छोटी मसूर दूसरे देशों से नहीं आती है, इसलिए इसकी शॉर्टेज होने पर कोई दूसरा माल नहीं मिल रहा है तथा सरपट तेजी का रुख बना हुआ है। इधर मोटी मसूर कनाडा की काफी नीचे बिक रही है। अत: शॉर्टेज के बावजूद भी इसमें धीरे-धीरे तेजी बनी हुई है आगे चलकर छोटी मसूर, मोटी की तुलना में 10 रुपए प्रति किलो ऊपर बिक सकती है। छोटी मसूर का उत्पादन मुख्य रूप से कोटा बूंदी एवं बिहार के बख्तियारपुर लाइन में होता है। यह इस बार मुश्किल से 36-37 प्रतिशत ही आयी है, बाकी देश में मोटी मसूर की बिजाई ही अधिक हुई थी। दूसरी ओर कनाडा से भी मोती मसूर लगातार उतर रही है, जो कम से कम 5 रुपए प्रति किलो नीचे बिक रही है। यही कारण है की छोटी मसूर की उपलब्धि कम है। उधर बांग्लादेश नेपाल की लिवाली चल रही है, जिस कारण आने वाले टाइम में इसके भाव मोटी की अपेक्षा 10 रुपए प्रति ऊंचे हो सकते हैं। मोटी मसूर का भी उत्पादन कम है तथा कनाडा से अब ऊंचे भाव बोलने लगे हैं। वहां पिछले सप्ताह ही में 20-25 डॉलर प्रति टन की तेजी गई। मसूर का घरेलू उत्पादन अधिक होने के बावजूद भी पाइपलाइन में पुराना माल नहीं होने से, चालू वर्ष का माल धीरे-धीरे शॉर्टेज में आने लगा है। दूसरी ओर मुंदड़ा पोर्ट पर कनाडा की मसूर 170/175 रुपए प्रति कुंतल बढ़ाकर बोलने लगे हैं। मसूर की बिजाई भी कनाडा में इस बार कम होने की खबरें आ रही हैं। दूसरी ओर पुराना स्टाक वहां भी कम बचने से वहां के निर्यातक घटाकर बिकवाल नहीं आ रहे हैं। इधर मुंगावली, गंज बासौदा, सागर, बीनागंज, अशोकनगर, भोपाल आदि उत्पादक क्षेत्रों में गत वर्ष की समान अवधि की तुलना में 31 प्रतिशत का स्टॉक कम बताया जा रहा है। यही कारण है कि मंडियों में माल का प्रेशर नहीं है, किसानी माल की आवक पिछले एक पखवाड़े से लगातार टूटती जा रही है। यही कारण है कि दिल्ली सहित उत्तर भारत की दाल मिलों में माल कम आ रहा है। गत 10 दिन पहले जो नीचे में बिल्टी में मसूर 6600 रुपए बिकी थी, उसके भाव 6900 हो गए हैं। कनाडा की मसूर भी यहां 6150 से बढक़र 6350 हो गई है, जबकि छोटी मसूर कच्चा माल 6800 से उछलकर 7500 बूंदी लाइन की हो गई है। मलका एवं छांटी की मांग रैक वालों की निकलने लगी है। गौरतलब है कि एक रैक लोडिंग में है तथा इस महीने के दूसरे पखवाड़े में गुवाहाटी एवं नेपाल के लिए और रैक जाने के समाचार आ रहे हैं। दूसरी ओर घरेलू फसल फरवरी-मार्च में आएगी, उससे पहले कनाडा की मसूर सितंबर-अक्टूबर में आएगी, लेकिन इसकी बिजाई भी कम होने की बात आयातक बोल रहे हैं, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए जो बिल्टी में मसूर 6900 रुपए बिक रही है, वह चालू माह के अंतराल 7500 रुपए एवं बूंदी लाइन की आगे चलकर 8500 रुपए प्रति क्विंटल बन सकती है। मसूर का उत्पादन इस बार 17-18 लाख मैट्रिक टन के बीच हुआ था, जबकि हमारी खपत 28 लाख मीट्रिक टन की है, शेष खपत हेतु आवश्यकता कनाडा ऑस्ट्रेलिया की मसूर से पूर्ति होती है।