एसबीआई रिसर्च ने आज कहा कि रुपया भले ही 90 के मनोवैज्ञानिक लेवल को पार कर गया हो लेकिन रुपये को कमजोर नहीं माना जाना चाहिए। एसबीआई की ईकोरैप रिपोर्ट के अनुसार रुपये में गिरावट का बड़ा कारण यूएस-इंडिया ट्रेड डील में हो रही देरी, विदेशी पूंजी का आउटफ्लो और आरबीआई द्वारा ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करने की नीति भी है। रिपोर्ट में कहा गया, अप्रैल-अक्टूबर में कुल गुड्स एंड सर्विसेस व्यापार घाटा 78 बिलियन डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के 70 बिलियन डॉलर की तुलना में थोड़ा अधिक है। 2 अप्रेल 2025 (ट्रंप टैरिफ की घोषणा) के दिन से डॉलर के मुकाबले रुपया 5.5 परसेंट गिरा है। जो ज्यादातर प्रमुख देशों की मुद्राओं के मुकाबले सबसे ज्यादा गिरावट है। फिर भी यह सबसे अधिक अस्थिर नहीं है। 02 अप्रैल 25 से रुपया सबसे कम अस्थिर मुद्राओं में से एक है (1.7 परसेंट)।