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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

22-05-2025

इंडियन बैंक बने ग्लोबल सक्सैस स्टोरी

  •  बीजेपी वालों का एक प्यारा नारा है...हारवर्ड नहीं फॉरवर्ड...। कोशिश यह जताने की है कि स्किल और एटीट्यूड केवल हारवर्ड जैसे आईवी लीग से पढ़े हुए लोगों में नहीं होते। दुनियाभर की लॉबी को चौंकाते हुए शक्तिकांत दास को जब भारत सरकार ने आरबीआई का गवर्नर बनाया था तब उनकी एजुकेशन की बड़ी आलोचना हुई थी। क्योंकि वे कोई हारवर्ड पढ़े नहीं थे और फाइनेंस में डिप्लोमा भर ही था। लेकिन इकोनॉमिक अफेयर्स और रेवेन्यू सेक्रेटरी के रूप में काम से सरकार का उन पर भरोसा था और वे टास्क में कामयाब रहे। टास्क था 4R: Recognition, Resolution, Recapitalisation, Reforms यानी पहचानो, समाधान करो, पूंजी बढ़ाओ और सुधार करो। जिस समय शक्तिकांत दास को आरबीआई का गवर्नर बनाया गया था उस समय उर्जित पटेल के इस्तीफे से लेप बहुत से विवाद देश के टॉप बैंकिंग रेगुलेटर से चिपके हुए थे, ग्रोथ स्लो पड़ रही थी और बैंक 10 लाख करोड़ के एनपीए पर बैठे थे। लेकिन अब भारत के बैंकिंग सैक्टर को ग्लोबल सक्सैस स्टोरी कहा जा रहा है। बैंक एनपीए 1-2 परसेंट ही रह गये हैं और सरकारी व प्राइवेट बैंक फुल स्टीम पर प्रॉफिट कमा रहे हैं। वित्त वर्ष 2018 में सरकारी बैंकों को घाटा 85390 करोड़ रुपये का था जो वित्त वर्ष 2025 में 1.78 लाख करोड़ के प्रॉफिट तक पहुंच गया। और प्रॉफिट में वित्त वर्ष 24 के मुकाबले 26 परसेंट की तेज ग्रोथ हुई। वित्त वर्ष 24 में भारत के सरकारी और प्राइवेट बैंकों का कुल प्रॉफिट इतिहास में पहली बार 3 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड लेवल के पार पहुंच गया था। पिछले दिनों राहुल गांधी ने सरकारी बैंकों के नेताओं से मुलाकात की थी। तब जो सबसे बड़ी शिकायत राहुल गांधी से की गई थी वो थी...अब काम और टार्गेट का दबाव बहुत रहता है। प्राइवेट बैंक की परफॉर्मेंस भी सुधर रही है। वित्त वर्ष 2025 में प्राइवेट सैक्टर के चार बड़े बैंक (आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, एक्सिस और यस बैंक) ने कुल 1.23 लाख करोड़ रुपये का प्रॉफिट दिखाया है। वहीं 12 सरकारी बैंकों ने प्रॉफिट रिपोर्ट किया है।  कोविड के बाद 2023 जब अमेरिका के कई बैंक फेल हो गए थे और 99 बैंक रेडलाइन तक पहुंच गए थे तब शक्तिकांत दास को ए+ ग्रेड के साथ दुनिया में अव्वल गवर्नर ऑफ द ईयर चुना गया था। वित्तीय वर्ष 25 लगातार सातवां साल रहा जब बैंकिंग सैक्टर के प्रॉफिट में ग्रोथ दर्ज की गई है और वह भी कोविड, पोस्ट-कोविड और तनाव के बीच। सरकार ने वित्त वर्ष 2017 से 21 के बीच बैंकों में 3.11 लाख करोड़ रुपये का पूंजीकरण किया था। टेबल  में 4 बड़े सरकारी और 4 प्राइवेट बैंकों की वित्त वर्ष 25 की परफॉर्मेन्स रिपोर्ट है। सबसे बड़े बैंक एसबीआई को वित्त वर्ष 24 में 61077 हजार करोड़ का प्रॉफिट हुआ था जो वित्त वर्ष 25 में 16 परसेंट बढक़र 70,901 करोड़ हो गया। एसबीआई रिसर्च के अनुसार सरकारी बैंक प्रॉफिट और रिटर्न रेश्यो में लीडर बने हुए हैं वहीं प्राइवेट बैंक तेजी से इस अंतर को पाट रहे हैं। 

