भारत की पारंपरिक पहचान बिजली की कटौती वाले देश के रूप में है। लेकिन पिछले दो दशकों में हालात कितनी तेजी से बदले हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 9 जून को 241 गीगावॉट की रिकॉर्ड डिमांड निकली और इसे बिना किसी गैप को पूरा कर दिया गया। इस तरह से पीक डिमांड और पीक सप्लाई का एक रिकॉर्ड है। बिजली मंत्री मनोहर लाल के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने 34 गीगावॉट की नई विद्युत उत्पादन क्षमता बनाई है और यह भी एक रिकॉर्ड है। भारत की कुल इंस्टॉल्ड पावर जेनरेशन कैपेसिटी (स्थापित विद्युत क्षमता) अब 472.5 गीगावॉट हो गई है, जो 2014 में केवल 249 गीगावॉट थी। वित्त वर्ष 2013-14 में जहां पावर डिमांड-सप्लाई में 4.2 परसेंट गैप था अब यह घटकर 0.1 परसेंट रह गया है। सरकार ने 30 गीगावॉट घंटे बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) के लिए 5,400 करोड़ रुपये की वायबिलिटी गैप फंडिंग योजना को मंजूरी दी है। पहले से जारी 13.2 गीगावॉट घंटे की परियोजनाओं के अतिरिक्त इस योजना का टार्गेट 2028 तक देश की बीईएसएस आवश्यकता को पूरा करने के लिए कुल 33 हजार करोड़ का निवेश आकर्षित करने का है। मनोहरलाल के अनुसार सरकार ने विद्युत ग्रिड के आधुनिकीकरण हेतु 9 अल्ट्रा हाई वोल्टेज एसी ट्रांसमिशन लाइन और 10 सबस्टेशन बनाने की योजना बनाई है जिस पर करीब 53 हजार करोड़ का निवेश होगा।