बाजार नियामक सेबी ने इंवेस्टमेंट एडवाइजर्स और शोध विश्लेषकों को अपनी जमा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बैंक सावधि जमा के अतिरिक्त विकल्प के रूप में ‘लिक्विड’ म्यूचुअल फंड और ‘ओवरनाइट’ फंड का उपयोग करने की अनुमति दी है। इससे इंवेस्टमेंट एडवाइजर्स और शोध विश्लेषकों को बैंक सावधि जमा के साथ एक अतिरिक्त विकल्प मिल सकेगा। इसे नियामकीय प्रावधानों का अनुपालन करना आसान होगा और कारोबार सुगम होगा। ‘लिक्विड म्यूचुअल फंड’ एक तरह का म्यूचुअल फंड है जिसके तहत ट्रेजरी बिल, वाणिज्यिक पत्र और जमा प्रमाणपत्र जैसे अल्पावधि, तुरंत उपलब्ध होने वाले मुद्रा बाजार साधनों में निवेश किया जाता है। वहीं ‘ओवरनाइट फंड’ सतत रूप से निवेश के लिए खुला म्यूचुअल फंड है, जिसमें बहुत ही कम अवधि, आमतौर पर एक दिन, की परिपक्वता अवधि वाली प्रतिभूतियों में निवेश किया जाता है। वर्तमान नियम के तहत, इंवेस्टमेंट एडवाइजर्स (आईए) और शोध विश्लेषकों (आरए) को अनुसूचित बैंक के साथ जमा को रखना जरूरी है। इंवेस्टमेंट एडवाइजर्स और शोध विश्लेषकों ने अपने संगठनों के जरिये प्रतिवेदन दिया था कि वे सावधि जमा (एफडी) खाते खोलने में कुछ परिचालन समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इसमें विभिन्न बैंक शाखाओं में तीसरे पक्ष की एफडी प्रक्रियाओं की अलग-अलग व्याख्या और उसे कानूनी दावे के तहत प्रशासन और पर्यवेक्षी निकाय (एएसबी) के अंतर्गत रखने की जरूरत शामिल है। उन्होंने सुझाव दिया था कि एफडी के विकल्प के रूप में एएसबी के पक्ष में चिह्नित ‘लिक्विड’ म्यूचुअल फंड के रूप में राशि रखने को भी मंजूरी दी जा सकती है। इस प्रतिवेदन के आधार पर सेबी के निदेशक मंडल ने बुधवार को इस संबंध में एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए, सेबी के निदेशक मंडल ने कहा कि लिक्विड म्यूचुअल फंड को कम जोखिम वाले और कम अस्थिर साधन माना जा सकता है। साथ ही, निदेशक मंडल ने यह भी कहा कि ‘लिक्विड’ म्यूचुअल फंड की तरह ‘ओवरनाइट फंड’ भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मई में एक परामर्श पत्र जारी किया था जिसमें ‘जमा प्रावधानों के अनुपालन के लिए ‘लिक्विड’ म्यूचुअल फंड के उपयोग’ की अनुमति देने का प्रस्ताव दिया गया था।