हमारे परिसंचरण तंत्र यानि सर्कूलेटरी सिस्टम में धमनियां, नसें शामिल हैं। चिकित्सकों का कहना है कि हाइपरटेंशन और मधुमेह की वजह से इस तंत्र पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। नतीजतन संवहनी रोग यानि वैस्कुलर डिजीज के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। परिसंचरण तंत्र में धमनियां, नसें और कोशिकाएं शामिल हैं जो पूरे शरीर में रक्त पहुंंचाने का काम करती हैं। जब इन रक्त वाहिकाओं में गड़बड़ी होती है तो इससे परिधीय धमनी रोग (पेरिफेरल आर्टरी डिजीज),से लेकर शिरापरक स्थितियों और रक्त के थक्के जमने तक विभिन्न संवहनी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। विशेषज्ञों ने भारत में संवहनी रोगों के बढ़ते बोझ को दूर करने के लिए शीघ्र निदान, जीवनशैली में बदलाव और विशेष देखभाल पर जोर दिया है। पुणे के जुपिटर अस्पताल में वैस्कुलर सर्जरी के सलाहकार डॉ. श्रीकांत घनवत ने कहा है कि भारतीय आबादी में मधुमेह के तेजी से बढ़ते मामलोंं के कारण संवहनी रोग बढ़ रहे हैं। यह सीधे आपके संवहनी तंत्र को प्रभावित करता है। इसके पीछे प्रमुख रूप से उच्च रक्तचाप, धूम्रपान, किसी भी रूप में तंबाकू की लत और आनुवांशिक कारक जिम्मेदार हैं। विशेषज्ञ ने कहा कि यदि समय पर इसका उपचार न किया जाए तो पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज बड़े एंप्यूटेशन यानि शरीर के किसी एक हिस्से को काटने (अंग-विच्छेदन) का कारण बन सकते हैं और यह अत्यधिक चिंता का विषय है। भारत में लगभग 40-50 प्रतिशत अंग-विच्छेदन संवहनी रोग मधुमेह से उत्पन्न जटिलताओं के कारण होते हैं। प्रमुख इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट ने कहा कि परिधीय (पेरिफेरल) धमनी रोग में प्लाक के जमाव के कारण हृदय के बाहर धमनियों का सिकुडऩा शामिल है, जो इस्किमिया (हृदय या ब्रेन को पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं मिलता) का कारण बनता है। यह गंभीर मामलों में पैर में दर्द, ऐंठन और यहां तक कि गैंग्रीन का रूप भी ले सकता है। एक अन्य स्थिति गुर्दे का धमनी रोग है, जिसमें गुर्दे को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों का सिकुडऩा अक्सर गंभीर उच्च रक्तचाप का कारण बनता है। अब हम इन बीमारियों का इलाज करने के कुछ प्रभावी विकल्प हैं। इसे मामूली सर्जरी (रिकवरी में समय भी कम लगता है) से ट्रीट कर सकते हैं। हालांकि अक्सर वयस्कों से जुड़ी ये बीमारियां देश में बच्चों को भी काफी प्रभावित कर रही हैं, जिसके लिए शुरुआती निदान और विशेष देखभाल की आवश्यकता है। विशेषज्ञों ने कहा कि इसमें गुर्दे की धमनी का स्टेनोसिस शामिल है जो अक्सर एक जन्मजात स्थिति होती है जिसका यदि समय रहते उपचार न किया जाए तो गंभीर उच्च रक्तचाप और अन्य जटिलताओं का कारण बन सकती है। संवहनी रोग स्ट्रोक, दौरे, मानसिक विकलांगता, हृदयाघात और गुर्दे की विफलता का कारण भी बन सकते हैं, जिसके लिए डायलिसिस की आवश्यकता होती है। इन जोखिमों को कम करने और प्रभावित बच्चों में उचित वृद्धि और विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रारंभिक पहचान महत्वपूर्ण है।