उत्तर भारत के प्लांटों में कच्चे दूध की आपूर्ति 25 लाख लीटर दैनिक बढ़ गई, लेकिन सर्दी का मौसम होने से बटर एवं देसी घी की खपत वृद्धि बनी रहने से पूर्ववत मजबूती लिए बाजार टिके रहे। दूध पाउडर में भी ठहराव दिखाई दे रहा है, लेकिन आगे बढ़ते उत्पादन को देखकर मंदे की धारणा बनने लगी है। पिछले महीने से उत्तर भारत में कच्चे दूध की आपूर्ति सवा करोड़ लीटर से बढक़र डेढ़ करोड़ लीटर दैनिक हो गई, जिससे उक्त अवधि के अंतराल प्लांटों में देसी घी का उत्पादन 900-920 मीट्रिक टन एवं दूध पाउडर का उत्पादन 1200-1250 मीट्रिक टन दैनिक हुआ। गौरतलब है कि देसी घी का उत्पादन बढऩे के बावजूद भी पहले के बिके बटर की डिलीवरी चलने से प्लांटों में देसी घी का स्टॉक ज्यादा सरप्लस नहीं हो पाया है, लेकिन लिक्विड दूध की आपूर्ति में जिस तरह एक सप्ताह के अंतराल वृद्धि हुई है, उसे देखते हुए अगले सप्ताह तक इसी तरह उत्पादन बढऩे पर देसी घी में 10-15 रुपए प्रति किलो की और गिरावट आ सकती है। वर्तमान में प्रीमियम क्वालिटी का देसी घी 8000/8250 रुपए प्रति टीन चल रहे हैं, जबकि सैंपल पास माल 7200/7500 रुपए के बीच बिक रहे हैं तथा मिलावटिये यही माल किसी भी भाव में बेच जाते हैं, क्योंकि उन्हें वनस्पति घी एवं कर्नेल तेल में एसेंस मिलाकर प्रसिद्ध ब्रांड का टीन केवल बदलना होता है। दूध पाउडर के भाव में भी मंदे की संभावना है, क्योंकि महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु के दूध पाउडर यहां आकर सस्ते बिक रहे हैं, जिस कारण उत्तर भारत की कंपनियां का दूध पाउडर कम बिक रहा है। उधर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी दूध पाउडर के भाव उक्त अवधि के अंतराल थोड़ा नरम रहे हैं, जिससे भारतीय बंदरगाहों से शिपमेंट कम हुआ। निर्यातक भी माल कम खरीद रहे हैं, इसे देखते हुए इसमें भी 10 रुपए प्रति किलो घटने के आसार बन गए हैं। फिलहाल प्रीमियम क्वालिटी का दूध पाउडर 290/295 रुपए तथा वेपाउडर एवं माल्टो डेक्सट्रिन वाले माल 210/220 रुपए किलो बिक रहे हैं। अत: वर्तमान भाव में जरूर का ही व्यापार करना चाहिए।