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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

30-05-2025

ट्रंप टैरिफ पर कोर्ट ने चलाया हथौड़ा

  •  प्रेसिडेंट बनने के चार महीने में ही डॉनाल्ड ट्रंप के टैरिफ प्लान को बड़ा सैटबैक लगा है। अमेरिका के कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने ट्रंप द्वारा लगाए गए अधिकांश एक्रॉस द बोर्ड (व्यापक) टैरिफ को अवैध घोषित कर दिया। तीन जजों के पैनल ने कहा कि ट्रंप ने इंटरनेशनल एमरजेंसी इकोनॉमिक पावर एक्ट के तहत अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल किया है। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा प्रेसिडेंट द्वारा टैरिफ के लिए इन पावर का इस्तेमाल अवैध है क्योंकि संघीय कानून इसकी अनुमति नहीं देता। ट्रंप ने दरअसल अमेरिका पर बढ़ते कर्ज और ट्रेड डेफिसिट को देखते हुए सभी देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दिया था। हालांकि कोर्ट ने कहा कि इंडस्ट्री विशेष जैसे ऑटोमोबाइल, स्टील और एल्यूमिनियम आदि पर लगाए गए टैरिफ इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगे। ट्रंप ने 2 अप्रैल 2025 में लिबरेशन डे टैरिफ की घोषणा की थी। जिसमें सभी इंपोर्ट पर बेसिक ड्यूटी बढ़ाकर 10 परसेंट कर दी गई थी। वहीं चीन, मेक्सिको और कनाडा पर बहुत हाई इंपोर्ट टैरिफ लगा दिया था। रेसिप्रोकल टैरिफ के जरिए ट्रंप का मकसद 1.2 ट्रिलियन डॉलर के ट्रेड डेफिसिट और नशीली दवा फेंटानिल की स्मगलिंग को कंट्रोल में करने का था। हालांकि कोर्ट ने कहा कि ट्रेड डेफिसिट 49 वर्ष से है और यह नेशनल एमरजेंसी की कैटेगरी में नहीं आता। कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन को 10 दिनों के भीतर नए आदेश जारी करने का निर्देश दिया गया। लेकिन वाइट हाउस ने तुरंत इस फैसले के खिलाफ अपील दायर कर दी है। यह मुकदमा व्यापारियों की एक छोटी एसोसिएशन और 12 डेमोक्रेटिक पार्टी के राज्यों द्वारा दायर किया गया था। ट्रंप प्रशासन इस फैसले को फेडरल सर्किट अपील कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक चैलेंज कर सकता है। गोल्डमैन सैक्स के एनेलिस्ट एलेक फिलिप्स ने कहा, ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन के टैरिफ प्लान्स के लिए बड़ा सैटबैक है लेकिन अन्य कानूनी रास्ते उपलब्ध हैं।  ट्रंप ने वादा किया था कि टैरिफ अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग जॉब्स लाने में मदद करेंगे और 1.2 ट्रिलियन डॉलर के ट्रेड डेफिसिट को कम करेगा।

    विकल्प क्या हैं?
    1974 का ट्रेड एक्ट, सेक्शन 122: ट्रंप प्रशासन 10 परसेंट बेसलाइन व्यापक टैरिफ को सेक्शन 122 के तहत 15 परसेंट तक के टैरिफ से तुरंत बदल सकता है। हालांकि 150 दिन बाद इसे कांग्रेस की मंजूरी लेनी होगी।
    1930 का ट्रेड एक्ट, सेक्शन 301: यह प्रमुख ट्रेड पार्टनर पर जांच शुरू कर टैरिफ के लिए आधार तैयार कर सकता है, लेकिन इसमें कई सप्ताह लग सकते हैं।
    1930 का ट्रेड एक्ट, सेक्शन 338: इसमें प्रेसिडेंट को उन देशों से इंपोर्ट पर 50 परसेंट टैरिफ लगाने की पावर है जो अमेरिका के खिलाफ भेदभाव करते हैं, हालांकि इसका पहले उपयोग नहीं हुआ है। सेक्शन 232 टैरिफ का विस्तार: स्टील, एल्यूमिनियम, और ऑटो पर पहले से मौजूद टैरिफ को अन्य क्षेत्रों तक बढ़ाया जा सकता है।
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ट्रंप टैरिफ पर कोर्ट ने चलाया हथौड़ा

