सिल्वर में जो नया मॉमेंटम बना है उससे यह ग्लोबल मार्केट्स में और भी ऊंची उड़ान भरने की ताकत जुटा सकती है। कारण साफ है फिजिकल चांदी की उम्मीद से ज्यादा शॉर्टेज है। एनेलिस्ट्स के अनुसार सप्लाई की कमी की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लग सकता है कि सिल्वर-क्रूड ऑइल का अनुपात दूसरे सबसे हाई लेवल पर पहुंच गया है। द सिल्वर एकेडमी के अनुसार जब सिल्वर-क्रूड ऑइल अनुपात ऐतिहासिक स्तरों पर पहुंच जाता है, तो इससे संकेत मिल जाता है कि दुनिया में एनर्जी की तुलना में फिजिकल सिल्वर बहुत कम है। क्योंकि सिल्वर बहुत बड़ा इंडस्ट्रियल इनपुट है और इंडस्ट्रियल व इंवेस्टर डिमांड ही चांदी को ड्राइव कर रही है। एक एनेलिस्ट के अनुसार एक आउंस सिल्वर के सैकंड वल्र्ड वॉर के बाद सबसे अधिक क्रूड ऑइल खरीदा जा सकता है। चांदी इस साल की शुरुआत से अब तक 110 परसेंट से अधिक बढ़ चुकी है। न्यूयॉर्क स्थित द सिल्वर इंस्टीट्यूट ने चांदी में उछाल का कारण सप्लाई शॉर्टेज, ग्लोबल स्टॉक की कमी और सोलर, ईवी व एआई सैक्टर की लॉन्गटर्म इंडस्ट्रियल डिमांड को बताया है। चांदी सोलर, ईवी, सेमीकंडक्टर और डिफेंस इंडस्ट्री के लिए ऐसी बैकबोन (रीढ़ की हड्डी) है जिसका फिलहाल कोई विकल्प नहीं है। एक एनेलिस्ट कहते हैं कि मार्च 2026 तक सिल्वर 100 डॉलर प्रति औंस के लेवल को पार कर सकती है जो अभी 60 डॉलर के आसपास है। चांदी किसी प्रचार के कारण नहीं बढ़ रही है। इसकी माइनिंग घट रही है, इंडस्ट्रियल डिमांड तेजी से बढ़ रही है। फिजिकल डिलीवरी की डिमांड के कारण तिजोरियां खाली हो रही हैं। दूसरी ओर फैडरल रिजर्व द्वारा पॉलिसी रेट्स में 25 बेसिस पॉइंट्स की कमी के बावजूद डॉलर के मुकाबले रुपया 90.46 के रिकॉर्ड लो लेवल पर पहुंच गया।