याद है ना...राबर्ट...लिक्विड इसे जीने नहीं देगा, ऑक्सीजन इसे मरने नहीं देगी। यही कुछ गोल्ड इंपोर्ट में हो रहा है। इंपोर्ट लीगल भी है और चोरी भी हो रही है। डेटा कहता है कि जीरो ड्यूटी पर लिक्विड गोल्ड इंपोर्ट वित्त वर्ष 2021-22 के केवल 2200 किलो से वित्त वर्ष 24-25 में करीब 60 गुना बढक़र 127900 (1.279 लाख) किलो तक पहुंच गया। पिछले बजट में सरकार ने गोल्ड स्मगलिंग घटाने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी कम की थी लेकिन टेक्स फ्री इंपोर्ट का नया चोर दरवाजा खुल गया है। लिक्विड गोल्ड दरअसल गोल्ड का दूसरे एलीमेंट्स के साथ कंपाउंड होता है। यूएई, जापान और ऑस्ट्रेलिया आदि ट्रेड एग्रीमेंट वाले देशों से लिक्विड गोल्ड इंपोर्ट टेक्स फ्री है जबकि येलो गोल्ड (सोने) पर 6 परसेंट इंपोर्ट ड्यूटी लगती है। डायरेक्टरेट ऑफ कमर्शियल इंटेलीजेंस एंड स्टेटिस्टिक्स (डीजीसीआईएस) के अनुसार जनवरी-मार्च तिमाही में लिक्विड गोल्ड का इम्पोर्ट साल दर साल 9.25 गुना और पिछली तिमाही से 2.84 गुना बढक़र 69,879 किलो हो गया। रिपोर्ट कहती है कि लिक्विड गोल्ड का यह इंपोर्ट करीब 1.29 बिलियन डॉलर गोल्ड के बराबर हुआ। दूसरी ओर असली सोने (येलो गोल्ड) की शिपमेंट्स चरणबद्ध रूप से 51.2 परसेंट और वित्त वर्ष25 की जनवरी-मार्च तिमाही में सालाना आधार पर 0.9 परसेंट की गिरावट के साथ 9.5 बिलियन डॉलर की रह गए। भारत ने वित्त वर्ष 25 में यूएई, जापान और ऑस्ट्रेलिया से 1,11,856 किलो लिक्विड गोल्ड इंपोर्ट किया। यदि इसमें कम से कम 15 परसेंट भी गोल्ड मानें तो 16,778 किलो सोना होता है। जिस पर 90 लाख प्रति किलो के औसत भाव से सरकार को लगभग 906 करोड़ का कस्टम ड्यूटी लॉस हुआ।
क्या
लिक्विड गोल्ड या गोल्ड कंपाउंड्स जैसे कि औरस ऑक्साइड, औरस क्लोराइड, गोल्ड ट्राईक्लोराइड, गोल्ड सल्फाइड, डबल सल्फाइट्स ऑफ गोल्ड और गोल्ड सायनाइड आदि का ज्यादातर इंडस्ट्रियल और साइंटिफिक इस्तेमाल होता है और इलेक्ट्रोप्लेटिंग (गोल्ड प्लेटेड ज्यूलरी), सेरामिक्स और ग्लास पर गोल्ड पेंटिंग, फोटोग्राफी और दवाओं में उपयोग होता है।
क्यों
बजट 2024 के बाद डायरेक्टरेट जनरल फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी) ने 99 परसेंट से कम प्लेटिनम वाले अलॉय को फ्री इंपोर्ट के बजाय रेस्ट्रिक्टेड इंपोर्ट कैटेगरी में डाल दिया था। इसके बाद केवल लाइसेंसधारी इंपोर्टर ही इसके शिपमेंट मंगवा सकते हैं। दो परसेंट से अधिक प्लेटिनम वाले कंपाउंड को प्लेटिनम अलॉय माना जाता है। इम्पोर्टर 2 परसेंट प्लेटिनम और 98 परसेंट गोल्ड वाला अलॉय ला रहे थे। यानी प्लेटिनम के नाम पर •ाीरो ड्यूटी पर गोल्ड इंपोर्ट हो रहा था। जब से इस लूपहोल को बंद किया गया है इंपोर्टर लिक्विड गोल्ड या कहें तो गोल्ड कंपाउंड्स लाने लगे हैं। लिक्विड गोल्ड पर 10 परसेंट बेसिक कस्टम ड्यूटी लगती है। लेकिन जापान, यूएई और ऑस्ट्रेलिया से इम्पोर्ट पर ट्रेड एग्रीमेंट के कारण जीरो बेसिक ड्यूटी है। कुल गोल्ड कंपाउंड इम्पोर्ट्स में लगभग 87 परसेंट शेयर इन्हीं तीन देशों का है।
कैसे
गोल्ड कंपाउंड्स में आमतौर पर 15-22 परसेंट गोल्ड होता है जिसे आसानी से रिफाइन किया जा सकता है। इसके इम्पोर्टर को परमिट की जरूरत नहीं होती जबकि गोल्ड इम्पोर्टर को डीजीएफटी से लाइसेंस लेना होता है। पिछले वित्त वर्ष में आईआईबीएक्स (इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज) पर गोल्ड इंपोर्ट साल-दर-साल 11.7 गुना बढक़र 93,072 किलो तक पहुंच गया। यदि इसमें लिक्विड गोल्ड से मिले प्यॉर गोल्ड को भी शामिल कर लिया जाए तो गोल्ड इंपोर्ट का आंकड़ा बदल जाता है। रेवेन्यू लॉस तो अपनी जगह है सरकार की चिंता गोल्ड इंपोर्ट के गलत डेटा को लेकर है। सरकार को लगता है कि इंपोर्ट घट रहा है जबकि वास्तव में ऐसा है नहीं।
