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21-06-2025

इजरायल-ईरान संघर्ष से देश के चावल एक्सपोर्टर्स को नुकसान, एक्सपोर्ट रुका

  •  इजरायल-ईरान संघर्ष का देश के चावल एक्सपोर्ट पर काफी असर पड़ा है और ईरान जाने वाले चावल की शिपमेंट करीब रुक गई है। चावल एक्सपोर्टर्स ने यह जानकारी दी। चावल एक्सपोर्टक नरेंद्र मिगलानी ने कहा, ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध का असर भारत के चावल एक्सपोर्टर्स पर पड़ा है। संघर्ष के कारण ईरान के रास्ते जाने वाले चावल का एक्सपोर्ट बंद हो गया है, जिससे हरियाणा, पंजाब, दिल्ली व यूपी से एक्सपोर्ट होने वाला करीब 1 लाख मीट्रिक टन चावल बंदरगाहों पर ही रुक गया है। उन्होंने आगे कहा, भारत, ईरान को सबसे ज्यादा बासमती चावल का एक्सपोर्ट करता है। उसके बाद सऊदी अरब और तीसरे नंबर पर इराक को चावल एक्सपोर्ट करता है। मिगलानी ने आगे बताया, युद्ध के कारण एक्सपोर्ट होने वाले चावल की कीमतों में करीब 1200 प्रति क्विंटल की गिरावट आ गई है। एक्सपोर्टर्स की सबसे बड़ी चिंता ईरान में फंसे उनके चावल के पैसे और पोर्ट लैंड पर खड़े उनके चावल कंटेनर को लेकर है, क्योंकि ईरान में एक्सपोर्ट होने वाले चावल का कोई इंश्योरेंस नहीं होता, जिस कारण अब एक्सपोर्टर्स को करोड़ों रुपए के चावल खराब होने का डर सता रहा है। दूसरी ओर ईरान जाने वाले चावल के एक्सपोर्ट के लिए परमिट सिर्फ चार महीने के लिए बनता है, जिसमें तय समय सीमा के अंदर एक्सपोर्टर्स को चावल की डिलीवरी देनी होती है। यदि तय समय पर चावल नहीं पहुंचता तो परमिट कैंसिल हो जाता है। इससे एक्सपोर्टर्स को नुकसान होता है। हाल ही में जारी क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया, इजरायल और ईरान के साथ भारत का सीधा व्यापार कुल व्यापार का 1 प्रतिशत से भी कम है। ईरान को भारत का मुख्य एक्सपोर्ट बासमती चावल है, इजरायल के साथ व्यापार अधिक विविधतापूर्ण है और इसमें उर्वरक, हीरे और बिजली के उपकरण शामिल हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि वित्त वर्ष 2025 में भारत के बासमती चावल एक्सपोर्ट में ईरान और इजरायल का योगदान लगभग 14 प्रतिशत है। 

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इजरायल-ईरान संघर्ष से देश के चावल एक्सपोर्टर्स को नुकसान, एक्सपोर्ट रुका

 इजरायल-ईरान संघर्ष का देश के चावल एक्सपोर्ट पर काफी असर पड़ा है और ईरान जाने वाले चावल की शिपमेंट करीब रुक गई है। चावल एक्सपोर्टर्स ने यह जानकारी दी। चावल एक्सपोर्टक नरेंद्र मिगलानी ने कहा, ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध का असर भारत के चावल एक्सपोर्टर्स पर पड़ा है। संघर्ष के कारण ईरान के रास्ते जाने वाले चावल का एक्सपोर्ट बंद हो गया है, जिससे हरियाणा, पंजाब, दिल्ली व यूपी से एक्सपोर्ट होने वाला करीब 1 लाख मीट्रिक टन चावल बंदरगाहों पर ही रुक गया है। उन्होंने आगे कहा, भारत, ईरान को सबसे ज्यादा बासमती चावल का एक्सपोर्ट करता है। उसके बाद सऊदी अरब और तीसरे नंबर पर इराक को चावल एक्सपोर्ट करता है। मिगलानी ने आगे बताया, युद्ध के कारण एक्सपोर्ट होने वाले चावल की कीमतों में करीब 1200 प्रति क्विंटल की गिरावट आ गई है। एक्सपोर्टर्स की सबसे बड़ी चिंता ईरान में फंसे उनके चावल के पैसे और पोर्ट लैंड पर खड़े उनके चावल कंटेनर को लेकर है, क्योंकि ईरान में एक्सपोर्ट होने वाले चावल का कोई इंश्योरेंस नहीं होता, जिस कारण अब एक्सपोर्टर्स को करोड़ों रुपए के चावल खराब होने का डर सता रहा है। दूसरी ओर ईरान जाने वाले चावल के एक्सपोर्ट के लिए परमिट सिर्फ चार महीने के लिए बनता है, जिसमें तय समय सीमा के अंदर एक्सपोर्टर्स को चावल की डिलीवरी देनी होती है। यदि तय समय पर चावल नहीं पहुंचता तो परमिट कैंसिल हो जाता है। इससे एक्सपोर्टर्स को नुकसान होता है। हाल ही में जारी क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया, इजरायल और ईरान के साथ भारत का सीधा व्यापार कुल व्यापार का 1 प्रतिशत से भी कम है। ईरान को भारत का मुख्य एक्सपोर्ट बासमती चावल है, इजरायल के साथ व्यापार अधिक विविधतापूर्ण है और इसमें उर्वरक, हीरे और बिजली के उपकरण शामिल हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि वित्त वर्ष 2025 में भारत के बासमती चावल एक्सपोर्ट में ईरान और इजरायल का योगदान लगभग 14 प्रतिशत है। 


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