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10-12-2025

छोटी मसूर में शार्टेज की तेजी किंतु वर्तमान भाव पर मुनाफा लेते रहिए

  •  छोटी मसूर यूपी राजस्थान एवं बिहार में होती है, बीते सीजन में केवल 29-30 प्रतिशत ही फसल आई थी। यही कारण है कि उसमें नीचे के भाव से 30/35 रुपए प्रति किलो की तेजी आ गई है। इसके पीछे-पीछे मोटी मसूर भी तेज रही है। छोटी मसूर का उत्पादन मुख्य रूप से कोटा बूंदी बख्तियारपुर मुजफ्फरपुर चनपटिया लाइन में होता है। इस बार पूर्वी यूपी एवं बिहार के उत्पादक क्षेत्रों में सर्दी के मौसम में बरसात नहीं होने से उकठा नाम की बीमारी लग गई थी। यही कारण है कि यह इस बार मुश्किल से 29-30 प्रतिशत ही आयी है। छोटी मसूर का उत्पादन 6 लाख मीट्रिक टन के करीब होता है, जो इस बार 2-2.25 लाख मीट्रिक टन के करीब ही राजस्थान पूर्वी यूपी एवं बिहार को मिलाकर रह गया था। देश में मोटी मसूर की बिजाई ही अधिक हुई थी। दूसरी ओर कनाडा से भी मोटी मसूर लगातार उतर रही है, जो कम से कम 7 रुपए प्रति किलो नीचे बिक रही है। मोटी मसूर का उत्पादन 16 लाख मीट्रिक के करीब हुआ था, जबकि दोनों मसूर को मिलाकर घरेलू खपत 28-29 लाख मीट्रिक टन की है। यही कारण है की छोटी मसूर की उपलब्धि कम है। उधर बांग्लादेश नेपाल की रूक रूक कर लिवाली चल रही है, जिस कारण आने वाले समय में इसके भाव मोटी की अपेक्षा और अधिक ऊंचे हो सकते हैं। यानी छोटी मसूर में 10 किलो की इसी लाइन पर और तेजी लग रही है। मोटी मसूर का भी उत्पादन, खपत की तुलना में कम है तथा कनाडा से ऊंचे भाव बोलने लगे हैं। वहां चालू माह में 15-20 डॉलर प्रति टन की तेजी आ गई है। मसूर का घरेलू उत्पादन कम के साथ-साथ पाइपलाइन में पुराना माल नहीं होने से, चालू वर्ष का माल धीरे-धीरे शॉर्टेज में आ गया है। दूसरी ओर मुंदड़ा पोर्ट पर कनाडा की मसूर 50 रुपए प्रति कुंतल और बढ़ाकर बोलने लगे हैं। मसूर का उत्पादन भी कनाडा में इस बार कम होने की चर्चा है। दूसरी ओर पुराना स्टाक वहां भी कम बचा था। इधर मुंगावली, गंज बासौदा, सागर, बीनागंज, अशोकनगर, भोपाल आदि उत्पादक क्षेत्रों में गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 32-33 प्रतिशत का स्टॉक कम बताया जा रहा है। यही कारण है कि मंडियों में माल का स्टॉक कम बचा है, किसानी माल की आवक पिछले 4 महीने से नहीं हो  रही है। इधर दिल्ली सहित उत्तर भारत की दाल मिलों में माल कम आ रहा है। गत 10 दिन पहले जो नीचे में बिल्टी में मसूर 6800 रुपए बिकी थी, उसके भाव 6900 हो गए हैं। जबकि कनाडा की मसूर यहां 6150 से घटकर 6100 रुपए रह गई है, जबकि छोटी मसूर कच्चा माल  8800/9000 बूंदी लाइन की हो गई है। मलका एवं छांटी की मांग रैक वालों की निकलने लगी है। गौरतलब है कि एक रैक लोडिंग में नहीं है तथा चालू माह में गुवाहाटी एवं कोलकाता के लिए और रैक जाने के समाचार आ रहे हैं। दूसरी ओर घरेलू फसल फरवरी-मार्च में आएगी, उससे पहले कनाडा की मसूर अक्टूबर शिपमेंट की छिटपुट आ रही है, लेकिन इसकी बिजाई भी कम होने की बात आयातक बोल रहे हैं, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए जो छोटी 9000 रुपए बिक रही है, उसके भाव 9800 रुपए बन सकते हैं तथा मोटी बिल्टी में मसूर 6850 रुपए बिक रही है, वह चालू माह के अंतराल 7100 रुपए यहां बन सकती है।

