट्री को ऑक्सीजन देने व इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए बूंदी व निम्बाहेड़ा-चित्तौडग़ढ़ में स्टोन पार्क की स्थापना की जाएगी। इस संबंध में राज्य सरकार ने राज्य बजट 2025-26 में बूंदी व निम्बाहेड़ा-चित्तौडग़ढ़ में स्टोन पार्क की स्थापना को लेकर घोषणा की गई है। स्टोन पार्क की स्थापना होने से स्टोन इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलने के साथ वैल्यू एडिशन हो सकेगा। साथ ही स्टोन की प्रोसेसिंग इकाइयां भी स्थापित हो सकेगी। हाड़ौती की लाइफ लाइन माना जाता है कोटा स्टोन व सैंड स्टोन  : कोटा स्टोन व सैंड स्टोन देश में ही नहीं, बल्कि ग्लोबल स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है। करीब 30 से अधिक देशों में कोटा स्टोन व सैंड स्टोन ब्रांड बन चुके है, जिसमें यूके, अमरीका व यूरोपीय कंट्री भी शामिल हैं। कोटा स्टोन व सैंड स्टोन का प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये से ज्यादा का एक्सपोर्ट होता है तथा सैंकड़ों की संख्या में कंटेनर विदेशों में जा रहे हैं। इसमें लंदन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कोरिया, दुबई, इजराइल, आयरलैंड चीन सहित अन्य देश शामिल हैं। कोटा स्टोन इंडस्ट्री से सैंकड़ों उद्यमी जुड़े हुए हैं और कोटा स्टोन इंडस्ट्री से 20000 से अधिक श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है। इसलिए कोटा स्टोन व सैंड स्टोन को हाड़ौती की लाइफ लाइन माना जाता है। बुरे दौर से गुजर रही है कोटा स्टोन इंडस्ट्री : प्रदेश का हाड़ौती संभाग कोटा स्टोन व सैंड स्टोन के खनन और प्रोसेसिंग के लिए विश्व प्रसिद्ध है। कोटा जिले का रामगंजमंडी, बीरियाखेड़ी, रूणजी, जुल्मी, लक्ष्मीपुरा, पीपाखेड़ी सुकेत, पाइली, चेचट, झालावाड़, झालरापाटन, कुदायला, बिजौलिया, बरड़, धनेश्वर आदि पूरा क्षेत्र खनिज संपदा से अटा पड़ा है। यहां पर प्रचुर मात्रा में निकलने वाला कोटा स्टोन व सैंड स्टोन देश-दुनिया में प्रसिद्ध है, लेकिन कोटा जिले के सबसे प्रमुख कारोबार के रूप में पहचान रखने वाले कोटा स्टोन की डिमांड दिनोंदिन कम हो रही है। कोविड के बाद से ही कोटा स्टोन इंडस्ट्री बुरे दौर से गुजर रही थी, लेकिन स्टोन पार्क की स्थापना से स्टोन इंडस्ट्री ने राहत की सांस महसूस की है। सैंड स्टोन की यह है खासियत : कारोबारियों के अनुसार कोटा, बंूदी व बिजौलिया से निकलने वाला सैंड स्टोन वहां की भौगोलिक स्थिति के अनुकूल होता है। सैंड स्टोन में नमी और पानी को सोखने की क्षमता अधिक होती है। यह स्टोन पानी के लगातार संपर्क में आने के बाद भी खुरदरा ही रहता है। इस कारण फिसलन नहीं होती है। ऐसे में यूके समेत यूरोपियन देशों में इसकी डिमांड अधिक बनी रहती है। इंडिया के कुल सैंड स्टोन एक्सपोर्ट में हाड़ौती की 60 फीसदी हिस्सेदारी : सैंड स्टोन एक्सपोर्टर्स से मिली जानकारी के मुताबिक इंडिया से अमरीका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, कनाड़ा, फ्रांस, बेल्जियम समेत विभिन्न देशों में सैंड स्टोन के सालाना करीब 25000 से 32000 कंटेनर्स का एक्सपोर्ट होता है, जिसमें से 60 फीसदी हिस्सेदारी अकेले कोटा, बूंदी व बिजोलिया क्षेत्र की रहती है। हालांकि पिछले कुछ समय से अमरीका व यूरोपीय देशों में व्याप्त आर्थिक मंदी के कारण सैंड स्टोन को मुश्किल दौर से गुजरना पडऩा रहा है। हालांकि स्टोन पार्क की घोषणा से डोमेस्टिक मार्केट के साथ इंटरनेशनल मार्केट में सैंड स्टोन के कारोबार को प्रोत्साहन मिलने की संभावना है।


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