सिमरन जा जी ले अपनी जिंदगी...का ट्रेंड अब फैमिली बिजनस में भी दिखने लगा है और फैमिली बिनजस ओनर अपनी नई पीढ़ी को बांधे रखने के बजाय खुलकर खेलने के लिए आजाद कर रहे हैं। एचएसबीसी ग्लोबल प्राइवेट बैंकिंग ने अपनी एक रिपोर्ट में भारत के फैमिली बिजनस के सामने एक बड़े एक्जिस्टेंशियल क्राइसिस (अस्तित्व का संकट) की ओर इशारा किया है। सर्वे के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट में सामने आया कि 45 परसेंट फैमिली बिजनस ओनर्स को उम्मीद ही नहीं है कि नई पीढ़ी उनका कारोबार संभालेगी। लेकिन हालात इतने भी निगेटिव नहीं है क्योंकि 88 परसेंट ने भरोसा जताया कि नई पीढ़ी उने वेंचर और वेल्थ दोनों को मैनेज करेगी। रोचक यह है कि जिन लोगों ने सर्वे में भाग लिया उनमें से सिर्फ 7 परसेंट ने कहा कि मजबूरी है क्या करें... कुछ नया करने के मौके हों तब भी फैमिली बिजनस तो संभालना ही पड़ेगा। एचएसबीसी ग्लोबल प्राइवेट बैंकिंग की ‘Family-owned businesses in Asia: Harmony through succession planning’. रिपोर्ट में कहा गया है कि नई पीढ़ी में फैमिली बिजनस को लेकर यह बेरुखी सक्सैशन प्लानिंग में एक बड़े शिफ्ट की ओर इशारा कर रही है। भारत की जीडीपी में फैमिली बिजनस का शेयर 79 परसेंट है जो दुनिया में सबसे ज्यादा में से एक है। हालांकि इस बड़े बदलाव के बावजूद 79 परसेंट फैमिली बिजनस ओनर्स अपने बिजनस को नई जेनरेशन को सौंपना चाहते हैं। यूके में यह 77 और स्विट्जरलैंड में 76 परसेंट है। हालांकि हांगकांग में आधे से भी कम उत्तरदाताओं 44 परसेंट ने यह मंशा जताई। वहीं मेनलैंड चीन में केवल 56 परसेंट और ताइवान में 61 परसेंट ने। मेनलैंड चीन में 25 परसेंट, हांगकांग में 29 परसेंट और ताइवान 27 परसेंट उद्यमियों के साथ ही कुछ हद तक सिंगापुर ने 22 परसेंट ने सक्सैशन क्राइसिस के चलते अपने बिजनस को बेचने तक में सबसे अधिक रुचि दिखाई।लेकिन दूसरी और तीसरी पीढ़ी के उद्यमियों को अपनी पुरानी पीढ़ी में मजबूत भरोसा महसूस होता है। सर्वे में 95 परसेंट ने कहा कि जब उन्होंने बिजनस को संभाला तो यह भरोसा बढ़ गया। ग्लोबल लेवल पर ऐसा केवल 81 परसेंट प्रतिभागियों ने ही कहा।