मुंबई के इनकम टैक्स अपीलैट ट्रिब्यूनल ने एक बड़े फैसले में पत्रकार राणा अय्यूब शेख द्वारा दायर की गई अपील को खारिज करते हुए 1.23 करोड़ से अधिक की राशि को टैक्स योग्य घोषित कर दिया। ट्रिब्यूनल ने पाया कि केट्टो क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म के जरिए कोविड-19 चैरिटी के नाम पर जमा किए चंदे को खुद इस्तेमाल कर लिया। 2 मई 2025 को आईटीएटी के उपाध्यक्ष शक्ति जीत डे और लेखा सदस्य नरेंद्र कुमार बिलैया की पीठ ने कहा, जमा चंदा अलग खाते के बजाय राणा अय्यूब और उनके परिवार के सदस्यों के सेविंग्स खातों में जमा किया गया। जिसे इस्तेमाल पर्सनल यूज और एफडी में लगाया गया। चैरिटी के लिए चंदे से जुटाए गए इस फंड का बड़ा हिस्सा आज भी बिना उपयोग के पड़ा है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि यह दावा कि चंदे का उपयोग चैरिटेबल गतिविधियों में किया गया, सिद्ध नहीं हो सका। लेकिन यह तय माना जाएगा कि चंदा निजी खातों में जमा किया गया। उपलब्ध तथ्यों के आधार पर यह ट्रिब्यूनल ने निर्णय लिया कि यह डोनेशन आयकर अधिनियम की धारा 56(2)(X) के तहत टैक्सेबल। ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि निजी खातों में जमा करने के अलावा राणा अय्यूब ने चंदे का कोई अलग रिकॉर्ड भी नहीं रखा। चूंकि बिना खर्च हुए इस फंड को लौटाने की कोई शर्त नहीं थी और राणा अय्यूब ने अपनी की इच्छा से इसे खर्च किया इसलिए इसे कर योग्य माना गया। हालांकि राणा अय्यूब ने पहले केंपेन में 1.23 करोड़ रुपये का चंदा जमा करने की बात कही थी। लेकिन ट्रिब्यूनल ने देखा कि कुल 2.40 करोड़ का कोई इस्तेमाल ही नहीं हुआ। यह अंतर इस कारण से उत्पन्न हुआ क्योंकि राणा अय्यूब ने चंदा और व्यक्तिगत फंड के लिए अलग खाते नहीं बनाए थे। आदेश में उल्लेख किया गया कि 1.23 करोड़ की डोनेशन के बावजूद, राणा अय्यूब 18 लाख के राहत खर्च का ही रिकॉर्ड प्रस्तुत कर सकीं। एक वर्ष बाद भी अधिकांश राशि का उपयोग नहीं किया गया था। जब बचे हुए फंड के बारे में पूछा गया, तो राणा अय्यूब ने कहा कि इसे अस्पताल बनाने के लिए रखा गया है जबकि क्राउडफंडिंग केंपेन में उन्होंने कोविड की बात कही थी अस्पताल बनाने की नहीं। साथ ही उन्होंने बिना एफसीआरए रजिस्ट्रेशन के विदेश से चंदा जमा किया।