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छोटी मसूर में शार्टेज की तेजी किंतु वर्तमान भाव पर मुनाफा लेते रहिए

 छोटी मसूर यूपी राजस्थान एवं बिहार में होती है, बीते सीजन में केवल 29-30 प्रतिशत ही फसल आई थी। यही कारण है कि उसमें नीचे के भाव से 30/35 रुपए प्रति किलो की तेजी आ गई है। इसके पीछे-पीछे मोटी मसूर भी तेज रही है। छोटी मसूर का उत्पादन मुख्य रूप से कोटा बूंदी बख्तियारपुर मुजफ्फरपुर चनपटिया लाइन में होता है। इस बार पूर्वी यूपी एवं बिहार के उत्पादक क्षेत्रों में सर्दी के मौसम में बरसात नहीं होने से उकठा नाम की बीमारी लग गई थी। यही कारण है कि यह इस बार मुश्किल से 29-30 प्रतिशत ही आयी है। छोटी मसूर का उत्पादन 6 लाख मीट्रिक टन के करीब होता है, जो इस बार 2-2.25 लाख मीट्रिक टन के करीब ही राजस्थान पूर्वी यूपी एवं बिहार को मिलाकर रह गया था। देश में मोटी मसूर की बिजाई ही अधिक हुई थी। दूसरी ओर कनाडा से भी मोटी मसूर लगातार उतर रही है, जो कम से कम 7 रुपए प्रति किलो नीचे बिक रही है। मोटी मसूर का उत्पादन 16 लाख मीट्रिक के करीब हुआ था, जबकि दोनों मसूर को मिलाकर घरेलू खपत 28-29 लाख मीट्रिक टन की है। यही कारण है की छोटी मसूर की उपलब्धि कम है। उधर बांग्लादेश नेपाल की रूक रूक कर लिवाली चल रही है, जिस कारण आने वाले समय में इसके भाव मोटी की अपेक्षा और अधिक ऊंचे हो सकते हैं। यानी छोटी मसूर में 10 किलो की इसी लाइन पर और तेजी लग रही है। मोटी मसूर का भी उत्पादन, खपत की तुलना में कम है तथा कनाडा से ऊंचे भाव बोलने लगे हैं। वहां चालू माह में 15-20 डॉलर प्रति टन की तेजी आ गई है। मसूर का घरेलू उत्पादन कम के साथ-साथ पाइपलाइन में पुराना माल नहीं होने से, चालू वर्ष का माल धीरे-धीरे शॉर्टेज में आ गया है। दूसरी ओर मुंदड़ा पोर्ट पर कनाडा की मसूर 50 रुपए प्रति कुंतल और बढ़ाकर बोलने लगे हैं। मसूर का उत्पादन भी कनाडा में इस बार कम होने की चर्चा है। दूसरी ओर पुराना स्टाक वहां भी कम बचा था। इधर मुंगावली, गंज बासौदा, सागर, बीनागंज, अशोकनगर, भोपाल आदि उत्पादक क्षेत्रों में गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 32-33 प्रतिशत का स्टॉक कम बताया जा रहा है। यही कारण है कि मंडियों में माल का स्टॉक कम बचा है, किसानी माल की आवक पिछले 4 महीने से नहीं हो  रही है। इधर दिल्ली सहित उत्तर भारत की दाल मिलों में माल कम आ रहा है। गत 10 दिन पहले जो नीचे में बिल्टी में मसूर 6800 रुपए बिकी थी, उसके भाव 6900 हो गए हैं। जबकि कनाडा की मसूर यहां 6150 से घटकर 6100 रुपए रह गई है, जबकि छोटी मसूर कच्चा माल  8800/9000 बूंदी लाइन की हो गई है। मलका एवं छांटी की मांग रैक वालों की निकलने लगी है। गौरतलब है कि एक रैक लोडिंग में नहीं है तथा चालू माह में गुवाहाटी एवं कोलकाता के लिए और रैक जाने के समाचार आ रहे हैं। दूसरी ओर घरेलू फसल फरवरी-मार्च में आएगी, उससे पहले कनाडा की मसूर अक्टूबर शिपमेंट की छिटपुट आ रही है, लेकिन इसकी बिजाई भी कम होने की बात आयातक बोल रहे हैं, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए जो छोटी 9000 रुपए बिक रही है, उसके भाव 9800 रुपए बन सकते हैं तथा मोटी बिल्टी में मसूर 6850 रुपए बिक रही है, वह चालू माह के अंतराल 7100 रुपए यहां बन सकती है।


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