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03-12-2025

सर्दियों में न करें आंखों की सेहत को नजरअंदाज

  •  सर्दियों का मौसम सिर्फ शरीर के लिए ही बचाव का समय नहीं होता है, बल्कि आंखों के लिए भी बहुत सेंसटिव समय होता है। सर्दियों में आंख में रुखेपन यानि ड्रायनैस की शिकायत बहुत बढ़ जाती है और इससे आंखों का विजन भी प्रभावित होता है। ऐसे में शरीर के साथ-साथ आंखों की देखभाल करना भी जरूरी होता है। आयुर्वेद में आंखों को शरीर की आंतरिक स्थिति का आईना माना गया है। शरीर में पित्त बढऩा, तनाव लेना, प्रदूषण, पूरी नींद न ले पाना, पाचन की कमजोरी, अत्यधिक सर्दी और गलत खानपान का सबसे पहला असर आंखों पर पड़ता है। इसलिए आंखों की देखभाल बहुत जरूरी है। त्रिफला का इस्तेमाल पेट से जुड़े कई रोगों में किया जाता है, लेकिन इसका जल आंखों के लिए अमृत है। आयुर्वेद में त्रिफला को नेत्र-औषधि माना गया है। इसके लिए रात के समय त्रिफला पाउडर को पानी में भिगो दें और सुबह उस पानी को छानकर हल्के हाथों से आंखों को धोएं। इससे आंखों का रुखापन कम होगा और खुजली से भी राहत मिलेगी। गाय का देसी घी भी आंखों की देखभाल के लिए जरूरी है। इसे रोजाना एक चम्मच खाने के साथ लगाना भी चाहिए। अगर आंखों में कचरा फंस जाता है या लालिमा हो गई है, तो देसी घी को काजल की तरह हल्का लगाना चाहिए। इससे आंखें तनाव मुक्त होंगी और फंसा कचरा भी बाहर आ जाएगा। इसके साथ ही रात के समय सोने से पहले तलवों की मालिश करें और कान के पीछे भी घी लगाएं। आंखों की ज्योति को बढ़ाने के लिए रोजाना खाली पेट आंवला का सेवन करें। इसके लिए आंवला चूर्ण को गर्म पानी में मिलाकर लें या फिर ताजा आंवला का रस लें। आंवला में भरपूर विटामिन सी होता है, जो बालों को मजबूती देने के साथ आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी कारगर है। इसके साथ ही 20 मिनट एक्सरसाइज भी आंखों के लिए लाभकारी है। इसके लिए हर 20 मिनट 20 सेकेंड के लिए 20 फीट की दूरी पर एक ही जगह पर लगातार देखें। इससे आंखों की थकान दूर होगी। इसके साथ ही स्क्रीन पर काम करते समय अपनी पलकों को झपकाना ना भूलें। कंप्यूटर पर काम करते-करते हम पलकें झपकाना भूल जाते हैं, जिसका सीधा असर आंखों पर पड़ता है। शुद्ध पलाश या गुलाब जल की बूंदें रोजाना आंखों में डालें। इससे प्रदूषण से होने वाली जलन और खुजली कम होती है।

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सर्दियों में न करें आंखों की सेहत को नजरअंदाज

 सर्दियों का मौसम सिर्फ शरीर के लिए ही बचाव का समय नहीं होता है, बल्कि आंखों के लिए भी बहुत सेंसटिव समय होता है। सर्दियों में आंख में रुखेपन यानि ड्रायनैस की शिकायत बहुत बढ़ जाती है और इससे आंखों का विजन भी प्रभावित होता है। ऐसे में शरीर के साथ-साथ आंखों की देखभाल करना भी जरूरी होता है। आयुर्वेद में आंखों को शरीर की आंतरिक स्थिति का आईना माना गया है। शरीर में पित्त बढऩा, तनाव लेना, प्रदूषण, पूरी नींद न ले पाना, पाचन की कमजोरी, अत्यधिक सर्दी और गलत खानपान का सबसे पहला असर आंखों पर पड़ता है। इसलिए आंखों की देखभाल बहुत जरूरी है। त्रिफला का इस्तेमाल पेट से जुड़े कई रोगों में किया जाता है, लेकिन इसका जल आंखों के लिए अमृत है। आयुर्वेद में त्रिफला को नेत्र-औषधि माना गया है। इसके लिए रात के समय त्रिफला पाउडर को पानी में भिगो दें और सुबह उस पानी को छानकर हल्के हाथों से आंखों को धोएं। इससे आंखों का रुखापन कम होगा और खुजली से भी राहत मिलेगी। गाय का देसी घी भी आंखों की देखभाल के लिए जरूरी है। इसे रोजाना एक चम्मच खाने के साथ लगाना भी चाहिए। अगर आंखों में कचरा फंस जाता है या लालिमा हो गई है, तो देसी घी को काजल की तरह हल्का लगाना चाहिए। इससे आंखें तनाव मुक्त होंगी और फंसा कचरा भी बाहर आ जाएगा। इसके साथ ही रात के समय सोने से पहले तलवों की मालिश करें और कान के पीछे भी घी लगाएं। आंखों की ज्योति को बढ़ाने के लिए रोजाना खाली पेट आंवला का सेवन करें। इसके लिए आंवला चूर्ण को गर्म पानी में मिलाकर लें या फिर ताजा आंवला का रस लें। आंवला में भरपूर विटामिन सी होता है, जो बालों को मजबूती देने के साथ आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी कारगर है। इसके साथ ही 20 मिनट एक्सरसाइज भी आंखों के लिए लाभकारी है। इसके लिए हर 20 मिनट 20 सेकेंड के लिए 20 फीट की दूरी पर एक ही जगह पर लगातार देखें। इससे आंखों की थकान दूर होगी। इसके साथ ही स्क्रीन पर काम करते समय अपनी पलकों को झपकाना ना भूलें। कंप्यूटर पर काम करते-करते हम पलकें झपकाना भूल जाते हैं, जिसका सीधा असर आंखों पर पड़ता है। शुद्ध पलाश या गुलाब जल की बूंदें रोजाना आंखों में डालें। इससे प्रदूषण से होने वाली जलन और खुजली कम होती है।


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