चिरौंजी का उत्पादन मध्य प्रदेश के सभी उत्पादक क्षेत्रों में दूसरी साल भी 21-22 प्रतिशत अधिक आने का अनुमान लगाया जा रहा है। पुराना स्टॉक भी बचा है, इसे देखते हुए चिरौंजी में 100/150 रुपए प्रति किलो और घटने की संभावना बन गई है। आप सुधी पाठकों को समय-समय पर चिरौंजी की फसल अमरवाड़ा लाइन में आने लगी है। पिछले दिनों मौसम प्रतिकूल होने से थोड़ा फसल लेट हो गई थी, लेकिन गुठली की निकासी जंगलों में अब तेजी से होने लगी है?। अभी चिरौंजी में मंदे का रूख बनने से गुठली में कारोबारी थोड़ा-थोड़ा माल पकडऩे लगे, अब उसके चिरौंजी दाने की तुलना में नीचे आ गए हैं। चिरौंजी का उत्पादन यूपी एमपी झारखंड एवं उड़ीसा में होता है, जिसमें मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के अमरवाड़ा लाइन में 68-70 प्रतिशत सकल उत्पादन की उपलब्धि होती है। इस बार अमरवाड़ा लाइन में चिरौंजी के पेड़ों पर जबरदस्त गुठली लगी हुई हैं। हम मानते हैं कि अप्रैल में मौसम खराब जरूर हुआ था, लेकिन उस बरसात से गुठली को कोई नुकसान नहीं है, क्योंकि पेड़ों पर लगी हुई थी तथा उसमें दाने आ गये थे। अमरवाड़ा लाइन में चिरौंजी का उत्पादन 21-22 प्रतिशत अधिक होने का अनुमान लगाया जा रहा है। दूसरी ओर पुराना स्टाक चिरौंजी का इस बार कारोबारियों के गले में फंसा हुआ है। यही कारण है कि सीजन से लेकर अब तक तेजी नहीं बन पाई, बल्कि गत अप्रैल माह में सौ-डेढ़ सौ रुपए घट गए थे तथा गुठली की आवक बढऩे लगी है, जिस कारण 150/200 रुपए प्रति किलो चालू माह के अंतराल और घट सकते हैं। अमरवाड़ा लाइन में एवरेज माल 1500/1520 रुपए एवं बढिय़ा माल 1570 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। दिल्ली में 1600/1800 रुपए प्रति किलो के बीच चिरौंजी का व्यापार हो रहा है। जिस तरह अमरवाड़ा लाइन में पेड़ों पर गुठली लगी हुई है तथा गुठली के साइज भी इस बार चौतरफा प्रत्यक्षदर्शी अधिक बता रहे हैं, इसे देखते हुए जो माल वहां इस समय 1500 रुपए प्रति किलो नीचे में चल रहे हैं, उसके भाव नीचे में 1400 रुपए तक वहां बन सकते हैं तथा यहां भी जो चिरौंजी 1700 रुपए बिक रही है, वह 1500 रुपए तक अगले महीने नीचे में आ जाएगी। वास्तविकता यह है कि सभी कारोबारियों के पास चिरौंजी दाने का स्टॉक पड़ा हुआ है तथा 18 प्रतिशत दाल वाले माल यहां 1700 रुपए बोलने लगे हैं, आगे शादियों में खपत चल रही है, लेकिन त्योहारी खपत समाप्त हो गई है। अत: चिरौंजी में इस बार भी तेजी नहीं बन पाएगी। अभी प्रत्यक्ष दर्शियों का कहना है कि यदि चिरौंजी का उत्पादन ढाई लाख बोरी के करीब माना जाता है, वह इस बार 2.8 लाख बोरी तक पहुंच सकता है, इन सारी परिस्थितियों को देखते हुए अभी ठहरकर माल खरीदना चाहिए।