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12-12-2025

‘राजस्थान की भूमि में 82 प्रकार के मिनरल्स, दोहन केवल 57 का’

  •  मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि राज्य में खनन क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, साथ ही वह ऊर्जा और ताकत भी है जो प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाए। माइनिंग विषय पर आयोजित सेक्टोरल सेशन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि राज्य में 82 प्रकार के खनिज उपलब्ध हैं और 57 खनिजों का दोहन किया जा रहा है। खनन क्षेत्र प्रदेश के जीडीपी में 4.4 प्रतिशत का योगदान देता है और राज्य सरकार ने इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए खनिज नीति-2024 और एम-सैंड नीति-2024 लागू की है। प्रदेश में प्रधान खनिज के 112 ब्लॉक्स की नीलामी की जा चुकी है, जिससे राजस्थान देश में दूसरे स्थान पर है। प्रदेश में फ्लोराइट, एमराल्ड, गोल्ड, गारनेट, लेड-जिंक, आरईई और पोटाश जैसे खनिजों की पहली बार नीलामी की गई है। बाड़मेर-सांचौर बेसिन, जैसलमेर बेसिन में प्राकृतिक गैस का उत्पादन हो रहा है। साथ ही, राजस्थान रिफाइनरी परियोजना का 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट समिट में पेट्रोलियम विभाग के अंतर्गत 44 हजार 784 करोड रुपए के निवेश के लिए एमओयू हस्ताक्षर किए गए, जिनका धरातल पर कार्य प्रगति पर है। केन्द्रीय खान एवं कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि राजस्थान क्रिटिकल माइनिंग के मुख्य केन्द्र के रूप में उभर रहा है। रक्षा, ऊर्जा, कृषि, सोलर, ऑटोमोबाइल सहित विभिन्न क्षेत्रों में क्रिटिकल मिनरल्स की बढ़ती मांग को पूरा करने का सामर्थ्य राजस्थान में है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में उपलब्ध क्रिटिकल मिनरल का खनन कर विकास की नई गाथा लिखी जाएगी। साथ ही, प्रदेश की अर्थव्यवस्था तथा रोजगार सृजन में भी माइनिंग क्षेत्र अहम भूमिका निभाएगा। आईआईटी, धनबाद तथा हैदराबाद के साथ हुआ एमओयू: सेशन के दौरान माइन्स विभाग तथा आईआईटी, धनबाद के मध्य एमओयू किया गया। इसके तहत आईआईटी, धनबाद के सहयोग से प्रदेश के विभन्न स्थानों पर क्रिटिकल मिनरल तथा रेयर अर्थ एलिमेंट्स की उपलब्धता की संभावनाओं पर अध्ययन किया जाएगा। इस दौरान माइन्स विभाग तथा आईआईटी, हैदराबाद के मध्य भी एक एमओयू किया गया। इस एमओयू के माध्यम से प्रदेश के विभन्न क्षेत्रों में क्रिटिकल तथा स्ट्रेटेजिक मिनरल्स के समुचित एवं त्वरित खनन को गति मिलेगी। 

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‘राजस्थान की भूमि में 82 प्रकार के मिनरल्स, दोहन केवल 57 का’

 मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि राज्य में खनन क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, साथ ही वह ऊर्जा और ताकत भी है जो प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाए। माइनिंग विषय पर आयोजित सेक्टोरल सेशन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि राज्य में 82 प्रकार के खनिज उपलब्ध हैं और 57 खनिजों का दोहन किया जा रहा है। खनन क्षेत्र प्रदेश के जीडीपी में 4.4 प्रतिशत का योगदान देता है और राज्य सरकार ने इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए खनिज नीति-2024 और एम-सैंड नीति-2024 लागू की है। प्रदेश में प्रधान खनिज के 112 ब्लॉक्स की नीलामी की जा चुकी है, जिससे राजस्थान देश में दूसरे स्थान पर है। प्रदेश में फ्लोराइट, एमराल्ड, गोल्ड, गारनेट, लेड-जिंक, आरईई और पोटाश जैसे खनिजों की पहली बार नीलामी की गई है। बाड़मेर-सांचौर बेसिन, जैसलमेर बेसिन में प्राकृतिक गैस का उत्पादन हो रहा है। साथ ही, राजस्थान रिफाइनरी परियोजना का 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट समिट में पेट्रोलियम विभाग के अंतर्गत 44 हजार 784 करोड रुपए के निवेश के लिए एमओयू हस्ताक्षर किए गए, जिनका धरातल पर कार्य प्रगति पर है। केन्द्रीय खान एवं कोयला मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि राजस्थान क्रिटिकल माइनिंग के मुख्य केन्द्र के रूप में उभर रहा है। रक्षा, ऊर्जा, कृषि, सोलर, ऑटोमोबाइल सहित विभिन्न क्षेत्रों में क्रिटिकल मिनरल्स की बढ़ती मांग को पूरा करने का सामर्थ्य राजस्थान में है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में उपलब्ध क्रिटिकल मिनरल का खनन कर विकास की नई गाथा लिखी जाएगी। साथ ही, प्रदेश की अर्थव्यवस्था तथा रोजगार सृजन में भी माइनिंग क्षेत्र अहम भूमिका निभाएगा। आईआईटी, धनबाद तथा हैदराबाद के साथ हुआ एमओयू: सेशन के दौरान माइन्स विभाग तथा आईआईटी, धनबाद के मध्य एमओयू किया गया। इसके तहत आईआईटी, धनबाद के सहयोग से प्रदेश के विभन्न स्थानों पर क्रिटिकल मिनरल तथा रेयर अर्थ एलिमेंट्स की उपलब्धता की संभावनाओं पर अध्ययन किया जाएगा। इस दौरान माइन्स विभाग तथा आईआईटी, हैदराबाद के मध्य भी एक एमओयू किया गया। इस एमओयू के माध्यम से प्रदेश के विभन्न क्षेत्रों में क्रिटिकल तथा स्ट्रेटेजिक मिनरल्स के समुचित एवं त्वरित खनन को गति मिलेगी। 


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