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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

01-07-2025

राजस्थान में बनेगा स्ट्रेटेजिक ऑइल रिजर्व

  •  भारत सरकार ने ग्लोबल जियोपॉलिटिक्स और सप्लाई चेन रिस्क को देखते हुए एनर्जी सिक्यॉरिटी मजबूत करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत राजस्थान में राज्य का पहला स्ट्रेटेजिक क्रूड ऑइल रिजर्व बनाने का प्लान है। चर्चा है कि राज्य के इस पहले स्ट्रेटेजिक क्रूड ऑइल रिजर्व के लिए बीकानेर को चुना गया है जहां नमक की गुफाओं (सॉल्ट केवर्न) में बनाया जाएगा। इसके साथ ही भारत छह नए स्थानों पर रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व बनाने के प्लान पर भी काम कर रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (ईआईएल) को छह संभावित स्थानों के लिए फीजिबिलिटी रिपोर्ट  तैयार करने को कहा है। इन स्थानों में कर्नाटक का मंगलुरु स्पेशल इकोनॉमिक •ाोन और राजस्थान के बीकानेर की सॉल्ट कैवन्र्स प्रमुख रूप से शामिल हैं। रिपोर्ट वर्ष 2025 के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है। ईआईएल के एक अधिकारी के अनुसार इन छह स्थानों का चयन उनके रणनीतिक महत्व को देखते हुए किया गया है — जैसे कि तट से निकटता, रिफाइनरी से दूरी और निर्माण की अनुकूलता। बीकानेर का चयन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अंदरुणी इलाके में है और युद्ध या समुद्री प्रतिबंध जैसी आपात स्थितियों में सुरक्षित भंडारण सुनिश्चित कर सकता है। भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है और अपनी कच्चे तेल की आवश्यकताओं का लगभग 85 परसेंट इंपोर्ट करता है। जिस तरह से ईरान-इजराइल के बीच संघर्ष के दौरान होर्मुज स्ट्रेट के ऑइल शिपिंग चैनल के ब्लॉक हो जाने का खतरा बढ़ गया था उससे भारत की ऊर्जा निर्भरता और आपूर्ति के समीकरण गड़बड़ा सकते हैं। हर दिन भारत में 5.5 मिलियन बैरल कच्चे तेल की खपत होती है, जिसमें से 1.5-2 मिलियन बैरल तेल इसी होर्मुज स्ट्रेट (जलडमरूमध्य) से होकर आता है। इसे देखते हुए भारत सरकार स्ट्रेटेजिक ऑइल रिजर्व को 90 दिन के ग्लोबल बेंचमार्क के लेवल तक ले जाना चाहती है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी का मानना है कि सभी देशों के पास 90 दिन के इंपोर्ट के बराबर स्ट्रेटेजिक ऑइल रिजर्व होने चाहिएं। वर्तमान में भारत के पास कुल 77 दिनों के बराबर एमरजेंसी रिजर्व हैं। भारतीय स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व लि. (आईएसपीआरएल) द्वारा अब तक विशाखापत्तनम (1.33 मिलियन मीट्रिक टन), मंगलुरु (1.5 मि. मीट्रिक टन) और पदूर कर्नाटक (2.5 मि. मीट्रिक टन) में कुल 5.33 मि. मीट्रिक टन की क्षमता के स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व बनाए गए हैं। दूसरे चरण में ओडिशा के चांदिखोल (4 मि. मीट्रिक टन) और कर्नाटक के पदूर (2.5 मि. मीट्रिक टन) में 6.5 मि. मीट्रिक टन की अतिरिक्त क्षमता पीपीपी मोड में बनाने का प्रस्ताव है। बीकानेर सहित छह नए स्थानों की योजना इन दोनों चरणों के अलावा होगी। बीकानेर में बनने वाला भंडार अपनी भू-गर्भीय रचना के कारण विशेष महत्व रखता है। यहां के सॉल्ट कैवन्र्स प्राकृतिक रूप से स्थिर होते हैं और इनमें दीर्घकालिक व सुरक्षित भंडारण संभव है। एनेलिस्ट्स के अनुसार, 1 मि. मीट्रिक टन ऑइल रिजर्व  बनाने में लगभग 2,500 करोड़ की लागत आती है। वर्तमान में अबूधाबी की एडनॉक भारत के इस प्रोग्राम में पार्टनर है। भारत ने प. एशिया संकट से निपटने के लिए वैकल्पिक सप्लाई रूट्स जैसे कि हबशन-फुजैरा (यूएई) और सऊदी अरब की ईस्ट-वेस्ट पाइपलाइन का उपयोग करने की स्ट्रेटेजी भी तैयार की है। ये पाइपलाइन होर्मुज स्ट्रेट को बायपास कर भारत को सीधे खाड़ी और लाल सागर तक पहुुंच प्रदान करती हैं।

