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27-10-2025

मिलेनियल्स और जेर्न Z हर्बल व आयुर्वेदिक ओटीसी मार्केट को बूस्ट दे रहे

  •  भारत के हर्बल और आयुर्वेदिक ओटीसी (ओवर द काउंटर) मार्केट में 6.5 प्रतिशत की सीएजीआर से वृद्धि होने की उम्मीद है, जो 2025 में 69 मिलियन डॉलर से बढक़र वर्ष 2033 के अंत तक 118 मिलियन डॉलर हो जाएगा। इस वृद्धि के साथ मार्केट ग्लोबल रुझानों से आगे निकल जाएगा। यह जानकार एक रिपोर्ट में दी गई। रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, चैलेंजेज बने हुए हैं क्योंकि वर्ष 2024 में 40 प्रतिशत नए लॉन्च को विनियामक बाधाओं का सामना करना पड़ा, केवल 20 प्रतिशत उत्पादों को क्लिनिकल मान्यता मिली है और गुणवत्ता संबंधी चिंताएं 30 प्रतिशत तक की पेशकशों को प्रभावित करती हैं, जिससे क्लिनिकल इलनेस के लिए उनकी विश्वसनीयता और अडॉप्शन को सीमित किया जाता है। हर्बल और आयुर्वेदिक ओटीसी इंडस्ट्री के बारे में बताया जाता है कि यह शानदार तेजी से बढ़ रही है। नवीनतम शोध के अनुसार, इंडस्ट्री ने 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय घरों में मजबूती से प्रवेश किया है। यह जानकारी 1लैटिस की हेल्थकेयर इंटेलिजेंस रिसर्च विंग मेडआईक्यू द्वारा किए गये उद्योग विश्लेषण से सामने आई है, जो उपभोक्ता व्यवहार में एक मौलिक बदलाव को उजागर करता है। यह दिखाता है कि सभी आयु वर्गों में नेचुरल और केमिकल-फ्री वेलनेस प्रोडक्ट के लिए प्राथमिकता में एक मजबूत बदलाव आया है। लोग नेचुरल प्रोडक्ट्स की ओर आकर्षित हो रहे हैं। स्टडी से पता चलता है कि इस तेजी से विकास के पीछे महत्वपूर्ण कारक लोकप्रिय श्रेणियों जैसे च्यवनप्राश, अश्वगंधा सप्लीमेंट्स, आयुर्वेदिक पर्सनल केयर, फंक्शनल फूड और यूथ-टारगेटेड प्रोडक्ट्स जैसे इफर्वेसेंट टैबलेट की व्यापक खपत है। स्टडी से यह भी पता चलता है कि नए अडॉप्टर्स में से 40 प्रतिशत से अधिक मिलेनियल्स और जेन जी हैं, जो ट्रेडिशनल वेलनेस के लिए एक पीढ़ीगत बदलाव का संकेत देते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल अडॉप्शन से बाजार का विस्तार तेजी से हो रहा है, शहरी ओटीसी बिक्री का 10 प्रतिशत से अधिक अब ऑनलाइन है और 35 प्रतिशत नए उत्पाद टेक-ड्रिवन पर्सनलाइजेशन प्रदान करते हैं। इस बीच, लगभग 60 प्रतिशत शहरी उपभोक्ता सक्रिय रूप से क्लीन-लेबल और जैविक-प्रमाणित उत्पादों की तलाश कर रहे हैं, जो भारतीय उपभोक्ताओं के बीच बढ़ती जागरूकता का संकेत देता है। इस क्षेत्र में इनोवेशन की एक मजबूत लहर भी देखी जा रही है, जिसमें 2023 में आरएंडडी इन्वेस्टमेंट 45 प्रतिशत तक बढ़ गया है। ग्लोबल लेवल पर, हर्बल और आयुर्वेदिक ओटीसी मार्केट चालू वर्ष 2025 में 145 बिलियन डॉलर से बढक़र 2033 तक 230 बिलियन डॉलर तक बढऩे का अनुमान है।

