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06-12-2025

इतना गोल्ड लोन ले रहा कौन?

  •  अनसिक्यॉर्ड लोन से सैगमेंट में मचे भसड्ड के बीच गोल्ड लोन अचानक की स्टार बन गए। अक्टूबर 2025 में इस कैटेगरी में आउटस्टेंडिंग लोन साल-दर-साल 128.5 परसेंट बढक़र 3.38 लाख करोड़ पहुंच गया, जबकि मार्च 2025 के बाद से 7 महीनों में ही गोल्ड लोन सैगमेंट 63.6 परसेंट ग्रोथ के साथ रॉकेट हो चुका है। पिछले 12 महीनों में बैंकों की पर्सनल लोन बुक में हुई ग्रोथ में लगभग एक-चौथाई शेयर गोल्ड लोन का है। गोल्ड लोन में तूफानी ग्रोथ का एक बड़ा कारण गोल्ड प्राइस बढऩा भी है। पर्सनल लोन, जो पहले ही क्रेडिट ग्रोथ का इंजन माने जाते हैं, अक्टूबर 2025 के अंत तक 14 परसेंट बढक़र 64.56 लाख करोड़ हो गए। आरबीआई के लेटेस्ट सेक्टोरल डेटा के अनुसार, गोल्ड लोन में तेज उछाल का एक बड़ा कारण मई 2024 में किया गया रीक्लासिफिकेशन भी है। आरबीआई की गाइडलाइंस के अनुसार बैंकों ने ज्यूलरी के बदले दिए गए एग्री लोन को रिटेल गोल्ड-लोन कैटेगरी में शिफ्ट कर दिया था। पर्सनल लोन सैगमेंट में ग्रोथ ज्यादातर सिक्यॉर्ड लोन के कारण हो रही है। साथ में लगी टेबल के अनुसार हाउसिंग लोन 11 परसेंट बढक़र 31.87 लाख करोड़, ऑटो लोन 12.5 परसेंट ग्रोथ के साथ 6.77 लाख करोड़, वहीं एजुकेशन लोन 14.7 परसेंट की तेज ग्रोथ के साथ 1.49 लाख करोड़ हो गए। इसी अवधि में गोल्ड लोन कैटेगरी में 128.5 परसेंट की तूफानी ग्रोथ दर्ज की गई। हालांकि इसका बड़ा कारण फ्रेश अकाउंट के बजाय कैटेगरी में बदलाव माना जा रहा है। दूसरी ओर अनसिक्यॉर्ड रिटेल लोन की ग्रोथ सीमित रही। इस दौरान कंज्यूमर-ड्यूरेबल लोन में केवल 1 परसेंट की ग्रोथ दर्ज की गई जबकि क्रेडिट-कार्ड आउटस्टेंडिंग 7.7 परसेंट की ग्रोथ के साथ 3.03 लाख करोड़ रुपये के रहे वहीं पर्सनल लोन में  9.9 परसेंट की ग्रोथ दर्ज की गई। रिटेल डिमांड अब भी बैंक क्रेडिट को सपोर्ट कर रही है जो अक्टूबर 2025 में 11.3 परसेंट बढक़र 193.9 लाख करोड़ हो गया, जबकि मार्च से सात महीनों में इसमें 6.3 परसेंट की ग्रोथ हुई। नॉन-फूड क्रेडिट भी लगभग समान गति से बढक़र 193.2 लाख करोड़ तक पहुंच गया। रिटेल के इतर सर्विस सेक्टर क्रेडिट का प्रमुख ग्रोथ-ड्राइवर बना हुआ है। इस सैक्टर को दिया गया लोन 13 परसेंट बढक़र 53.45 लाख करोड़ हो गया। इसमें कंप्यूटर सॉफ्टवेयर 29.4 परसेंट, शिपिंग 28परसेंट, और कमर्शियल रियल एस्टेट 14.1 परसेंट की मजबूत ग्रोथ शामिल है। आरबीआई की सेक्टोरल रिपोर्ट के अनुसार एनबीएफसी को बैंकिंग सेक्टर का एक्सपोजर 10.9 परसेंट बढक़र 17.04 लाख करोड़ हो गया। इंडस्ट्री को दिया गया लोन 10 परसेंट बढक़र 41.93 लाख करोड़ हो गया। वहीं माइक्रो एंड स्मॉल यूनिट्स को क्रेडिट में 25.9 परसेंट, मीडियम एंटरप्राइजेज को 17.6 परसेंट, और बड़ी कंपनियों को क्रेडिट में केवल  4.6 परसेंट की ग्रोथ देखने को मिली। बड़ी कंपनियां बांड, इक्विटी और एक्सटर्नल कमर्शियल बोरोइंग (ईसीबी) से फंड जुटाने को प्राथमिकता दे रही हैं, जिससे बैंक क्रेडिट की मांग सीमित है। रिपोर्ट के अनुसार एग्रीकल्चर और इससे जुड़े हुए सैक्टर को दिया गया क्रेडिट 8.9 परसेंट बढक़र 24.03 लाख करोड़ रहा। प्राथमिकता क्षेत्र में ग्रीन एनर्जी में 52.1 परसेंट, प्राथमिकता हाउसिंग में 32.7 परसेंट, और माइक्रो व स्मॉल एंटरप्राइज को क्रेडिट में 25.8 परसेंट की ग्रोथ हुई।

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इतना गोल्ड लोन ले रहा कौन?

