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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

16-05-2025

डोनाल्ड ट्रंप बाउंसर से उखाड़ रहे इंडिया के स्टंप!

  •  ट्रंप के जीतने पर जिन हिंदुस्तानियों का दिल गार्डन-गार्डन था अब वे गुनगुना रहे हैं...दोस्त-दोस्त ना रहा, प्यार-प्यार ना रहा...जिंदगी हमें तेरा ऐतबार ना रहा। ट्रेड डील में भारत के हाथ भरे नजर आने के बाद अब कलई खुल रही है। ट्रंप ने पहले फार्मा मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक्जेक्टिव ऑर्डर जारी किया। फिर भारत-पाकिस्तान वॉर के बीच बयानबाजी की। हिंदुस्तानी अभी इस शॉक से बाहर आए भी नहीं थे कि ट्रंप ने एक के बाद दो बाउंसर मार दिए।

    पहला बाउंसर, रेमिटेंस पर 5 परसेंट टेक्स
    ट्रंप ने रेमिटेंस पर टेक्स लगाने का प्रपोजल दिया है। रेमिटेंस यानी विदेशों में बसे लोग अपने घर जो पैसा भेजते हैं। हाउस रिपब्लिकन के इस टेक्स प्रपोजल से अमेरिका में रहने वाले एनआरआई पर बड़ा बोझ पड़ सकता है। 12 मई, 2025 को पेश किए गए विधेयक में एक ऐसा प्रावधान है जिसे लेकर बड़ा विवाद है। इसमें गैर-नागरिकों से रेमिटेंस (इंटरनेशनल मनी ट्रंासफर) पर 5 परसेंट टेक्स वसूलने का प्रस्ताव है। इस बिल का मकसद दरअसल अपने पिछले कार्यकाल में लागू की गईं टेक्स रिबेट के लिए फंडिंग की व्यवस्था करना है। ट्रंप प्रशासन इनकम टेक्स में छूट की सीमा (स्टेंडर्ड डिडक्शन) को बढ़ाने के साथ ही नए माता-पिता को हर महीने 2500 डॉलर बेबी बोनस देना चाहता है। डॉनाल्ड ट्रंप पब्लिक फोरम पर रेमिटेंस पर टेक्स लगाने के कानून का सपोर्ट कर चुके हैं। माना जा रहा है कि रेमिटेंस टेक्स से हर साल अरबों डॉलर जुटाए जा सकते हैं लेकिन इसकी फायरिंग लाइन में भारतीय समुदाय ही होगा। साथ में लगी टेबल से पता चलता है कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा रेमिटेंस आय वाला देश है। पिछले वर्ष भारत  को 129 बिलियन डॉलर की रेमिटेंस आय हुई थी जिसमें अकेले अमेरिका से 33 बिलियन डॉलर मिले थे। यदि यह कानून पारित हो जाता है तो 5 परसेंट के हिसाब से भारत को 1.65 बिलियन डॉलर का घाटा होगा। वर्ष 2024 में अमेरिका से भारत को 33 बिलियन डॉलर के रेमिटेंस मिले थे। वर्ष 2017 में भारत के कुल रेमिटेंस में अमेरिका का शेयर जहां 22.9 परसेंट था जो वर्ष 23 में बढक़र 27.7 परसेंट हो गया।
    दूसरा बाउंसर, एपल को कहा इंडिया छोड़ो

    अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत को लेकर बड़ा दावा किया। ट्रंप ने कहा कि भारत ने अमेरिका को जीरो टैरिफ ट्रेड डील का ऑफर दिया है। अब ट्रंप ने एपल के सीईओ टिम कुक से कहा है कि वे भारत में आईफोन न बनाए। एपल का भारत को लेकर बड़ा प्लान है। वह अगले साल के अंत तक भारत में भारी संख्या में आईफोन का प्रोडेक्शन करना चाहती है। ट्रंप इस समय कतर दौरे पर है। एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप ने एपल के सीईओ टिम कुक से भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को लेकर बात की है। उन्होंने कहा मुझे टिम कुक से छोटी सी दिक्कत है। वे भारत में आईफोन बनाना चाहते हैं और मैं यह नहीं चाहता हूं। एपल अपने फोन यूएस में ही बनाए। ट्रंप का कहना है कि भारत में कुछ भी बेचना बहुत मुश्किल है। एपल चीन में बड़े पैमाने पर आईफोन बना रहा था, लेकिन अब वह चीन से दूरी बनाना चाहता है। सप्लाई चेन में खलल पड़ जाने के कारण एपल को सबसे बड़ा झटका कोविड-19 के दौरान लगा था। इसके बाद ट्रंप ने चीन पर भारी टैरिफ लगा दिया। चीन ने भी इसके जवाब में उस पर टैरिफ लगाया। एपल टैरिफ वॉर में फंस गया और वह चीन को छोडक़र भारत में अपने बेस का विस्तार करना चाहता है। लेकिन ट्रंप के इस कमेंट से एपल का इंडिया प्लान खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। अगर एपल अपनी असेंबली यूनिट भारत में शिफ्ट करता है तो 2026 से हर साल यहां 6 करोड़ से ज्यादा आईफोन का प्रोडक्शन होगा जो कि मौजूदा क्षमता से दोगुने से भी ज्यादा है।

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डोनाल्ड ट्रंप बाउंसर से उखाड़ रहे इंडिया के स्टंप!

