बेस्ट सेलर तो मारुति ही है। सैकंड बेस्ट सैलर भी हाल तक ह्यूंदे ही थी। लेकिन टाटा और महिन्द्रा के एग्रेसिव होने से हालात बदल चुके हैं। दूसरे पायदान के लिए 3 रेसहॉर्स (ह्यूंदे, टाटा व महिन्द्रा) दौड़ रहे हैं लेकिन यह मुकाबला विस्कर (बाल बराबर) तक खिंच रहा है और अभी कोई भी नहीं जानता कि लॉन्ग टर्म लीड किसकी होग क्योंकि तीनों में एक-एक हजार यूनिट्स का ही अंतर है। लेकिन इतना तो तय है कि अपने प्रीमियम (ज्यादा टिकट साइज) पोर्टफोलियो के कारण परसेप्शन के लिहाज से विनर महिन्द्रा तय हो चुकी है। ह्यूंदे और टाटा मोटर्स के पोर्टफोलियो में कॉम्पेक्ट से लेकर मिसडाइज तक के मॉडल शामिल हैं। साथ में लगी टेबल के अनुसार वित्त वर्ष 25 में 5.39 लाख यूनिट्स की सेल्स के साथ ह्यूंदे क्लीयर नंबर टू थी। लेकिन जनवरी से अप्रेल25 के 4 महीनों की कुल सेल्स देखें तो ह्यूंदे 1.84 लाख यूनिट्स के साथ चौथे पायदान पर फिसल चुकी है। इस दौरान महिन्द्रा की सेल्स 1.86 लाख और टाटा की 1.85 लाख यूनिट्स की रही। एक रिपोर्ट के अनुसार यह ह्यूंदे के लिए बड़ा सैटबैक है और फस्र्ट हैंड फीडबैक लेने के लिए सोल (ह्यूंदे के मुख्यालय) से कंपनी की एक लीडरशिप टीम ने हाल ही भारत का दौरा किया था। एनेलिस्ट कहते हैं कि फिनैस और फीचर रिच वाली ह्यूंदे की यूएसपी अब किलर नहीं रही। पिछले दशक में देसी दिग्गजों टाटा मोटर्स और महिन्द्रा ने बिग लीप ली है। फिर यह स्वीटस्पॉट वाले प्राइस पॉइंट पर प्रॉडक्ट पेश कर ह्यूंदे के ग्रोथ के हैडरूम में सेंध लगा रहे हैं। हालांकि महिन्द्रा एंड महिन्द्रा के लिए एसयूवी ट्रेंड बड़ा विनिंग फैक्टर रहा है। वित्त वर्ष 25 में एसयूवी की कुल सेल्स 27.97 लाख यूनिट्स के लेवल तक पहुंच गई जबकि कॉम्पेक्ट कारों की 13.53 लाख यूनिट्स ही रह गई। टाटा मोटर्स के लिए पंच सबसे बड़ी विनर रही है और वित्त वर्ष 25 में पंच की 1.96 लाख यूनिट्स बिकीं जबकि वित्त वर्ष 24 में 2.02 लाख। महिन्द्रा को 10-25 लाख रुपये के प्राइसपॉइंट पर कई विङ्क्षनग मॉडलों का फायदा मिल रहा है। वहीं टाटा मोटर्स का पूरा दारोमदार नेक्सॉन और पंच पर टिका हुआ है। हालांकि कर्व है लेकिन यह एवरेज परफॉर्मर साबित हो रही है और बेस्ट सेलर के वॉल्यूम गेम में शामिल नहीं हो पा रही है। एनेलिस्ट कहते हैं कि एसयूवी ड्राइविंग फोर्स है और बना रहेगा। एसयूवी शेयर पीवी मार्केट में 70 परसेंट तक है। इसमें मामूली करेक्शन हो सकता है लेकिन ड्राइविंग सीट पर यही रहेगा। कॉम्पेक्ट कार का शेयर घटकर 20 परसेंट से भी कम हो गया है और रिकवरी की उम्मीद कम है। एनेलिस्ट कहते हैं कि महिन्द्रा के लिए डीजल डोमिनेशन बड़ा रिस्क है और कंपनी को मल्टी फ्यूल स्ट्रेटेजी पर आगे बढऩे की जरूरत है। कंपनी ने बॉर्न ईवी एसयूवी मॉडलों से इस दिशा में काम किया है लेकिन इन्हें वॉल्यूम जेनरेटर बनाने की जरूरत है।
