नई दिल्ली। देशी चने का उत्पादन अधिक होने के साथ-साथ आस्ट्रेलिया से लगातार देशी चना उतरने से पूरी तरह मंदे का दलदल बन गया है। इसके अलावा जीएसटी का भी कारोबारिायों में भय व्याप्त है। अत: मांग के अभाव में बाजार नीचे आ गये हैं, अब वर्तमान भाव में कोई जोखिम नहीं लग रहा है क्योंकि संभवत: दालों पर जीएसटी नहीं लगेगा। एमपी, राजस्थान, कर्नाटक आदि सभी राज्यों को मिलाकर देशी चने का उत्पादन 100-110 लाख टन के करीब होने का अनुमान आ रहा है। इसके अलावा 25 लाख टन के करीब देशी चने का आयात भी गत सितम्बर से अब तक हो चुका है तथा अभी नये सौदे भी मई से लेकर जुलाई तक अलग-अलग महीने के शिपमेंट के हुए हैं। यही कारण है कि पिछले अक्टूबर-नवम्बर में 12600 रुपए प्रति क्विंटल बिकने वाला काला चना इस समय 5600 रुपए प्रति क्विंटल आस्ट्रेलिया वाला रह गया है। राजस्थानी चना भी नीचे में 5300 रुपए बिकने के बाद अब 5400/5425 रुपए बोलने लगे हैं। आस्ट्रेलिया का चना हाजिर शिपमेंट का यहां 5800 से ऊपर पड़ रहा है। इसे देखते हुए राजस्थानी चना वर्तमान भाव पर खरीद करने में कोई रिस्क नहीं लग रहा है। हालांकि उत्पादन में भारी इजाफा होने से उपलब्धि भी बराबर उत्पादक व खपत वाली मंडियों में बनी हुई है। हां एक बात जरूर है कि गत वर्ष की तेजी को देखकर इस बार किसान व कच्ची मंडियों के कारोबारी माल रोक लिये हैं, जिससे दिल्ली जैसी बड़ी वितरक मंडियों में आवक का अंदाजा नहीं लग पाया। बीकानेर मंडी में सीजन में आवक कम रही, जिससे कारोबारी अंधकार में रहे। अब भाव निचले स्तर पर आ चुकेे हैं। अत: व्यापार में ज्यादा रिस्क नहीं है, लेकिन गत वर्ष की तरह लम्बी तेजी में भी नहीं बैठना चाहिए। - एनएनएस