TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

06-08-2025

महिलाओं में क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन से कमजोरी और हृदय रोग का खतरा

  •  एक नए अध्ययन के अनुसार क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन महिलाओं में कमजोरी, सामाजिक असमानता और हृदय रोग (सीवीडी) के बढ़ते जोखिम से जुड़ी हो सकती है। यह अध्ययन कम्युनिकेशंस मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें 37 से 84 वर्ष की आयु की 2 हजार से अधिक महिलाओं के ब्लड सैंपल में 74 इन्फ्लेमेशन-संबंधी प्रोटीन का विश्लेषण किया गया। शोध में यह समझने की कोशिश की गई कि इन्फ्लेमेशन(सूजन) कैसे कमजोरी, सामाजिक रूप से वंचित क्षेत्रों में रहने और हृदय रोग के जोखिम से संबंधित है। शोधकर्ताओं ने 10 ऐसे प्रोटीन की पहचान की, जो कमजोरी और सामाजिक रूप से वंचित क्षेत्रों में रहने, दोनों से जुड़े हैं। इनमें से चार प्रोटीन (टीएनएफएसएफ14, एचजीएफ, सीडीसीपी1 और सीसीएल11, जो कोशिका संचार, वृद्धि और गति में शामिल हैं) हृदय रोग के बढ़ते जोखिम से भी संबंधित पाए गए। विशेष रूप से सीडीसीपी1 प्रोटीन का हृदय संबंधी समस्याओं (जैसे धमनियों का संकरा होना या अवरुद्ध होना) से गहरा संबंध पाया गया। शोधकर्ताओं ने इन परिणामों को एक अलग समूह की महिलाओं पर भी देखा, ताकि यह सुनिश्चित हो कि निष्कर्ष कई आबादी में लागू होते हैं। किंग्स कॉलेज लंदन के ट्विन रिसर्च एंड जेनेटिक एपिडेमियोलॉजी विभाग में रिसर्च एसोसिएट डॉ. यू लिन ने अध्ययन के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हमने ब्लड में कई इन्फ्लेमेशन-संबंधी प्रोटीन की जांच की, ताकि यह समझ सकें कि कमजोरी और सामाजिक असमानता हृदय रोग को कैसे प्रभावित करती हैं। इन प्रोटीन से हमें जोखिम कारकों के बीच एक साझा जैविक मार्ग का पता चला। हम सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी कमजोरियों से जुड़े बायोलॉजिकल मार्कर्स की पहचान करके, इन जोखिम कारकों के बीच एक संभावित साझा मार्ग का पता लगाने में सक्षम हुए। हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि सामाजिक तनाव इन्फ्लेमेशन को बढ़ावा दे सकता है, जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। ये प्रोटीन बायोमार्कर के रूप में भी काम कर सकते हैं, जिससे डॉक्टर हृदय रोग के जोखिम वाले लोगों की पहचान कर सकें।

Share
महिलाओं में क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन से कमजोरी और हृदय रोग का खतरा

 एक नए अध्ययन के अनुसार क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन महिलाओं में कमजोरी, सामाजिक असमानता और हृदय रोग (सीवीडी) के बढ़ते जोखिम से जुड़ी हो सकती है। यह अध्ययन कम्युनिकेशंस मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुआ है। इसमें 37 से 84 वर्ष की आयु की 2 हजार से अधिक महिलाओं के ब्लड सैंपल में 74 इन्फ्लेमेशन-संबंधी प्रोटीन का विश्लेषण किया गया। शोध में यह समझने की कोशिश की गई कि इन्फ्लेमेशन(सूजन) कैसे कमजोरी, सामाजिक रूप से वंचित क्षेत्रों में रहने और हृदय रोग के जोखिम से संबंधित है। शोधकर्ताओं ने 10 ऐसे प्रोटीन की पहचान की, जो कमजोरी और सामाजिक रूप से वंचित क्षेत्रों में रहने, दोनों से जुड़े हैं। इनमें से चार प्रोटीन (टीएनएफएसएफ14, एचजीएफ, सीडीसीपी1 और सीसीएल11, जो कोशिका संचार, वृद्धि और गति में शामिल हैं) हृदय रोग के बढ़ते जोखिम से भी संबंधित पाए गए। विशेष रूप से सीडीसीपी1 प्रोटीन का हृदय संबंधी समस्याओं (जैसे धमनियों का संकरा होना या अवरुद्ध होना) से गहरा संबंध पाया गया। शोधकर्ताओं ने इन परिणामों को एक अलग समूह की महिलाओं पर भी देखा, ताकि यह सुनिश्चित हो कि निष्कर्ष कई आबादी में लागू होते हैं। किंग्स कॉलेज लंदन के ट्विन रिसर्च एंड जेनेटिक एपिडेमियोलॉजी विभाग में रिसर्च एसोसिएट डॉ. यू लिन ने अध्ययन के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हमने ब्लड में कई इन्फ्लेमेशन-संबंधी प्रोटीन की जांच की, ताकि यह समझ सकें कि कमजोरी और सामाजिक असमानता हृदय रोग को कैसे प्रभावित करती हैं। इन प्रोटीन से हमें जोखिम कारकों के बीच एक साझा जैविक मार्ग का पता चला। हम सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी कमजोरियों से जुड़े बायोलॉजिकल मार्कर्स की पहचान करके, इन जोखिम कारकों के बीच एक संभावित साझा मार्ग का पता लगाने में सक्षम हुए। हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि सामाजिक तनाव इन्फ्लेमेशन को बढ़ावा दे सकता है, जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। ये प्रोटीन बायोमार्कर के रूप में भी काम कर सकते हैं, जिससे डॉक्टर हृदय रोग के जोखिम वाले लोगों की पहचान कर सकें।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news