 प्रेसिडेंट बनने के चार महीने में ही डॉनाल्ड ट्रंप के टैरिफ प्लान को बड़ा सैटबैक लगा है। अमेरिका के कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने ट्रंप द्वारा लगाए गए अधिकांश एक्रॉस द बोर्ड (व्यापक) टैरिफ को अवैध घोषित कर दिया। तीन जजों के पैनल ने कहा कि ट्रंप ने इंटरनेशनल एमरजेंसी इकोनॉमिक पावर एक्ट के तहत अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल किया है। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा प्रेसिडेंट द्वारा टैरिफ के लिए इन पावर का इस्तेमाल अवैध है क्योंकि संघीय कानून इसकी अनुमति नहीं देता। ट्रंप ने दरअसल अमेरिका पर बढ़ते कर्ज और ट्रेड डेफिसिट को देखते हुए सभी देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दिया था। हालांकि कोर्ट ने कहा कि इंडस्ट्री विशेष जैसे ऑटोमोबाइल, स्टील और एल्यूमिनियम आदि पर लगाए गए टैरिफ इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगे। ट्रंप ने 2 अप्रैल 2025 में लिबरेशन डे टैरिफ की घोषणा की थी। जिसमें सभी इंपोर्ट पर बेसिक ड्यूटी बढ़ाकर 10 परसेंट कर दी गई थी। वहीं चीन, मेक्सिको और कनाडा पर बहुत हाई इंपोर्ट टैरिफ लगा दिया था। रेसिप्रोकल टैरिफ के जरिए ट्रंप का मकसद 1.2 ट्रिलियन डॉलर के ट्रेड डेफिसिट और नशीली दवा फेंटानिल की स्मगलिंग को कंट्रोल में करने का था। हालांकि कोर्ट ने कहा कि ट्रेड डेफिसिट 49 वर्ष से है और यह नेशनल एमरजेंसी की कैटेगरी में नहीं आता। कोर्ट ने ट्रंप प्रशासन को 10 दिनों के भीतर नए आदेश जारी करने का निर्देश दिया गया। लेकिन वाइट हाउस ने तुरंत इस फैसले के खिलाफ अपील दायर कर दी है। यह मुकदमा व्यापारियों की एक छोटी एसोसिएशन और 12 डेमोक्रेटिक पार्टी के राज्यों द्वारा दायर किया गया था। ट्रंप प्रशासन इस फैसले को फेडरल सर्किट अपील कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक चैलेंज कर सकता है। गोल्डमैन सैक्स के एनेलिस्ट एलेक फिलिप्स ने कहा, ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन के टैरिफ प्लान्स के लिए बड़ा सैटबैक है लेकिन अन्य कानूनी रास्ते उपलब्ध हैं।  ट्रंप ने वादा किया था कि टैरिफ अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग जॉब्स लाने में मदद करेंगे और 1.2 ट्रिलियन डॉलर के ट्रेड डेफिसिट को कम करेगा।

विकल्प क्या हैं?
1974 का ट्रेड एक्ट, सेक्शन 122: ट्रंप प्रशासन 10 परसेंट बेसलाइन व्यापक टैरिफ को सेक्शन 122 के तहत 15 परसेंट तक के टैरिफ से तुरंत बदल सकता है। हालांकि 150 दिन बाद इसे कांग्रेस की मंजूरी लेनी होगी।
1930 का ट्रेड एक्ट, सेक्शन 301: यह प्रमुख ट्रेड पार्टनर पर जांच शुरू कर टैरिफ के लिए आधार तैयार कर सकता है, लेकिन इसमें कई सप्ताह लग सकते हैं।
1930 का ट्रेड एक्ट, सेक्शन 338: इसमें प्रेसिडेंट को उन देशों से इंपोर्ट पर 50 परसेंट टैरिफ लगाने की पावर है जो अमेरिका के खिलाफ भेदभाव करते हैं, हालांकि इसका पहले उपयोग नहीं हुआ है। सेक्शन 232 टैरिफ का विस्तार: स्टील, एल्यूमिनियम, और ऑटो पर पहले से मौजूद टैरिफ को अन्य क्षेत्रों तक बढ़ाया जा सकता है।

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