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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

21-06-2025

मुझे बस इतना पता है कि आज एक सरकारी छुट्टी है।

  •  मध्य पूर्व में तनाव का भारतीय कंपनियों पर छोटी अवधि में सीमित असर होगा : रिपोर्ट नई दिल्लीञ्चआईएएनएस। मध्य पूर्व में तनाव का अधिकांश भारतीय कंपनियों पर प्रभाव निकट भविष्य में सीमित रहने की उम्मीद है, क्योंकि कम पूंजीगत व्यय और कंपनियों की बैलेंस शीट की मजबूती संभावित कमजोरियों से सुरक्षा प्रदान करेगी। क्रिसिल की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। रिपोर्ट में बताया गया कि अगर यह विवाद लंबा चलता है तो क‘चे तेल की कीमतें बढ़ेगी और इससे महंगाई में इजाफा होगा।  रिपोर्ट में कहा गया, अभी तक मध्य पूर्व में जारी अनिश्चितताओं का भारतीय उद्योगों के वैश्विक व्यापार पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। हालांकि, अगर स्थिति बिगड़ती है, तो बासमती चावल जैसे कुछ क्षेत्रों पर इसका ’यादा असर पड़ सकता है और इस पर निगरानी की जरूरत होगी, जबकि उर्वरक और हीरे (कटे और पॉलिश किए दोनों) जैसे अन्य क्षेत्रों पर भी इसका कुछ असर पड़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य पूर्व क्षेत्र में अनिश्चितताओं ने वैश्विक क‘चे तेल के बाजारों को प्रभावित किया है, पिछले एक सप्ताह में ब्रेंट क्रूड 7&-76 डॉलर प्रति बैरल (बीबीएल) की सीमा में बना हुआ है। वहीं, अप्रैल-मई 2025 के दौरान ब्रेंट क्रूड की औसत कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर थी। अगर क‘चे तेल की कीमतें लंबी अवधि तक ऊंची बनी रहती हैं, तो इससे भारत कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ सकता है। रिपोर्ट में है कि लंबे समय तक अनिश्चितताओं के परिणामस्वरूप एक्सपोर्ट/आयात आधारित क्षेत्रों के लिए हवाई/समुद्री माल ढुलाई लागत और बीमा प्रीमियम में वृद्धि हो सकती है। इजरायल और ईरान के साथ भारत का सीधा व्यापार कुल व्यापार का 1 प्रतिशत से भी कम है। ईरान को भारत का मुख्य एक्सपोर्ट बासमती चावल है, इजरायल के साथ व्यापार अधिक विविधतापूर्ण है, और इसमें उर्वरक, हीरे और बिजली के उपकरण शामिल हैं। मध्य पूर्व, अमेरिका और यूरोप के अन्य देशों को एक्सपोर्ट करने की भारत की क्षमता मांग जोखिम को कम करती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबे समय तक संकट रहने से इन क्षेत्रों में एक्सपोर्ट पक्ष से भुगतान में संभावित देरी हो सकती है, जिससे कार्यशील पूंजी चक्र लंबा हो सकता है।

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मुझे बस इतना पता है कि आज एक सरकारी छुट्टी है।

 मध्य पूर्व में तनाव का भारतीय कंपनियों पर छोटी अवधि में सीमित असर होगा : रिपोर्ट नई दिल्लीञ्चआईएएनएस। मध्य पूर्व में तनाव का अधिकांश भारतीय कंपनियों पर प्रभाव निकट भविष्य में सीमित रहने की उम्मीद है, क्योंकि कम पूंजीगत व्यय और कंपनियों की बैलेंस शीट की मजबूती संभावित कमजोरियों से सुरक्षा प्रदान करेगी। क्रिसिल की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। रिपोर्ट में बताया गया कि अगर यह विवाद लंबा चलता है तो क‘चे तेल की कीमतें बढ़ेगी और इससे महंगाई में इजाफा होगा।  रिपोर्ट में कहा गया, अभी तक मध्य पूर्व में जारी अनिश्चितताओं का भारतीय उद्योगों के वैश्विक व्यापार पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। हालांकि, अगर स्थिति बिगड़ती है, तो बासमती चावल जैसे कुछ क्षेत्रों पर इसका ’यादा असर पड़ सकता है और इस पर निगरानी की जरूरत होगी, जबकि उर्वरक और हीरे (कटे और पॉलिश किए दोनों) जैसे अन्य क्षेत्रों पर भी इसका कुछ असर पड़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य पूर्व क्षेत्र में अनिश्चितताओं ने वैश्विक क‘चे तेल के बाजारों को प्रभावित किया है, पिछले एक सप्ताह में ब्रेंट क्रूड 7&-76 डॉलर प्रति बैरल (बीबीएल) की सीमा में बना हुआ है। वहीं, अप्रैल-मई 2025 के दौरान ब्रेंट क्रूड की औसत कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर थी। अगर क‘चे तेल की कीमतें लंबी अवधि तक ऊंची बनी रहती हैं, तो इससे भारत कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ सकता है। रिपोर्ट में है कि लंबे समय तक अनिश्चितताओं के परिणामस्वरूप एक्सपोर्ट/आयात आधारित क्षेत्रों के लिए हवाई/समुद्री माल ढुलाई लागत और बीमा प्रीमियम में वृद्धि हो सकती है। इजरायल और ईरान के साथ भारत का सीधा व्यापार कुल व्यापार का 1 प्रतिशत से भी कम है। ईरान को भारत का मुख्य एक्सपोर्ट बासमती चावल है, इजरायल के साथ व्यापार अधिक विविधतापूर्ण है, और इसमें उर्वरक, हीरे और बिजली के उपकरण शामिल हैं। मध्य पूर्व, अमेरिका और यूरोप के अन्य देशों को एक्सपोर्ट करने की भारत की क्षमता मांग जोखिम को कम करती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लंबे समय तक संकट रहने से इन क्षेत्रों में एक्सपोर्ट पक्ष से भुगतान में संभावित देरी हो सकती है, जिससे कार्यशील पूंजी चक्र लंबा हो सकता है।


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