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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

12-12-2025

सब्जियों की दुकान लगाने वाले भी लाने लगे IPO

  •  इंडिया के आईपीओ मार्केट में जारी गहमागहमी के बीच व्हीकल रिटेलर, म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर, ट्रेडिंग कंपनियों के बाद अब सब्जियों की दुकान लगाने वाले भी IPO लाने लगे हैं। बीएसई के SME प्लेटफॉर्म पर 12-16 दिसम्बर 2025 के बीच SME IPO ला रही स्टेनबिक एग्रो लि. का प्रमुख काम असल में अहमदाबाद में रेजीडेंशियल सोसायटीज़ में सब्जियों की दुकानों के जरिए फल व सब्जी बेचने का है। SME IPO के तहत कंपनी 30 रुपए की प्राइस पर शेयर इश्यू कर कुल 12.28 करोड़ रुपए जुटाना चाहती है जिसमें से 3.58 करोड़ रुपए का यूज 20 नई दुकानें ओपन करने पर व 6.39 करोड़ रुपए का यूज वर्किंग कैपिटल के लिए किया जाएगा। कंपनी के फाइनेंशियल परफॉर्मेंस का एनालिसिस करें तो 2022-23 में 20 करोड़ रुपए की रेवेन्यू के मुकाबले 2023-24 में यह 26.5 करोड़ रुपए एवं 2024-25 में यह 100' बढक़र 52.5 करोड़ रुपए हो गई। 2022-23 में 1.02 करोड़ रुपए के नेट प्रोफिट के मुकाबले 2024-25 में यह 3.74 करोड़ रुपए हो गया। 2024-25 की कंपनी की कुल रेवेन्यू में फल व सब्जियों की ट्रेडिंग (खरीद-बेच) का शेयर 95% रहा। सब्जियों की खरीद-बेच यूं तो Cash का काम है पर इसके बावजूद कंपनी की बुक्स में 30 सितम्बर 2025 को 10.09 करोड़ रुपए के Debtors थे जो समझ से परे हैं। यही नहीं, कंपनी के ऑपरेटिंग कैश फ्लो भी 2024-25 में नेगेटिव रहे। सब्जियों की रिटेलिंग में होने के बावजूद कंपनी की अप्रेल-सितम्बर 2025 की रेवेन्यू में 71% कंट्रीब्यूशन टॉप-5 कस्टमर्स का रहा, यह भी इंवेस्टरों के लिए चिंतन करने योग्य पहलू है। दिलचस्प रूप से कंपनी ने प्रोस्पेक्ट्स में डिस्क्लोज किया है कि 30 नवम्बर 2025 को उसके पास फल व सब्जियों के 16 करोड़ रुपए के कंफर्म ऑर्डर्स भी हैं। आईपीओ के मैनेजमेंट के लिए कंपनी ने अहमदाबाद बेस्ड Grow House Wealth Management Pvt. Ltd. को मर्चेंट बैंकर अपाइंट किया है व इस मर्चेंट बैंकर को आईपीओ फंड्स में से कंपनी लीड मैनेजर फीस के तौर पर 37.27 लाख रुपए का पेमेंट करेगी। आईपीओ के तहत कंपनी 40 करोड़ रु. का मार्केट कैप चाह रही है। सब्जियों की दुकानें ऑपरेट कर रहे बिजनस के लिए यह वेल्यूएशन बेहद शानदार हो सकता है पर इस कंपनी में आईपीओ के तहत इंवेस्ट करने वाले इंवेस्टरों के लिए यह वेल्यूएशन व कंपनी इंवेस्टमेंट के लायक है या नहीं, इसका फैसला स्वयं इंवेस्टरों को ही करना है।

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सब्जियों की दुकान लगाने वाले भी लाने लगे IPO

 इंडिया के आईपीओ मार्केट में जारी गहमागहमी के बीच व्हीकल रिटेलर, म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर, ट्रेडिंग कंपनियों के बाद अब सब्जियों की दुकान लगाने वाले भी IPO लाने लगे हैं। बीएसई के SME प्लेटफॉर्म पर 12-16 दिसम्बर 2025 के बीच SME IPO ला रही स्टेनबिक एग्रो लि. का प्रमुख काम असल में अहमदाबाद में रेजीडेंशियल सोसायटीज़ में सब्जियों की दुकानों के जरिए फल व सब्जी बेचने का है। SME IPO के तहत कंपनी 30 रुपए की प्राइस पर शेयर इश्यू कर कुल 12.28 करोड़ रुपए जुटाना चाहती है जिसमें से 3.58 करोड़ रुपए का यूज 20 नई दुकानें ओपन करने पर व 6.39 करोड़ रुपए का यूज वर्किंग कैपिटल के लिए किया जाएगा। कंपनी के फाइनेंशियल परफॉर्मेंस का एनालिसिस करें तो 2022-23 में 20 करोड़ रुपए की रेवेन्यू के मुकाबले 2023-24 में यह 26.5 करोड़ रुपए एवं 2024-25 में यह 100' बढक़र 52.5 करोड़ रुपए हो गई। 2022-23 में 1.02 करोड़ रुपए के नेट प्रोफिट के मुकाबले 2024-25 में यह 3.74 करोड़ रुपए हो गया। 2024-25 की कंपनी की कुल रेवेन्यू में फल व सब्जियों की ट्रेडिंग (खरीद-बेच) का शेयर 95% रहा। सब्जियों की खरीद-बेच यूं तो Cash का काम है पर इसके बावजूद कंपनी की बुक्स में 30 सितम्बर 2025 को 10.09 करोड़ रुपए के Debtors थे जो समझ से परे हैं। यही नहीं, कंपनी के ऑपरेटिंग कैश फ्लो भी 2024-25 में नेगेटिव रहे। सब्जियों की रिटेलिंग में होने के बावजूद कंपनी की अप्रेल-सितम्बर 2025 की रेवेन्यू में 71% कंट्रीब्यूशन टॉप-5 कस्टमर्स का रहा, यह भी इंवेस्टरों के लिए चिंतन करने योग्य पहलू है। दिलचस्प रूप से कंपनी ने प्रोस्पेक्ट्स में डिस्क्लोज किया है कि 30 नवम्बर 2025 को उसके पास फल व सब्जियों के 16 करोड़ रुपए के कंफर्म ऑर्डर्स भी हैं। आईपीओ के मैनेजमेंट के लिए कंपनी ने अहमदाबाद बेस्ड Grow House Wealth Management Pvt. Ltd. को मर्चेंट बैंकर अपाइंट किया है व इस मर्चेंट बैंकर को आईपीओ फंड्स में से कंपनी लीड मैनेजर फीस के तौर पर 37.27 लाख रुपए का पेमेंट करेगी। आईपीओ के तहत कंपनी 40 करोड़ रु. का मार्केट कैप चाह रही है। सब्जियों की दुकानें ऑपरेट कर रहे बिजनस के लिए यह वेल्यूएशन बेहद शानदार हो सकता है पर इस कंपनी में आईपीओ के तहत इंवेस्ट करने वाले इंवेस्टरों के लिए यह वेल्यूएशन व कंपनी इंवेस्टमेंट के लायक है या नहीं, इसका फैसला स्वयं इंवेस्टरों को ही करना है।


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