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इंडियन बैंक बने ग्लोबल सक्सैस स्टोरी

 बीजेपी वालों का एक प्यारा नारा है...हारवर्ड नहीं फॉरवर्ड...। कोशिश यह जताने की है कि स्किल और एटीट्यूड केवल हारवर्ड जैसे आईवी लीग से पढ़े हुए लोगों में नहीं होते। दुनियाभर की लॉबी को चौंकाते हुए शक्तिकांत दास को जब भारत सरकार ने आरबीआई का गवर्नर बनाया था तब उनकी एजुकेशन की बड़ी आलोचना हुई थी। क्योंकि वे कोई हारवर्ड पढ़े नहीं थे और फाइनेंस में डिप्लोमा भर ही था। लेकिन इकोनॉमिक अफेयर्स और रेवेन्यू सेक्रेटरी के रूप में काम से सरकार का उन पर भरोसा था और वे टास्क में कामयाब रहे। टास्क था 4R: Recognition, Resolution, Recapitalisation, Reforms यानी पहचानो, समाधान करो, पूंजी बढ़ाओ और सुधार करो। जिस समय शक्तिकांत दास को आरबीआई का गवर्नर बनाया गया था उस समय उर्जित पटेल के इस्तीफे से लेप बहुत से विवाद देश के टॉप बैंकिंग रेगुलेटर से चिपके हुए थे, ग्रोथ स्लो पड़ रही थी और बैंक 10 लाख करोड़ के एनपीए पर बैठे थे। लेकिन अब भारत के बैंकिंग सैक्टर को ग्लोबल सक्सैस स्टोरी कहा जा रहा है। बैंक एनपीए 1-2 परसेंट ही रह गये हैं और सरकारी व प्राइवेट बैंक फुल स्टीम पर प्रॉफिट कमा रहे हैं। वित्त वर्ष 2018 में सरकारी बैंकों को घाटा 85390 करोड़ रुपये का था जो वित्त वर्ष 2025 में 1.78 लाख करोड़ के प्रॉफिट तक पहुंच गया। और प्रॉफिट में वित्त वर्ष 24 के मुकाबले 26 परसेंट की तेज ग्रोथ हुई। वित्त वर्ष 24 में भारत के सरकारी और प्राइवेट बैंकों का कुल प्रॉफिट इतिहास में पहली बार 3 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड लेवल के पार पहुंच गया था। पिछले दिनों राहुल गांधी ने सरकारी बैंकों के नेताओं से मुलाकात की थी। तब जो सबसे बड़ी शिकायत राहुल गांधी से की गई थी वो थी...अब काम और टार्गेट का दबाव बहुत रहता है। प्राइवेट बैंक की परफॉर्मेंस भी सुधर रही है। वित्त वर्ष 2025 में प्राइवेट सैक्टर के चार बड़े बैंक (आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, एक्सिस और यस बैंक) ने कुल 1.23 लाख करोड़ रुपये का प्रॉफिट दिखाया है। वहीं 12 सरकारी बैंकों ने प्रॉफिट रिपोर्ट किया है।  कोविड के बाद 2023 जब अमेरिका के कई बैंक फेल हो गए थे और 99 बैंक रेडलाइन तक पहुंच गए थे तब शक्तिकांत दास को ए+ ग्रेड के साथ दुनिया में अव्वल गवर्नर ऑफ द ईयर चुना गया था। वित्तीय वर्ष 25 लगातार सातवां साल रहा जब बैंकिंग सैक्टर के प्रॉफिट में ग्रोथ दर्ज की गई है और वह भी कोविड, पोस्ट-कोविड और तनाव के बीच। सरकार ने वित्त वर्ष 2017 से 21 के बीच बैंकों में 3.11 लाख करोड़ रुपये का पूंजीकरण किया था। टेबल  में 4 बड़े सरकारी और 4 प्राइवेट बैंकों की वित्त वर्ष 25 की परफॉर्मेन्स रिपोर्ट है। सबसे बड़े बैंक एसबीआई को वित्त वर्ष 24 में 61077 हजार करोड़ का प्रॉफिट हुआ था जो वित्त वर्ष 25 में 16 परसेंट बढक़र 70,901 करोड़ हो गया। एसबीआई रिसर्च के अनुसार सरकारी बैंक प्रॉफिट और रिटर्न रेश्यो में लीडर बने हुए हैं वहीं प्राइवेट बैंक तेजी से इस अंतर को पाट रहे हैं। 


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