सरकार और ऑटो इंक के बीच तनाव बढऩे के संकेत मिल रहे हैं। सरकार ने 2027 से कार्बन एमिशन में एक-तिहाई कटौती का प्रस्ताव रखा है। ऑटो इंक ने इस प्लान को बहुत आक्रामक बताते हुए इसे 13.7 बिलियन डॉलर के ऑटोमोबाइल सेक्टर की स्थिरता के लिए खतरनाक बताया है। चर्चा है कि चालू सप्ताह में ही ऑटो इंक की ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर नितिन गडकरी के साथ एक मीटिंग होनी है। भारत सरकार कैफे (कॉरपोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी) नॉम्र्स के तीसरे चरण के तहत ग्रीनहाउस गैस एमिशन घटाने में तेजी लाना चाहती है। यह नियम पहली बार 2017 में लागू हुए थे। लेकिन सियाम द्वारा मिनिस्ट्री ऑफ पावर को सौंपी गई एक रिपोर्ट के अनुसार यह टार्गेट बहुत ऊंचा है। सरकार का प्लान पुराने टार्गेट के मुकाबले एमिशन को दोगुनी स्पीड से घटाने का है। इंडस्ट्री की चिंता कैफे मानकों में चूक पर लगने वाला मोटा जुर्माना है। ऑटो इंक का कहना है कि दबाव बढ़ेगा तो फ्यूचर इंवेस्टमेंट डीरेल हो सकते हैं।
स्मॉल कार बिग कार: सरकार का प्लान स्मॉल कार के लिए अलग मानक तय करने का है। माना जा रहा है इससे मारुति सुजुकी, टाटा और ह्यूंदे जैसी कंपनियों को फायदा होगा। मारुति सीएनजी और हाइब्रिड तकनीक में बड़ा इंवेस्टमेंट कर रही है। लेकिन सियाम का कहना है कि यह क्लासिफिकेशन ठीक नहीं है इससे पॉलिसी स्टेबिलिटी को नुकसान पहुंचेगा और कुछ कंपनियों के हाथों में एडवांटेज आ जाएगा।
क्लीन फ्यूल: मारुति और टोयोटा की अगुवाई में एक लॉबी ईवी की तर्ज पर ही हाइब्रिड, एथेनॉल मिक्स्ड फ्यूल और एलपीजी-सीएनजी वेहीकल्स को भी इंसेंटिव स्कीम में शामिल करने की डिमांड कर रही है। फिलहाल केवल ईवी इंसेंटिव मिल रहे हैं लेकिन ऑटो इंक का मानना है कि भारत के हालात को देखते हुए मल्टी-फ्यूल टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने की जरूरत है। चर्चा है कि सरकार 2040 तक पेट्रोल और डीजल वेहीकल्स की सेल्स को बैन करने विचार कर रही है। इस प्रस्ताव का भी सियाम ने विरोध किया है। सियाम ने यूरोप का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां 2035 तक फ्यूल कार बैन करने के प्लान को रिव्यू किया जा रहा है, जबकि वहां ईवी चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर और ईवी अडॉप्शन की दर भारत से बेहतर है। सियाम ने एमिशन कटौती का टार्गेट को 33 से घटाकर 15 परसेंट करने का सुझाव दिया है। साथ ही ई20 (20 परसेंट एथेनॉल ब्लैंड फ्यूल) और सीएनजी वेहीकल्स के लिए एमिशन फॉर्मुला में 14.3 परसेंट कटौती करने का सुझाव दिया है। साथ ही कार्बन ट्रेडिंग सिस्टम बनाने की भी मांग की है।