 ट्रंप के जीतने पर जिन हिंदुस्तानियों का दिल गार्डन-गार्डन था अब वे गुनगुना रहे हैं...दोस्त-दोस्त ना रहा, प्यार-प्यार ना रहा...जिंदगी हमें तेरा ऐतबार ना रहा। ट्रेड डील में भारत के हाथ भरे नजर आने के बाद अब कलई खुल रही है। ट्रंप ने पहले फार्मा मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक्जेक्टिव ऑर्डर जारी किया। फिर भारत-पाकिस्तान वॉर के बीच बयानबाजी की। हिंदुस्तानी अभी इस शॉक से बाहर आए भी नहीं थे कि ट्रंप ने एक के बाद दो बाउंसर मार दिए।

पहला बाउंसर, रेमिटेंस पर 5 परसेंट टेक्स
ट्रंप ने रेमिटेंस पर टेक्स लगाने का प्रपोजल दिया है। रेमिटेंस यानी विदेशों में बसे लोग अपने घर जो पैसा भेजते हैं। हाउस रिपब्लिकन के इस टेक्स प्रपोजल से अमेरिका में रहने वाले एनआरआई पर बड़ा बोझ पड़ सकता है। 12 मई, 2025 को पेश किए गए विधेयक में एक ऐसा प्रावधान है जिसे लेकर बड़ा विवाद है। इसमें गैर-नागरिकों से रेमिटेंस (इंटरनेशनल मनी ट्रंासफर) पर 5 परसेंट टेक्स वसूलने का प्रस्ताव है। इस बिल का मकसद दरअसल अपने पिछले कार्यकाल में लागू की गईं टेक्स रिबेट के लिए फंडिंग की व्यवस्था करना है। ट्रंप प्रशासन इनकम टेक्स में छूट की सीमा (स्टेंडर्ड डिडक्शन) को बढ़ाने के साथ ही नए माता-पिता को हर महीने 2500 डॉलर बेबी बोनस देना चाहता है। डॉनाल्ड ट्रंप पब्लिक फोरम पर रेमिटेंस पर टेक्स लगाने के कानून का सपोर्ट कर चुके हैं। माना जा रहा है कि रेमिटेंस टेक्स से हर साल अरबों डॉलर जुटाए जा सकते हैं लेकिन इसकी फायरिंग लाइन में भारतीय समुदाय ही होगा। साथ में लगी टेबल से पता चलता है कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा रेमिटेंस आय वाला देश है। पिछले वर्ष भारत  को 129 बिलियन डॉलर की रेमिटेंस आय हुई थी जिसमें अकेले अमेरिका से 33 बिलियन डॉलर मिले थे। यदि यह कानून पारित हो जाता है तो 5 परसेंट के हिसाब से भारत को 1.65 बिलियन डॉलर का घाटा होगा। वर्ष 2024 में अमेरिका से भारत को 33 बिलियन डॉलर के रेमिटेंस मिले थे। वर्ष 2017 में भारत के कुल रेमिटेंस में अमेरिका का शेयर जहां 22.9 परसेंट था जो वर्ष 23 में बढक़र 27.7 परसेंट हो गया।
दूसरा बाउंसर, एपल को कहा इंडिया छोड़ो

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत को लेकर बड़ा दावा किया। ट्रंप ने कहा कि भारत ने अमेरिका को जीरो टैरिफ ट्रेड डील का ऑफर दिया है। अब ट्रंप ने एपल के सीईओ टिम कुक से कहा है कि वे भारत में आईफोन न बनाए। एपल का भारत को लेकर बड़ा प्लान है। वह अगले साल के अंत तक भारत में भारी संख्या में आईफोन का प्रोडेक्शन करना चाहती है। ट्रंप इस समय कतर दौरे पर है। एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप ने एपल के सीईओ टिम कुक से भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को लेकर बात की है। उन्होंने कहा मुझे टिम कुक से छोटी सी दिक्कत है। वे भारत में आईफोन बनाना चाहते हैं और मैं यह नहीं चाहता हूं। एपल अपने फोन यूएस में ही बनाए। ट्रंप का कहना है कि भारत में कुछ भी बेचना बहुत मुश्किल है। एपल चीन में बड़े पैमाने पर आईफोन बना रहा था, लेकिन अब वह चीन से दूरी बनाना चाहता है। सप्लाई चेन में खलल पड़ जाने के कारण एपल को सबसे बड़ा झटका कोविड-19 के दौरान लगा था। इसके बाद ट्रंप ने चीन पर भारी टैरिफ लगा दिया। चीन ने भी इसके जवाब में उस पर टैरिफ लगाया। एपल टैरिफ वॉर में फंस गया और वह चीन को छोडक़र भारत में अपने बेस का विस्तार करना चाहता है। लेकिन ट्रंप के इस कमेंट से एपल का इंडिया प्लान खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। अगर एपल अपनी असेंबली यूनिट भारत में शिफ्ट करता है तो 2026 से हर साल यहां 6 करोड़ से ज्यादा आईफोन का प्रोडक्शन होगा जो कि मौजूदा क्षमता से दोगुने से भी ज्यादा है।


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