वह समय अब नहीं रहा जबकि लोग रिटायरमेंट के नजदीक पहुंचने पर अपना आशियाना बनाने के बारे में सोचते थे। अब होम बायर्स तीस वर्ष की आयु में ही होम ओनर्स बन रहे हैं। विशेष रूप से एक करोड़ रुपये के आसपास की प्रॉपर्टी खरीदने वाले लोग एवरेज रूप से इसी आयुवर्ग के हैं। चालीस वर्ष के आसपास या इससे अधिक आयुवर्ग में आने वाले एक करोड़ या इससे अधिक के प्रीमियम होम ओनर्स बन रहे हैं। यह मेजर शिफ्ट कहा जा सकता है। इसका कारण तलाशें तो पता चलता है कि युवाओं की इनकम बढ़ रही है, वे बेहतर पैकेज प्राप्त कर रहे हैं, उपयोग हेतु आय बढ़ रही है, आसान दरों पर प्रॉपर्टी लोन उपलब्ध हो रहा है। देशभर में रियल एस्टेट विस्तार हो रहा है और हर बजट के लिए प्रॉपर्टी अवेलेबल हो रही है। मिलेनियल्स जल्दी ही होम ओनर्स बनना चाहते हैं। युवा जॉब के लिए दूसरे शहरों में जाते हैं और वहां प्रॉपर्टी खरीद लेते हैं। यह ट्रेंड नजर आ रहा है। वर्ष 2022-23 में देश की प्रति व्यक्ति आय करीब 1.72 लाख रुपये रही। यह डेटा एनएसओ (नेशनल स्टेटिस्टिकल ऑफिस) से लिया गया है। यह आय 2014-15 की तुलना में करीब सौ प्रतिशत अधिक है। उस समय प्रति व्यक्ति आय 86,647 रुपये थी। उद्योग के जानकारों केअनुसार पूर्व में 40-45 आयु के लोग प्रॉपर्टी बाइंग कर रहे थे लेकिन अब एवरेज ऐज 30 से 40 के बीच आ गई है। 2022 में फस्र्ट टाइम बायर की आयु 33-36 वर्ष के आसपास रही। एक डेटा यह भी है कि प्रति तीन घरों में एक इसी आयुवर्ग का बायर था। उनके अनुसार करीब 65 प्रतिशत इन्डियन इन्वेस्टर्स की वैल्थ प्रॉपर्टी खरीदने में जाती है। यह काफी स्टेबल और बेहतर निवेश विकल्प माना जाता है। कन्सल्टेंसी फर्म एनारॉक के एक सर्वे के अनुसार 57 प्रतिशत प्रतिभागियों ने रियल एस्टेट में निवेश करने की बात कही। इनमें से 48 प्रतिशत 25-35 वर्ष के आयु वर्ग में थे। प्री-कोविड 2019 की बात देखें तो यह संख्या केवल 20 प्रतिशत थी। इससे यह पता चल रहा है कि व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों को देखते हुए होम ओनर्स बनने की ओर अग्रसर हुए हैं। देश के एक प्रमुख प्रीमियर डवलपर के अनुसार तीस वर्ष के आसपास की आयु का व्यक्ति यदि फस्र्ट टाइम होम बायर है तो उसके लिए आसान रीपेमेंट ऑप्शन मध्य चालीस वर्ष के फस्र्ट टाइम होम बायर के मुकाबले ज्यादा हैं। इन्डियन हाउसिंग मार्केट में एक अहम बदलाव यह देखा गया है कि पहले मिलेनियल्स रेंट पर घर लेते थे लेकिन अब वे हाउसिंग सेल्स में अहम योगदान कर रहे हैं। गौरतलब है कि पहले परिवार की जिम्मेदारियों के चलते परिवार के मुखिया रिटायरमेंट के पैसे से मकान बनाते थे या रिटायरमेंट के आसपास मकान बनाने का सोचते थे। लेकिन अब युवा जल्दी और बेहतर कमा रहे हैं, उन पर संयुक्त परिवार जैसे जिम्मेदारियां कम हैं, इसलिये कम आयु में फस्र्ट टाइम होम बायर बन रहे हैं। बेहतर जॉब अवसरों के कारण युवा बड़े शहरों में माइगे्रट हो रहे हैं। पुणे, हैदराबाद, बैंगलोर इसके बेहतर उदाहरण हैं। डेटा के अनुसार बैंगलुरु में 25-35 वर्ष के 33 प्रतिशत प्रतिभागी होम सीकर्स में रहे। पुणे में यह संख्या 45 प्रतिशत और हैदराबाद में सबसे ज्यादा 55 प्रतिशत रही।