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09-05-2025

अब ग्रॉसरी स्टोर्स पर भी मिलेगी Non-Prescription

  •  गले की खराश के लिये दवा, पेन रिलीवर, एंटी-फंगल क्रीम अब आपके पड़ौस की ग्रॉसरी की दुकान पर मिलेंगी। इन्हें नॉन पे्रस्क्रिप्शन ड्रग्स कहा जाता है। इसके लिये डॉक्टर के प्रेस्क्रिप्शन की जरूरत नहीं होती। द ड्रग्स टेक्नीकल एडवाइजरी बोर्ड(डीटीबीए) ने यह निर्णय लिया है कि कुछ दवाइयां को पे्रस्क्रिप्शन की जरूरत नहीं है और वे रिटेल आउटलैट्स पर बिकेंगी। इनमें एनेलजेसिक्स, एंटी-एलर्जिक, कफ सिरप, एंटी-फंगल प्रोडक्ट्स, एंटी-हिस्टामाइंस, लेक्सेटिव्ज, कुछ अस्थमेटिक ड्रग्स आदि शामिल हैं। इन रिटेल स्टोर्स को फार्मेसिस्ट की जरूरत तो नहीं होगी, लेकिन लाइसेंस लेना होगा, तभी वे इन दवाइयों को बेच पायेंगे। इन दवाइयों को ओटीसी यानि ओवर-द-काउंटर ड्रग्ज भी कहा जाता है। सरकार ने ओटीसी ड्रग्ज और प्रोडक्ट्स की लिस्ट फाइनल कर ली है। लम्बे समय से सरकार इस विषय पर काम कर रही है और अब शीघ्र ही फाइनल डिसीजन ले लिया जायेगा। कन्ज्यूमर्स को इससे यह रिलीफ मिलेगा कि वे किसी भी ग्रॉसरी शॉप से भी इन दवाइयों को खरीद पायेंगे। दूसरी ओर केमिस्ट इस बात से चिंतित हैं कि उनकी सेल्स कम हो जायेगी। ओटीसी ड्रग्स और फॉर्मूलेट के लिये नये रेगूलेशंस डिफाइन किये जायेंगे। एक बार रेगूलेशंस आने के बाद पब्लिक इस बात से अवेयर होगी कि वे कौन से ओटीसी ड्रग्स को बिना पे्रस्क्रिप्शन के खरीद सकती है। द ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट (एआईओसीडी) जो कि 1.24 मिलियन सदस्यों और इन्डियन फार्मास्टूटिकल एसोसिएशन के करीब 13,000 मेम्बर्स का प्रतिनिधित्व करती है, ने प्लान के विरोध में प्रदर्शन किया है। इस बारे में वर्षों पूर्व जब सरकार ने आइडिया दिया तो भी विरोध किया गया। हालांकि एक्सपर्ट्स ने ओटीसी ड्रग रेगूलेशंस की जरूरत बताई है क्योंकि यह ड्रग्स सुरक्षित हैं। यदि जिम्मेदार व्यक्ति इसे ले रहा है तो बताया गया डोज सुरक्षित है। अपोलो हॉस्पीटल में इंटरनल मेडिसन सीनियर कन्सल्टेंट ने कहा है कि ओटीसी ड्रक्स की आसान अवेलेबिलिटी लाभदायक है लेकिन केमिस्ट की दुकान पर क्वालीफाइड व्यक्ति दवा देता है। अमेरिका की बात करें तो वहां पर ग्रॉसरी शॉप पर पैरासीटामोल, एंटी-एलर्जिक टेबलेट आदि मिलती है। लेकिन हम भारत और अमेरिका को एक समान नहीं मान सकते क्योंकि वहां पर लोग ज्यादा शिक्षित हैं। यहां पर लोगों को दवाइयों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। वे केमिस्ट के द्वारा बताये गये डोज को लेने से भी नहीं हिचकते। ऐसे में ग्रॉसरी स्टोर पर तो कोई प्रशिक्षित व्यक्ति बताने वाला भी नहीं होगा।

