हालांकि टैरिफ वॉर के कारण नए जीसीसी खुलने की रफ्तार घट सकती है और जीसीसी (ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर) की ग्रोथ रेट फौरी तौर पर कम भी हो सकती है लेकिन अगले पांच साल जीसीसी इकोसिस्टम के लिए हाई ग्रोथ के रहेंगे। एनेलिस्ट कहते हैं कि जीसीसी इस दौरान आईटी को पीछे छोडक़र सबसे ज्यादा जॉब्स देने वाला सैक्टर बन जाएगा। जिनोव के जीसीसी बिजनस के प्रेसिडेंट नीलेश ठक्कर के अनुसार अमरीकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप के ग्लोबल ऑर्डर को डिसरप्ट कर देने के कारण ग्लोबल एमएनसी जीसीसी को लेकर थोड़ा सतर्क हैं और डिमंाड में उतार-चढ़ाव के कारण बजट अलोकेशन को रिव्यू कर रहे हैं। दरअसल मल्टीनेशनल कंपनियां अपने कोर फंक्शन के इतर ज्यादातर फंक्शन को भारत जैसे देश में शिफ्ट कर जीसीसी खड़े कर रही हैं। जीसीसी में मार्केटिंग से लेकर आरएंडडी और फाइनेंस से लेकर प्रॉडक्ट डवलपमेंट तक के काम किए जाते हैं। लेकिन इन्हें आउटसोर्सिंग नहीं कहा जाता क्योंकि जीसीसी प्राय: कंपनी खुद खोलती है। मार्केट इंटेलिजेंस फर्म अनअर्थइनसाइट ने कहा है जून तक नए जीसीसी बनने में गिरावट आ सकती है लेकिन वर्ष के अंत तक 70 नए जीसीसी खुलने का अनुमान है। चालू वर्ष की जनवरी-मार्च तिमाही में भारत में 15 से अधिक जीसीसी स्थापित किए गए हैं। नैसकॉम के अनुसार 2024 तक भारत में 1,750 से अधिक जीसीसी थे जिनमें 19 लाख प्रॉफेशनल्स काम कर रहे थे। ट्रंप टैरिफ के कारण विशेष रूप से मैन्युफैक्चरिंग और इंडस्ट्रियल सैक्टर में जीसीसी की रफ्तार स्लो पड़ सकती है। इंसोर्सिंग से कमाई का नया कैचमेंट : नैसकॉम-जिनोव रिपोर्ट के अनुसार भारत के मिड मार्केट जीसीसी सैक्टर में हाई ग्रोथ हो रही है। भारत में 480 मिड-मार्केट जीसीसी हैं जिनमें 2.1 लाख कर्मचारी हैं। मिड मार्केट जीसीसी उन मिडल साइज कंपनियों द्वारा स्थापित कैपेबिलिटी सेंटर हैं जिनका सालाना रेवेन्यू 10 करोड़ डॉलर से 1 बिलियन डॉलर तक होता है। इनका भारत के जीसीसी में 27 परसेंट और कुल यूनिट्स में 22 परसेंट शेयर है। इनमें से ज्यादा मिड मार्केट जीसीसी एआई/एमएल, साइबर सिक्यॉरिटी, क्लाउड और डेटा साइंस आदि सैक्टर में हैं। ग्लोबल प्रॉडक्ट मैनेजमेंट टेलेंट में भारत का शेयर 47' और डीपटेक मैनपावर में 25 परसेंट है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तरी अमेरिकी कंपनियों में ग्लोबलाइजेशन का ट्रेंड बहुत ज्यादा होता है ऐसे में टेलेंट के लिहाज से भारत ग्लोबल ठिकाना बन रहा है। देश में ज्यादातर मिड-मार्केट जीसीसी बेंगलुरु, हैदराबाद, एनसीआर और चेन्नई हैं में हैं।