 अनसिक्यॉर्ड लोन से सैगमेंट में मचे भसड्ड के बीच गोल्ड लोन अचानक की स्टार बन गए। अक्टूबर 2025 में इस कैटेगरी में आउटस्टेंडिंग लोन साल-दर-साल 128.5 परसेंट बढक़र 3.38 लाख करोड़ पहुंच गया, जबकि मार्च 2025 के बाद से 7 महीनों में ही गोल्ड लोन सैगमेंट 63.6 परसेंट ग्रोथ के साथ रॉकेट हो चुका है। पिछले 12 महीनों में बैंकों की पर्सनल लोन बुक में हुई ग्रोथ में लगभग एक-चौथाई शेयर गोल्ड लोन का है। गोल्ड लोन में तूफानी ग्रोथ का एक बड़ा कारण गोल्ड प्राइस बढऩा भी है। पर्सनल लोन, जो पहले ही क्रेडिट ग्रोथ का इंजन माने जाते हैं, अक्टूबर 2025 के अंत तक 14 परसेंट बढक़र 64.56 लाख करोड़ हो गए। आरबीआई के लेटेस्ट सेक्टोरल डेटा के अनुसार, गोल्ड लोन में तेज उछाल का एक बड़ा कारण मई 2024 में किया गया रीक्लासिफिकेशन भी है। आरबीआई की गाइडलाइंस के अनुसार बैंकों ने ज्यूलरी के बदले दिए गए एग्री लोन को रिटेल गोल्ड-लोन कैटेगरी में शिफ्ट कर दिया था। पर्सनल लोन सैगमेंट में ग्रोथ ज्यादातर सिक्यॉर्ड लोन के कारण हो रही है। साथ में लगी टेबल के अनुसार हाउसिंग लोन 11 परसेंट बढक़र 31.87 लाख करोड़, ऑटो लोन 12.5 परसेंट ग्रोथ के साथ 6.77 लाख करोड़, वहीं एजुकेशन लोन 14.7 परसेंट की तेज ग्रोथ के साथ 1.49 लाख करोड़ हो गए। इसी अवधि में गोल्ड लोन कैटेगरी में 128.5 परसेंट की तूफानी ग्रोथ दर्ज की गई। हालांकि इसका बड़ा कारण फ्रेश अकाउंट के बजाय कैटेगरी में बदलाव माना जा रहा है। दूसरी ओर अनसिक्यॉर्ड रिटेल लोन की ग्रोथ सीमित रही। इस दौरान कंज्यूमर-ड्यूरेबल लोन में केवल 1 परसेंट की ग्रोथ दर्ज की गई जबकि क्रेडिट-कार्ड आउटस्टेंडिंग 7.7 परसेंट की ग्रोथ के साथ 3.03 लाख करोड़ रुपये के रहे वहीं पर्सनल लोन में  9.9 परसेंट की ग्रोथ दर्ज की गई। रिटेल डिमांड अब भी बैंक क्रेडिट को सपोर्ट कर रही है जो अक्टूबर 2025 में 11.3 परसेंट बढक़र 193.9 लाख करोड़ हो गया, जबकि मार्च से सात महीनों में इसमें 6.3 परसेंट की ग्रोथ हुई। नॉन-फूड क्रेडिट भी लगभग समान गति से बढक़र 193.2 लाख करोड़ तक पहुंच गया। रिटेल के इतर सर्विस सेक्टर क्रेडिट का प्रमुख ग्रोथ-ड्राइवर बना हुआ है। इस सैक्टर को दिया गया लोन 13 परसेंट बढक़र 53.45 लाख करोड़ हो गया। इसमें कंप्यूटर सॉफ्टवेयर 29.4 परसेंट, शिपिंग 28परसेंट, और कमर्शियल रियल एस्टेट 14.1 परसेंट की मजबूत ग्रोथ शामिल है। आरबीआई की सेक्टोरल रिपोर्ट के अनुसार एनबीएफसी को बैंकिंग सेक्टर का एक्सपोजर 10.9 परसेंट बढक़र 17.04 लाख करोड़ हो गया। इंडस्ट्री को दिया गया लोन 10 परसेंट बढक़र 41.93 लाख करोड़ हो गया। वहीं माइक्रो एंड स्मॉल यूनिट्स को क्रेडिट में 25.9 परसेंट, मीडियम एंटरप्राइजेज को 17.6 परसेंट, और बड़ी कंपनियों को क्रेडिट में केवल  4.6 परसेंट की ग्रोथ देखने को मिली। बड़ी कंपनियां बांड, इक्विटी और एक्सटर्नल कमर्शियल बोरोइंग (ईसीबी) से फंड जुटाने को प्राथमिकता दे रही हैं, जिससे बैंक क्रेडिट की मांग सीमित है। रिपोर्ट के अनुसार एग्रीकल्चर और इससे जुड़े हुए सैक्टर को दिया गया क्रेडिट 8.9 परसेंट बढक़र 24.03 लाख करोड़ रहा। प्राथमिकता क्षेत्र में ग्रीन एनर्जी में 52.1 परसेंट, प्राथमिकता हाउसिंग में 32.7 परसेंट, और माइक्रो व स्मॉल एंटरप्राइज को क्रेडिट में 25.8 परसेंट की ग्रोथ हुई।


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