इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार भारत ने वर्ष 2024 में क्लीन एनर्जी पर 100 बिलियन डॉलर का इंवेस्टमेंट किया जबकि चीन 627 बिलियन डॉलर के साथ दुनिया में अव्वल रहा। इस दौरान क्लीन एनर्जी पर अमेरिका ने 400 बिलियन डॉलर और यूरोपीय संघ ने 386 बिलियन डॉलर का इंवेस्टमेंट किया। रिपोर्ट के अनुसार भारत 2030 के लक्ष्य 50 परसेंट नॉन-फॉसिल एनर्जी कैपेसिटी के टार्गेट को समय से पहले हासिल कर लेगा। पिछले पांच वर्ष में भारत ने एनर्जी जेनरेशन कैपेसिटी में चीन और अमेरिका के बाद तीसरा सबसे बड़ा इजाफा किया है। वर्ष 2024 में भारत ने एनर्जी सैक्टर के कुल इंवेस्टमेंट का 83 परसेंट क्लीन एनर्जी पर किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 2024 में डवलपमेंट फाइनेंस के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता भी रहा और इसे क्लीन एनर्जी प्रॉजेक्ट्स के लिे लगभग 2.4 अरब डॉलर की प्रॉजेक्ट फंडिंग मिली। भारत की क्लीन एनर्जी जेनरेशन कैपेसिटी 44 परसेंट तक पहुंच गई, जो 2030 के 50 परसेंट के टार्गेट के बहुत करीब है। भारत में एनर्जी जेनरेशन (परमाणु को छोडक़र) और ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर में 100 परसेंट एफडीआई की अनुमति है।आईईए ने कहा है कि ऑफ-टेकर रिस्क (डिस्कॉम द्वारा समय पर भुगतान न कर पाना) एक बड़ा चैलेंज है। मार्च 2024 तक भारत की डिस्कॉम पर 9 बिलियन डॉलर से अधिक का बकाया था वहीं वर्ष 2023 में इनका कुल घाटा 75 बिलियन डॉलर था। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस तेजी से जेनरेशन कैपेसिटी बढ़ रही है उस तेजी से ट्रांसमिशन इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास नहीं हो पा रहा है। इसके चलते 60 गीगावॉट की क्लीन एनर्जी कैपेसिटी ऑनग्रिड नहीं हो पा रही है।