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06-08-2025

ऊबर का भारत टैक्सी डाउन करेगी मीटर

  •  गोवा के मुख्यमंत्री रहते मनोहर पर्रिकर ने गोवा की अपनी एप बेस्ड टेक्सी का प्लान बनाया था। और नितिन गडक़री ने भी। कर्नाटक सरकार दो साल से टैक्सी एग्रीगेटर एप लॉन्च कर रही है लेकिन यह अभी लटका हुआ है। जो इतनी कोशिशों के बाद नहीं हो पाया अमित शाह की अगुवाई वाला को-ऑपरेटिव मंत्रालय करने जा रहा है। प्लान भारत टैक्सी लॉन्च करने का है। भारत में ब्रांडेड टैक्सी सर्विस की सबसे पहली कामयाब कोशिश मेरू कैब्स ने की थी। लेकिन फिर फॉरेन फंड आया और ओला व ऊबर के आगे टिक नहीं पाई। टेक्सीफॉरश्यॉर जो एक और एप बेस्ड कैब सर्विस थी उसे 2015 में ओला ने 1273 करोड़ रुपये में खरीद लिया था। कोई एक दशक हो गया एप बेस्ड टैक्सी मार्केट में डुओपॉली को चलते। डुओपॉली यानी दो का दबदबा। देश की 8 बड़ी सहकारी संस्थाओं ने मिलकर ...भारत टैक्सी...नाम से सर्विस को साल के आखिर तक शुरू करने का टार्गेट रखा है। इसका ओला और ऊबर के दबदबे को चैलेंज करने का है। भारत टैक्सी योजना के तहत 3 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी के साथ 4 राज्यों में 200 ड्राइवर पहले ही जोड़े जा चुके हैं। इसके लिए मल्टी-स्टेट सहकारी टैक्सी कोऑपरेटिव लि. के नाम से नई संस्था रजिस्टर हुई है। जिसमें इफको, जीसीएमएमएफ (अमूल), एनसीडीसी, कृषक भारती, नाबार्ड, एनडीडीबी, और एनसीईएल जैसी गहरी जेब वाली संस्थाएं फाउंडर मेंबर के रूप में शामिल हैं। साथ में लगी टेबल से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2018 में भारत में 3.5 लाख कैब थी और इंडस्ट्री का रेवेन्यू 4700 करोड़ रुपये था। कोविड के दौरान इस इंडस्ट्री को भारी नुकसान उठाना पड़ा और इन दोनों कैब कंपनियों को ड्राइवर के ईएमआई नहीं चुका पाने के कारण हजारों गाडिय़ां बेचनी पड़ गई थीं। रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2028 तक भारत में कैब की फ्लीट 8.3 लाख गाडिय़ों तक पहुंच जाएगी और इंडस्ट्री का रेवेन्यू 13300 करोड़ रुपये होगा। एनसीडीसी के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर रोहित गुप्ता के अनुसार इसका उद्देश्य यात्रियों को सुरक्षित और किफायती यात्रा विकल्प देना है, बल्कि ड्राइवरों को बेहतर कमाई का अवसर भी प्रदान करना है। इसमें सरकार की कोई हिस्सेदारी नहीं है, यह पूरी तरह सहकारी संस्थाओं द्वारा संचालित और वित्तपोषित की जा रही है। स्कीम में ड्राइवरों को सदस्यता मॉडल के तहत जोड़ा जा रहा है और नेटवर्क विस्तार के लिए अन्य सहकारी संस्थाओं से संपर्क भी जारी है। एप बेस्ड सर्विस के लिए टेक्निकल पार्टनर चुनने की प्रक्रिया चल रही है और दिसंबर तक एक पैन-इंडिया एप लॉन्च करने का टार्गेट है। आईआईएम-बैंगलोर और एक टेक कंसल्टेंट को मार्केटिंग स्ट्रेटेजी तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। ओला और ऊबर पर सबसे आम शिकायत ड्राइवर से मोटा कमिशन वसूलने की है लेकिन भारत टैक्सी कोऑपरेटिव प्राइसिंग मॉडल पर चलाई जाएगी जिसमें जिसमें प्रॉफिट का बड़ा हिस्सा ड्राइवरों को मिलेगा।

    ऊबर इंटरसिटी: दूसरी ओर ऊबर ने इंटरसिटी ट्रेवल के लिए मोटरहोम पायलट लॉन्च किया है और इंटरसिटी सर्विस को 3,000 से अधिक रूट्स तक बढ़ा दिया है। दो शहरों के बीच ट्रेवल करने के लिए लाई गई इंटरसिटी सर्विस देशभर में मेट्रो और टियर-2 शहरों को जोड़ेगी। कंपनी दिल्ली-एनसीआर में मोटरहोम पायलट भी शुरू कर रही है। इसकी बुकिंग के लिए ऊबर एप पर अलग टैब दिया गया है। ऊबर ने भारत में 2013 में एंट्री की थी और अब वह 125 से अधिक शहरों में सेवाएं दे रही है। कंपनी का दावा है कि अब तक 300 करोड़ ट्रिप्स पूरे हो चुके हैं और 14 लाख से ज्यादा ड्राइवर-पार्टनर इससे जुड़े हैं।