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राजस्थान में बनेगा स्ट्रेटेजिक ऑइल रिजर्व

 भारत सरकार ने ग्लोबल जियोपॉलिटिक्स और सप्लाई चेन रिस्क को देखते हुए एनर्जी सिक्यॉरिटी मजबूत करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत राजस्थान में राज्य का पहला स्ट्रेटेजिक क्रूड ऑइल रिजर्व बनाने का प्लान है। चर्चा है कि राज्य के इस पहले स्ट्रेटेजिक क्रूड ऑइल रिजर्व के लिए बीकानेर को चुना गया है जहां नमक की गुफाओं (सॉल्ट केवर्न) में बनाया जाएगा। इसके साथ ही भारत छह नए स्थानों पर रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व बनाने के प्लान पर भी काम कर रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (ईआईएल) को छह संभावित स्थानों के लिए फीजिबिलिटी रिपोर्ट  तैयार करने को कहा है। इन स्थानों में कर्नाटक का मंगलुरु स्पेशल इकोनॉमिक •ाोन और राजस्थान के बीकानेर की सॉल्ट कैवन्र्स प्रमुख रूप से शामिल हैं। रिपोर्ट वर्ष 2025 के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है। ईआईएल के एक अधिकारी के अनुसार इन छह स्थानों का चयन उनके रणनीतिक महत्व को देखते हुए किया गया है — जैसे कि तट से निकटता, रिफाइनरी से दूरी और निर्माण की अनुकूलता। बीकानेर का चयन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अंदरुणी इलाके में है और युद्ध या समुद्री प्रतिबंध जैसी आपात स्थितियों में सुरक्षित भंडारण सुनिश्चित कर सकता है। भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है और अपनी कच्चे तेल की आवश्यकताओं का लगभग 85 परसेंट इंपोर्ट करता है। जिस तरह से ईरान-इजराइल के बीच संघर्ष के दौरान होर्मुज स्ट्रेट के ऑइल शिपिंग चैनल के ब्लॉक हो जाने का खतरा बढ़ गया था उससे भारत की ऊर्जा निर्भरता और आपूर्ति के समीकरण गड़बड़ा सकते हैं। हर दिन भारत में 5.5 मिलियन बैरल कच्चे तेल की खपत होती है, जिसमें से 1.5-2 मिलियन बैरल तेल इसी होर्मुज स्ट्रेट (जलडमरूमध्य) से होकर आता है। इसे देखते हुए भारत सरकार स्ट्रेटेजिक ऑइल रिजर्व को 90 दिन के ग्लोबल बेंचमार्क के लेवल तक ले जाना चाहती है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी का मानना है कि सभी देशों के पास 90 दिन के इंपोर्ट के बराबर स्ट्रेटेजिक ऑइल रिजर्व होने चाहिएं। वर्तमान में भारत के पास कुल 77 दिनों के बराबर एमरजेंसी रिजर्व हैं। भारतीय स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व लि. (आईएसपीआरएल) द्वारा अब तक विशाखापत्तनम (1.33 मिलियन मीट्रिक टन), मंगलुरु (1.5 मि. मीट्रिक टन) और पदूर कर्नाटक (2.5 मि. मीट्रिक टन) में कुल 5.33 मि. मीट्रिक टन की क्षमता के स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व बनाए गए हैं। दूसरे चरण में ओडिशा के चांदिखोल (4 मि. मीट्रिक टन) और कर्नाटक के पदूर (2.5 मि. मीट्रिक टन) में 6.5 मि. मीट्रिक टन की अतिरिक्त क्षमता पीपीपी मोड में बनाने का प्रस्ताव है। बीकानेर सहित छह नए स्थानों की योजना इन दोनों चरणों के अलावा होगी। बीकानेर में बनने वाला भंडार अपनी भू-गर्भीय रचना के कारण विशेष महत्व रखता है। यहां के सॉल्ट कैवन्र्स प्राकृतिक रूप से स्थिर होते हैं और इनमें दीर्घकालिक व सुरक्षित भंडारण संभव है। एनेलिस्ट्स के अनुसार, 1 मि. मीट्रिक टन ऑइल रिजर्व  बनाने में लगभग 2,500 करोड़ की लागत आती है। वर्तमान में अबूधाबी की एडनॉक भारत के इस प्रोग्राम में पार्टनर है। भारत ने प. एशिया संकट से निपटने के लिए वैकल्पिक सप्लाई रूट्स जैसे कि हबशन-फुजैरा (यूएई) और सऊदी अरब की ईस्ट-वेस्ट पाइपलाइन का उपयोग करने की स्ट्रेटेजी भी तैयार की है। ये पाइपलाइन होर्मुज स्ट्रेट को बायपास कर भारत को सीधे खाड़ी और लाल सागर तक पहुुंच प्रदान करती हैं।


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