सरकार द्वारा मटर में मंदे का दलदल के बाद एक माह पहले कनाडा से आने वाली मटर पर 30 प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया गया था, जिससे बंदरगाहों पर नीचे के भाव से 4/5 रुपए प्रति किलो बढक़र गये हैं। यहां बाजार में भी छनी या बिना छनी मटर चार-पांच रुपए प्रति किलो बढ़ गई है। आगे अभी और 4 रुपए और बढऩे के आसार बन गए हैं। मटर की बिजाई इस बार किसानों ने कम किया है तथा सब्जी वाली मटर की ही बिजाई अधिक हुई थी, लेकिन पिछले अक्टूबर में हुई बरसात के चलते बोई हुई मटर को यूपी एमपी में भारी नुकसान हुआ है। दूसरी ओर सरकार द्वारा 30 प्रतिशत आयात शुल्क एक नवंबर 2025 से लागू कर दिया है, इससे नए सौदे अब 38 रुपए किलो पोर्ट पर आकर पड़ेंगे। यही कारण है कि आज जो मटर यहां 35.5 रुपए बिक रही थी, उसके भाव 39 रुपए बोलने लगे। शाम को मटर में कुछ और बढ़ाकर मजबूत बोलने लगे हैं। घरेलू उत्पादन निरंतर घटता जा रहा है, क्योंकि सरकार द्वारा तीन वर्षों से भारी मात्रा में आयात करने की छूट दे दी गई थी, इसलिए भारतीय बंदरगाहों पर भारी मात्रा में अभी भी मटर डंप पड़ा है। इसके अलावा और भी माल लग चुके हैं, जिससे बाजारों में माल की प्रचुरता बनी रहेगी। यह बात जरूर है कि अब मिक्सिंग करने वालों को मटर थोड़ी महंगी पड़ रही है तथा रुपए के तुलना में डॉलर महंगा हो गया है। इसे देखकर स्टॉकिस्ट भी घटकर माल बेचने से पीछे हट गए हैं। दूसरी ओर स्टाकिस्ट खरीद करने लगे हैं। यही कारण है कि मटर में अभी इसी लाइन पर 4/5 रुपए प्रति किलो की और तेजी लग रही है। किसानों का मनोबल मटर की उत्पादन करने से टूट गए है। सरकार ने आयात शुल्क बढ़ाने का कदम पहले ही उठाना चाहिए था। हमने बार-बार आयात शुल्क लगाने की खबर प्रकाशित की थी तथा व्यापारियों के प्रतिनिधिमंडल द्वारा भी बार-बार इस पर आयात शुल्क लगाने की अपील की गई थी, सरकार द्वारा इसे बचाने हेतु क्रियान्वयन किया गया है।