2025 का साल और गोल्ड ने कर दिया धमाल। इस साल की शुरुआत में गोल्ड करीब 82 हजार रुपये/10 ग्राम के लेवल पर था जो 6 दिसंबर को 1.30 लाख रुपये के लेवल पर थी। यानी एक ही साल में गोल्ड में 50 परसेंट से ज्यादा की तेजी आई। लेकिन गोल्ड की इस मैराथन दौड़ के बाद यदि आप इस उम्मीद में हैं कि अब बस करेक्शन आएगा और आप खरीदेंगे तो शायद आप गलत हैं। क्योंकि वल्र्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) के अनुसार कैलेंडर ईयर 2026 में गोल्ड की प्राइस में आज के मुकाबले 15 परसेंट से 30 परसेंट तक बढ़ सकती हैं। वर्ष 2025 में अब तक सोना 53 परसेंट बढ़ चुका है। काउंसिल के अनुसार अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ लगाकर पूरे ग्लोबल ऑर्डर में खलल डाल दिया है और लाख कोशिशों के बावजूद ना तो रूस-यूक्रेन वॉर थमा है और न ही इजरायल-गाजा वॉर। ऐेसे में इंवेस्टर गोल्ड को सेफ इंवेस्टमेंट मानकर दांव बढ़ा रहे हैं। साथ ही दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों ने ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम में बढ़ते रिस्क को मैनेज करने के लिए दिल खोलकर गोल्ड खरीदा है। साथ ही दुनियाभर के देशों में ब्याज दरों में कमी आ रही है ऐसे में इंवेस्टर ज्यादा रिटर्न की तलाश में गोल्ड में पैसा लगा रहे हैं। डब्ल्यूजीसी की रिपोर्ट में कहा गया है, घटते रिटर्न, जियोपॉलिटिकल तनाव और फ्लाइट-टू-सेफ्टी के मिले-जुले असर से गोल्ड के लिए मजबूत सपोर्ट तैयार हो रहा है। ऐसे हालातों में वर्ष 2026 में गोल्ड प्राइस में 15-30 परसेंट तक तेजी आ सकती है। गोल्ड इटीएफ के जरिए गोल्ड में इंवेस्टमेंट बढ़ रहा है जो गोल्ड प्राइस का सबसे बड़ा ड्राइवर बना हुआ है और यह ट्रेंड आगे भी जारी रहेगा। दूसरी ओर ज्यूलरी और टेक्नोलॉजी सेक्टर में गोल्ड की डिमांड कमजोर बनी हुई है लेकिन इन्वेस्टमेंट डिमांड ना केवल भरपाई कर रही है बल्कि गोल्ड को रैली के रास्ते पर बनाए हुए है। डब्ल्यूजीसी डेटा के अनुसार ग्लोबल गोल्ड ईटीएफ में कैलेंडर वर्ष 2025 के दौरान अब तक 77 बिलियन डॉलर का इंवेस्टमेंट हुआ है जिससे उनकी होल्डिंग में 700 टन से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट में कहा गया मई 2024 (जब से रैली शुरू हुई है) से देखें, तो कुल गोल्ड ईटीएफ होल्डिंग्स करीब 850 टन बढ़ी हैं। जो पिछले गोल्ड बुल साइकल्स की तुलना में आधे से भी कम है, यानी आगे भी ग्रोथ की गुंजाइश बनी हुई है। लेकिन डब्ल्यूजीसी ने कहा है कि यदि ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी कामयाब होती है और अमेरिका ग्रोथ के रास्ते पर लौटता है तो गोल्ड में वर्ष 2026 में 5 परसेंट से 20 परसेंट तक की गिरावट भी आ सकती है। यदि ऐसा होता है तो गोल्ड में इंवेस्टमेंट घटेगा और इकोनॉमी में बढ़ेगा। यदि कंज्यूमर डिमांड बढऩे से इंफ्लेशन बढ़ता है तो फेडरल रिजर्व को 2026 में ब्याज दरों में कटौती की मुहिम को बंद करने या फिर ब्याज दर बढ़ानी पड़ सकती है। दोनों ही हालातों में यूएस डॉलर मज़बूत होगा। डब्ल्यूजीसी के अनुसार, महंगा ब्याज और मजबूत डॉलर डॉलर से गोल्ड प्राइस पर प्रेशर बढ़ सकता है। जिसका असर गोल्ड ईटीएफ पर भी पड़ेगा।
