भारतीय स्टेनलेस स्टील विकास संघ (आईएसएसडीए) ने कहा कि देश में स्टेनलेस स्टील की डिमांड अगले दो से तीन वर्ष में वार्षिक आधार पर सात से आठ प्रतिशत दर से बढऩे की उम्मीद है। आईएसएसडीए के अध्यक्ष राजमणि कृष्णमूर्ति ने ग्लोबल स्टेनलेस-स्टील एक्सपो 2025 (जीएसएसई 2025) में कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में स्टेनलेस स्टील की कुल खपत 48 लाख टन तक पहुंच गई, जो सालाना आधार पर करीब आठ प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है। इस कार्यक्रम में भारत और विदेश से करीब 10,000 उद्योग जगत के दिग्गज, नीति निर्माता और विशेषज्ञ साथ ही सरकारी प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। कृष्णमूर्ति ने तीन दिवसीय सम्मेलन में प्रतिभागियों को बताया कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर विश्व की अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक रहने की संभावना है। अगले दो से तीन वर्ष में स्टेनलेस स्टील की मांग में सात से आठ प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि भारत में प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत लगभग 3.4 किलोग्राम है जबकि विश्व औसत छह किलोग्राम से अधिक है। सरकार ने अपने पूंजीगत व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि की है। वित्त वर्ष 2023-24 में पूंजीगत व्यय से जीडीपी अनुपात बढक़र 3.3 प्रतिशत हो गया। उन्होंने कहा कि भारत में निर्माण बाजार 2027 तक 1420 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 2027 तक 17.26 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है। कृष्णमूर्ति ने कहा कि हरित हाइड्रोजन भी एक नया क्षेत्र है जहां स्टेनलेस स्टील का उपयोग होगा। भारत की स्थिति पर उन्होंने कहा कि देश दुनिया में स्टेनलेस स्टील का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है और इसका ‘मेल्ट’ उत्पादन चीन और इंडोनेशिया के बाद दुनिया में तीसरा सबसे ज्यादा है।