कोविड महामारी के बाद देश में घर बनाने के लिए जमीन की मांग बढ़ी है। इस मांग को पूरा करने के लिए पिछले साढ़े तीन साल में 2.44 लाख करोड़ रुपये के रेजीडेंशियल प्लॉट लांच किए गए हैं। प्रॉपइक्विटी की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। जमीन, मकान से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली कंपनी प्रॉपइक्विटी के अनुसार, जनवरी, 2022 से मई, 2025 के बीच बेंगलुरु और रायपुर समेत 10 महानगरों और मझोले (टियर-1 और टियर-2) शहरों में रियल एस्टेट कंपनियों ने लगभग 4.7 लाख रेजीडेंशियल प्लॉट पेश किए हैं। ये 10 शहर हैं... हैदराबाद, इंदौर, बेंगलुरु, चेन्नई, नागपुर, जयपुर, कोयंबटूर, मैसूर, रायपुर और सूरत। प्रॉपइक्विटी के सीईओ समीर जसूजा ने बयान में कहा, ‘‘2022 से 2025 (मई) के बीच 10 महानगरों और मझोले शहरों में लांच किए गए रेजीडेंशियल प्लॉट्स की अनुमानित वेल्यू लगभग 2.44 लाख करोड़ रुपये है।’’ उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में मकानों के लिए जमीन की मांग बढ़ी है। इसका कारण अपार्टमेंट की तुलना में जमीन की कीमत बढऩे की संभावना अधिक होना है। साथ ही प्लॉट्स को बेचना भी आसान होता है। जसूजा ने कहा कि कई संभावित ग्राहक जमीन में इंवेस्ट करना पसंद करते हैं क्योंकि वे अपने रहने की जगह को अपने हिसाब से बनाना चाहते हैं। आंकड़ों के अनुसार, इन 10 शहरों में रिहायशी प्लॉट की सप्लाई 2024 में सालाना आधार पर 23 प्रतिशत घटकर 1,26,556 प्लॉट रह गई, जो पिछले वर्ष 1,63,529 प्लॉट थी। प्रॉपइक्विटी ने कहा कि 2025 के पहले पांच महीनों के दौरान 45,591 रेजीडेंशियल प्लॉट लांच किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘कंपनियों के लिए, प्लॉट जल्दी कैश जनरेट करते हैं। इसका कारण इनमें अपार्टमेंट की तुलना में जल्दी बिक्री होना व शुरुआती निवेश कम होना है।’’ इस बारे में बेंगलुरु की रियल एस्टेट कंपनी संजीवनी ग्रुप के चेयरमैन और संस्थापक उमेशा गौड़ा एच.ए ने कहा, ‘‘घर के लिए जमीन की बढ़ती मांग, घर खरीदारों की प्रकृति से निकटता, प्राइवेसी और अपने हिसाब से मकान बनाने की बढ़ती प्राथमिकता को दर्शाती है।’’