जयपुर/नफा नुकसान रिसर्च
पिछले दिनों आपने खबर पढ़ी थी कि चीन में ह्यूमेनॉइड रोबोट्स ने ह्यूमन्स (इंसान) के साथ मैराथन में दौड़ लगाई। हालांकि कई रोबोट गिर पड़े, कुछ शुरू ही नहीं हो पाए लेकिन दर्जनों ऐसे भी थे जिन्होंने स्पीड ना सही लेकिन दौड़ पूरी की। टेस्ला के ऑप्टिमस रोबोट की भी बहुत चर्चा हो रही है। कुछ साल पहले तक ह्यूमेनॉइड रोबोट वेनिटी केस यानी सजावटी थे लेकिन अब ये फंक्शनल हो रहे हैं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एक दौर ऐसा आएगा जब दुनिया में हर तीन इंसान पर एक ह्यूमेनॉइड रोबोट हो जाएगा। यानी ये घर...दफ्तर पर साथ रहेंगे।
रोबोट का राज : एक डेटा कहता है कि वर्ष 2100 तक यानी आज से 75 साल में दुनिया की आबादी 10.07 अरब हो जाएगी और ह्यूमेनॉइड रोबोट होंगे 3 अरब। बैंक ऑफ अमेरिका का मानना है 3 अरब ह्यूमेनॉइड तो 2060 में ही हो जाएंगे। वहीं मिडजर्नी के फाउंडर डेविड होल्•ा कहते हैं 2040 तक धरती पर 100 करोड़ यानी 1 अरब ह्यूमेनॉइड रोबोट्स होंगे। वे यह भी कहते हैं कि पूरे सोलर सिस्टम यानी चांद, मंगल, बुध, बृहस्पति, शनि आदि ग्रहों पर कुल मिलाकर 100 अरब (सौ अरब) ह्यूमेनॉइड रोबोट्स होंगे। ऑप्टिमस ह्यूमेनॉइड रोबोट पर बड़ा दांव लगा रहे टेस्ला वाले एलन मस्क भी इस 100 बिलियन के आंकड़े से सहमति जताते हैं। हालांकि सन माइक्रोसिस्टम के को-फाउंडर विनोद खोसला थोड़े संभलकर बात कर रहे हैं। उनका मानना है कि 2040 तक धरती पर 100 करोड़ दो पैर वाले रोबोट होंगे। वहीं मॉर्गन स्टेनले का अनुमान है कि 2030 तक 9 लाख ह्यूमेनॉइड ही बिक पाएंगे।
रोबोट मार्केट : यह कहानी कितनी कंफ्यूजिंग है इसकी बानगी देखिए। सिटी ग्रुप ने कहा है कि 2050 तक ह्यूमेनॉइड रोबोट्स का मार्केट 7 लाख करोड़ डॉलर यानी करीब 600 लाख करोड़ रुपये का होगा। जबकि गोल्डमैन सैक्स इस कहानी को डाउनप्ले करते हुए कहती है कि 2035 तक ह्यूमेनॉइड रोबोट्स का मार्केट 38 बिलियन डॉलर का ही होगा। बेन एंड कंपनी के अनुसार दुनियाभर के देशों में कामकाजी आबादी घटने और तेजी से बुढ़ाने के कारण लेबर कॉस्ट बढ़ रही है। ऐसे में ह्यूमेनॉइड रोबोट सस्ते पडऩे लगे हैं। वर्ष 2020 में इन पर दुनियाभर में 30.08 करोड़ डॉलर का इंवेस्टमेंट हुआ था जो 2024 में बढक़र 110 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया। एडवांस्ड मैकेनिक्स और एआई के चलते ह्यूमेनॉइड रोबोट्स की तेजी से मेनस्ट्रीमिंग हो रही है। बैंक ऑफ अमेरिका का कहना है कि 2060 तक 20 परसेंट मैन्युफैक्चरिंग जॉब्स पर ह्यूमेनॉइड रोबोट तैनात होंगे जबकि 50 परसेंट सर्विस जॉब्स ये खा जाएंगे।
कार जैसे जरूरी : एसएनएस इनसाइडर का अनुमान है कि अमेरिका, जापान, चीन, कोरिया सहित दुनियाभर के देशों में ह्यूमेनॉइड रोबोट का एल्डर केयर (बुजुर्गों की देखभाल), सेना, रिटेल, मैन्युफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक्स में दखल बढ़ रहा है और 2032 तक इनका ग्लोबल मार्केट 76.97 बिलियन डॉलर का हो जाएगा। जो रोबोट अभी 35 हजार डॉलर का है वो 2030-2030 में 13 से 17 हजार डॉलर में ही मिल जाएगा। अमेरिका में बच्चे पालने की लागत 1 से 3 लाख डॉलर के बीच है और इसे वयस्क होने में 20 साल लगते हैं जबकि ह्यूमेनॉइड रोबोट बजट कार की प्राइस में आता है और एक साल में ही डिलिवरी मिल जाती है। मैक्वायरी का मानना है कि आने वाले दशक में घर में ह्यूमेनॉइड रोबोट भी कार की तरह जरूरी हो जाएंगे। 2030 से 2050 के बीच इनका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने लगेगा। आप जानते हैं सउदी अरब ने हैनसन रोबोट को अपनी नागरिकता दी है। टेस्ला का ऑप्टिमस, बॉस्टन डायनामिक्स का एटलस, शाओमी का साइबरवन और भारत के अपने व्योममित्र के आने से लीगल स्टेटल व जिम्मेदारी के सवाल भी खड़े हो रहे हैं।