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मिलेनियल्स और जेर्न Z हर्बल व आयुर्वेदिक ओटीसी मार्केट को बूस्ट दे रहे

 भारत के हर्बल और आयुर्वेदिक ओटीसी (ओवर द काउंटर) मार्केट में 6.5 प्रतिशत की सीएजीआर से वृद्धि होने की उम्मीद है, जो 2025 में 69 मिलियन डॉलर से बढक़र वर्ष 2033 के अंत तक 118 मिलियन डॉलर हो जाएगा। इस वृद्धि के साथ मार्केट ग्लोबल रुझानों से आगे निकल जाएगा। यह जानकार एक रिपोर्ट में दी गई। रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, चैलेंजेज बने हुए हैं क्योंकि वर्ष 2024 में 40 प्रतिशत नए लॉन्च को विनियामक बाधाओं का सामना करना पड़ा, केवल 20 प्रतिशत उत्पादों को क्लिनिकल मान्यता मिली है और गुणवत्ता संबंधी चिंताएं 30 प्रतिशत तक की पेशकशों को प्रभावित करती हैं, जिससे क्लिनिकल इलनेस के लिए उनकी विश्वसनीयता और अडॉप्शन को सीमित किया जाता है। हर्बल और आयुर्वेदिक ओटीसी इंडस्ट्री के बारे में बताया जाता है कि यह शानदार तेजी से बढ़ रही है। नवीनतम शोध के अनुसार, इंडस्ट्री ने 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय घरों में मजबूती से प्रवेश किया है। यह जानकारी 1लैटिस की हेल्थकेयर इंटेलिजेंस रिसर्च विंग मेडआईक्यू द्वारा किए गये उद्योग विश्लेषण से सामने आई है, जो उपभोक्ता व्यवहार में एक मौलिक बदलाव को उजागर करता है। यह दिखाता है कि सभी आयु वर्गों में नेचुरल और केमिकल-फ्री वेलनेस प्रोडक्ट के लिए प्राथमिकता में एक मजबूत बदलाव आया है। लोग नेचुरल प्रोडक्ट्स की ओर आकर्षित हो रहे हैं। स्टडी से पता चलता है कि इस तेजी से विकास के पीछे महत्वपूर्ण कारक लोकप्रिय श्रेणियों जैसे च्यवनप्राश, अश्वगंधा सप्लीमेंट्स, आयुर्वेदिक पर्सनल केयर, फंक्शनल फूड और यूथ-टारगेटेड प्रोडक्ट्स जैसे इफर्वेसेंट टैबलेट की व्यापक खपत है। स्टडी से यह भी पता चलता है कि नए अडॉप्टर्स में से 40 प्रतिशत से अधिक मिलेनियल्स और जेन जी हैं, जो ट्रेडिशनल वेलनेस के लिए एक पीढ़ीगत बदलाव का संकेत देते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, डिजिटल अडॉप्शन से बाजार का विस्तार तेजी से हो रहा है, शहरी ओटीसी बिक्री का 10 प्रतिशत से अधिक अब ऑनलाइन है और 35 प्रतिशत नए उत्पाद टेक-ड्रिवन पर्सनलाइजेशन प्रदान करते हैं। इस बीच, लगभग 60 प्रतिशत शहरी उपभोक्ता सक्रिय रूप से क्लीन-लेबल और जैविक-प्रमाणित उत्पादों की तलाश कर रहे हैं, जो भारतीय उपभोक्ताओं के बीच बढ़ती जागरूकता का संकेत देता है। इस क्षेत्र में इनोवेशन की एक मजबूत लहर भी देखी जा रही है, जिसमें 2023 में आरएंडडी इन्वेस्टमेंट 45 प्रतिशत तक बढ़ गया है। ग्लोबल लेवल पर, हर्बल और आयुर्वेदिक ओटीसी मार्केट चालू वर्ष 2025 में 145 बिलियन डॉलर से बढक़र 2033 तक 230 बिलियन डॉलर तक बढऩे का अनुमान है।


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