पिछले दिनों आई उल्लेखनीय तेजी के बाद जीरे के खरीददार अब पीछे हटने लगे हैं। चीन की मांग का अभी तक इंतजार हो रहा है। अत: आगामी दिनों में स्टॉकिस्टों को जीरे का व्यापार सावधानी के साथ करना चाहिए। ऊंझा में जीरे की आवक एक सीमित दायरे में हो रही है। पिछले कुछ दिनों से जीरे की आवक 35-45 हजार बोरियों के बीच घूम रही है। हालांकि इससे पूर्व ऊंझा में जीरे की आवक सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए 72-75 हजार बोरियों के स्तर पर पहुंच गई थी। इस बार गुजरात में जीरे की बिजाई वार्षिक आधार पर करीब 15 प्रतिशत घटकर 4,76,500 लाख हेक्टेयर में हुई है। गुजरात की मंडिय़ों में जीरे में व्यापारिक गतिविधियां भी सुधरने लगी हैं। ऊंझा में जीरे की कीमत भी हाल ही में 240-280 रुपए गिरकर फिलहाल 4720/4760 रुपए प्रति 20 किलोग्राम बीच बनी होने की जानकारी मिली। इससे पूर्व इसमें 180-500 रुपए का उछाल आया था। आमतौर पर चीन की तुलना में तुर्की में जीरे की कीमत ऊंची होती है। इधर, स्थानीय थोक किराना बाजार में हाल ही में आई तेजी के बाद स्टॉकिस्टों की लिवाली सुस्त ही बनी होने से जीरा सामान्य हाल ही में एक हजार रुपए मंदा होकर फिलहाल 24,500/25,500 रुपए प्रति क्विंटल पर बना हुआ है। इससे पूर्व इसमें 3000-3200 रुपए का उछाल आया था। इस उछाल का प्रमुख कारण यह था कि पिछले कुछ दिनों से ऊंझा में तुर्की और पाकिस्तान के आयात तेजी से खरीद रहे थे। बाजार में चल रही चर्चा के अनुसार इन देशों को 50-55 कंटेनर माल गया है। चीन की मांग का अभी इंतजार ही हो रहा है। भारत के अलावा विश्व में तुर्की और सीरिया को जीरे के अन्य उत्पादक देशों के रूप में जाना जाता है। अब अफगानिस्तान तथा ईरान भी चुनौती पेश करने लगे हैं। आमतौर पर तुर्की एवं सीरिया में संयुक्त रूप से करीब 35 हजार टन जीरे का उत्पादन होता है और इनकी क्वालिटी भारतीय जीरे की तुलना में हल्की होती है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के आरंभिक आठ यानी अप्रैल-दिसम्बर, 2024 में देश से 4909.76 करोड़ रुपए कीमत के 1,78,846.56 टन जीरे का निर्यात हुआ है। एक वर्ष पूर्व आलोच्य अवधि में इसकी 1,06,905.40 टन मात्रा का निर्यात हुआ था और इससे 4034.48 करोड़ रुपए की आय हुई थी। आगामी दिनों मे स्टॉकिस्टों और व्यापारियों को जीरे का सावधानी के साथ व्यापार करना चाहिए।