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अब ग्रॉसरी स्टोर्स पर भी मिलेगी Non-Prescription

 गले की खराश के लिये दवा, पेन रिलीवर, एंटी-फंगल क्रीम अब आपके पड़ौस की ग्रॉसरी की दुकान पर मिलेंगी। इन्हें नॉन पे्रस्क्रिप्शन ड्रग्स कहा जाता है। इसके लिये डॉक्टर के प्रेस्क्रिप्शन की जरूरत नहीं होती। द ड्रग्स टेक्नीकल एडवाइजरी बोर्ड(डीटीबीए) ने यह निर्णय लिया है कि कुछ दवाइयां को पे्रस्क्रिप्शन की जरूरत नहीं है और वे रिटेल आउटलैट्स पर बिकेंगी। इनमें एनेलजेसिक्स, एंटी-एलर्जिक, कफ सिरप, एंटी-फंगल प्रोडक्ट्स, एंटी-हिस्टामाइंस, लेक्सेटिव्ज, कुछ अस्थमेटिक ड्रग्स आदि शामिल हैं। इन रिटेल स्टोर्स को फार्मेसिस्ट की जरूरत तो नहीं होगी, लेकिन लाइसेंस लेना होगा, तभी वे इन दवाइयों को बेच पायेंगे। इन दवाइयों को ओटीसी यानि ओवर-द-काउंटर ड्रग्ज भी कहा जाता है। सरकार ने ओटीसी ड्रग्ज और प्रोडक्ट्स की लिस्ट फाइनल कर ली है। लम्बे समय से सरकार इस विषय पर काम कर रही है और अब शीघ्र ही फाइनल डिसीजन ले लिया जायेगा। कन्ज्यूमर्स को इससे यह रिलीफ मिलेगा कि वे किसी भी ग्रॉसरी शॉप से भी इन दवाइयों को खरीद पायेंगे। दूसरी ओर केमिस्ट इस बात से चिंतित हैं कि उनकी सेल्स कम हो जायेगी। ओटीसी ड्रग्स और फॉर्मूलेट के लिये नये रेगूलेशंस डिफाइन किये जायेंगे। एक बार रेगूलेशंस आने के बाद पब्लिक इस बात से अवेयर होगी कि वे कौन से ओटीसी ड्रग्स को बिना पे्रस्क्रिप्शन के खरीद सकती है। द ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट (एआईओसीडी) जो कि 1.24 मिलियन सदस्यों और इन्डियन फार्मास्टूटिकल एसोसिएशन के करीब 13,000 मेम्बर्स का प्रतिनिधित्व करती है, ने प्लान के विरोध में प्रदर्शन किया है। इस बारे में वर्षों पूर्व जब सरकार ने आइडिया दिया तो भी विरोध किया गया। हालांकि एक्सपर्ट्स ने ओटीसी ड्रग रेगूलेशंस की जरूरत बताई है क्योंकि यह ड्रग्स सुरक्षित हैं। यदि जिम्मेदार व्यक्ति इसे ले रहा है तो बताया गया डोज सुरक्षित है। अपोलो हॉस्पीटल में इंटरनल मेडिसन सीनियर कन्सल्टेंट ने कहा है कि ओटीसी ड्रक्स की आसान अवेलेबिलिटी लाभदायक है लेकिन केमिस्ट की दुकान पर क्वालीफाइड व्यक्ति दवा देता है। अमेरिका की बात करें तो वहां पर ग्रॉसरी शॉप पर पैरासीटामोल, एंटी-एलर्जिक टेबलेट आदि मिलती है। लेकिन हम भारत और अमेरिका को एक समान नहीं मान सकते क्योंकि वहां पर लोग ज्यादा शिक्षित हैं। यहां पर लोगों को दवाइयों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। वे केमिस्ट के द्वारा बताये गये डोज को लेने से भी नहीं हिचकते। ऐसे में ग्रॉसरी स्टोर पर तो कोई प्रशिक्षित व्यक्ति बताने वाला भी नहीं होगा।


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