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ऊबर का भारत टैक्सी डाउन करेगी मीटर

 गोवा के मुख्यमंत्री रहते मनोहर पर्रिकर ने गोवा की अपनी एप बेस्ड टेक्सी का प्लान बनाया था। और नितिन गडक़री ने भी। कर्नाटक सरकार दो साल से टैक्सी एग्रीगेटर एप लॉन्च कर रही है लेकिन यह अभी लटका हुआ है। जो इतनी कोशिशों के बाद नहीं हो पाया अमित शाह की अगुवाई वाला को-ऑपरेटिव मंत्रालय करने जा रहा है। प्लान भारत टैक्सी लॉन्च करने का है। भारत में ब्रांडेड टैक्सी सर्विस की सबसे पहली कामयाब कोशिश मेरू कैब्स ने की थी। लेकिन फिर फॉरेन फंड आया और ओला व ऊबर के आगे टिक नहीं पाई। टेक्सीफॉरश्यॉर जो एक और एप बेस्ड कैब सर्विस थी उसे 2015 में ओला ने 1273 करोड़ रुपये में खरीद लिया था। कोई एक दशक हो गया एप बेस्ड टैक्सी मार्केट में डुओपॉली को चलते। डुओपॉली यानी दो का दबदबा। देश की 8 बड़ी सहकारी संस्थाओं ने मिलकर ...भारत टैक्सी...नाम से सर्विस को साल के आखिर तक शुरू करने का टार्गेट रखा है। इसका ओला और ऊबर के दबदबे को चैलेंज करने का है। भारत टैक्सी योजना के तहत 3 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी के साथ 4 राज्यों में 200 ड्राइवर पहले ही जोड़े जा चुके हैं। इसके लिए मल्टी-स्टेट सहकारी टैक्सी कोऑपरेटिव लि. के नाम से नई संस्था रजिस्टर हुई है। जिसमें इफको, जीसीएमएमएफ (अमूल), एनसीडीसी, कृषक भारती, नाबार्ड, एनडीडीबी, और एनसीईएल जैसी गहरी जेब वाली संस्थाएं फाउंडर मेंबर के रूप में शामिल हैं। साथ में लगी टेबल से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2018 में भारत में 3.5 लाख कैब थी और इंडस्ट्री का रेवेन्यू 4700 करोड़ रुपये था। कोविड के दौरान इस इंडस्ट्री को भारी नुकसान उठाना पड़ा और इन दोनों कैब कंपनियों को ड्राइवर के ईएमआई नहीं चुका पाने के कारण हजारों गाडिय़ां बेचनी पड़ गई थीं। रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2028 तक भारत में कैब की फ्लीट 8.3 लाख गाडिय़ों तक पहुंच जाएगी और इंडस्ट्री का रेवेन्यू 13300 करोड़ रुपये होगा। एनसीडीसी के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर रोहित गुप्ता के अनुसार इसका उद्देश्य यात्रियों को सुरक्षित और किफायती यात्रा विकल्प देना है, बल्कि ड्राइवरों को बेहतर कमाई का अवसर भी प्रदान करना है। इसमें सरकार की कोई हिस्सेदारी नहीं है, यह पूरी तरह सहकारी संस्थाओं द्वारा संचालित और वित्तपोषित की जा रही है। स्कीम में ड्राइवरों को सदस्यता मॉडल के तहत जोड़ा जा रहा है और नेटवर्क विस्तार के लिए अन्य सहकारी संस्थाओं से संपर्क भी जारी है। एप बेस्ड सर्विस के लिए टेक्निकल पार्टनर चुनने की प्रक्रिया चल रही है और दिसंबर तक एक पैन-इंडिया एप लॉन्च करने का टार्गेट है। आईआईएम-बैंगलोर और एक टेक कंसल्टेंट को मार्केटिंग स्ट्रेटेजी तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। ओला और ऊबर पर सबसे आम शिकायत ड्राइवर से मोटा कमिशन वसूलने की है लेकिन भारत टैक्सी कोऑपरेटिव प्राइसिंग मॉडल पर चलाई जाएगी जिसमें जिसमें प्रॉफिट का बड़ा हिस्सा ड्राइवरों को मिलेगा।

ऊबर इंटरसिटी: दूसरी ओर ऊबर ने इंटरसिटी ट्रेवल के लिए मोटरहोम पायलट लॉन्च किया है और इंटरसिटी सर्विस को 3,000 से अधिक रूट्स तक बढ़ा दिया है। दो शहरों के बीच ट्रेवल करने के लिए लाई गई इंटरसिटी सर्विस देशभर में मेट्रो और टियर-2 शहरों को जोड़ेगी। कंपनी दिल्ली-एनसीआर में मोटरहोम पायलट भी शुरू कर रही है। इसकी बुकिंग के लिए ऊबर एप पर अलग टैब दिया गया है। ऊबर ने भारत में 2013 में एंट्री की थी और अब वह 125 से अधिक शहरों में सेवाएं दे रही है। कंपनी का दावा है कि अब तक 300 करोड़ ट्रिप्स पूरे हो चुके हैं और 14 लाख से ज्यादा ड्राइवर-पार्टनर इससे जुड़े हैं।


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