गत दिवाली से वर्तमान दिवाली के बीच देसी घी के व्यापार में कारोबारियों को नुकसान रहा। पूरा सीजन ऊंचे भाव में कारोबारियों ने माल खरीद लिया, जो ऑफ सीजन तक नहीं बढऩे से ब्याज भाड़ा की मार पड़ी। अगस्त के बाद से जीएसटी के साथ 500/600 रुपए प्रति टीन ऊंचे भाव में माल बेचना पड़ा, जबकि वास्तविक रूप में तेजी नहीं रही। उसमें ट्रेडर्स के पास माल नहीं था। जीएसटी की सख्ती होने एवं त्योहारी मांग से वर्तमान दिवाली पर ऊंचे भाव हो गए। इधर दूध पाउडर में गत वर्ष की अपेक्षा 10 रुपए की गिरावट दर्ज की गई। इसमें भी स्टॉकिस्टों को कोई विशेष लाभ नहीं हुआ, क्योंकि तमिलनाडु फेडरेशन एवं महाराष्ट्र के माल पूरे वर्ष 240/245 रुपए प्रति किलो के आसपास उत्तर भारत की मंडियों में आकर बिकने से 50 रुपए का भारी अंतर हो गया। उत्तर भारत के दूध पाउडर 290/295 रुपए प्रति किलो के आसपास 4 महीने रहे बाद में वर्तमान दिवाली के आसपास 295/305 रुपए हो गए। इस तरह पूरे वर्ष उत्तर भारत की पाउडर इंडस्ट्रीज परेशानी में रही। आलो से दिवाली के आसपास उत्तर भारत के प्लांटों में कच्चे दूध की आपूर्ति 97-98 लाख लीटर दैनिक हो गई, जो गत दिवाली से 15-16 लाख लीटर अधिक रही जिस कारण लिक्विड दूध के भाव भी 6 रुपए लीटर नीचे पर 54/55 रुपए लीटर बिक रहे हैं। इधर नवरात्रि में देसी घी की शॉर्टेज रही, उसके बाद दीपावली एवं छठ पूजा की चालनी मांग बढ़ गई है। गौरतलब है कि पिछले पखवाड़े 125/150 रुपए प्रति टीन देसी घी के भाव बढ़ गए थे, उसके बाद दूध पाउडर में दिवाली हेतु मिठाई निर्माताओं की चौतरफा मांग बढ़ गई क्योंकि मावा एवं छेने की मिठाइयों के लिए दूध पाउडर की खपत होती है, जिस कारण इसके भाव 10 रुपए बढक़र प्रीमियम क्वालिटी के 295/305 रुपए प्रति किलो हो गए। देसी घी के भाव पिछले सप्ताह प्रीमियम क्वालिटी के 8000/8450 रुपए प्रति टीन हो गए थे तथा इन भावों में लोकल एवं चालानी मांग बनी हुई है। हम मानते हैं कि मिलावटी देसी घी धड़ल्ले से बाजारों में बिक रहे हैं, लेकिन दिल्ली एनसीआर में, ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में कम मिलावटी माल बिक रहे हैं। यहां बड़े-बड़े मंदिरों मिलावटी देसी घी के प्रसाद बनने की अपुष्ट खबरें आ रही हैं। आगे दिवाली से अधिक खपत देशी घी की, छठ पूजा में होने वाली है, इसलिए दूर-दूर तक मंदा नहीं लग रहा है। अभी इन भावों में व्यापार करने में कोई रिस्क नहीं है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक दिल्ली एनसीआर में चालीस लाख पूर्वांचल वासियो की संख्या है, इसके अलावा दो-ढाई करोड़ लीटर पूर्वी क्षेत्र में उपभोक्ता पैक में देसी घी खपत होना है, इन परिस्थितियों को देखते हुए अभी किल्लत रहेगी। इस स्थिति में दिवाली तक भाव यहीं मेंटेन रहेंगे, लेकिन नवंबर से देसी घी एवं दूध पाउडर में फिर से मंदे के आसार बन रहे हैं तथा उक्त दोनों उत्पादों में 20 रुपए प्रति किलो की एक बार गिरावट आने की संभावना है, उसके बाद अगली दिवाली तक कोई विशेष बाजार घटने वाला नहीं है। देश में 18 करोड़ लीटर कच्चे दूध का उत्पादन अनुमान इस बार आ रहा है, जो गत वर्ष की अपेक्षा डेढ़ करोड़ लीटर अधिक है, इसलिए पीक सीजन में होली से पहले एक बार गिरावट रहेगी तथा उसके बाद देसी घी एवं दूध पाउडर के कारोबारियों को भरपूर लाभ मिलने की संभावना है। अधिकतर प्लांट चालू हो जाने से लिक्विड दूध की खरीद में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। यही कारण है कि कंपनियां 54/55 रुपए प्रति लीटर में एक रुपया अलग से सब्सिडी देकर खरीद कर रही हैं।