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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

23-06-2025

क्रेटा का क्लोन मिले तो ह्यूंदे की बात बने

  •  ग्लोबल दिग्गजों में टोयोटा और ह्यूंदे ऑटो इंक में सक्सैस स्टोरी है। ह्यूंदे के लिए तो हालात और भी मुश्किल थे क्योंकि देवू के दीवालिया होने से हिंदुस्तानी जेब जला चुके थे...भरोसा खो चुके थे। ह्यूंदे की सक्सैस स्टोरी इसलिए भी बड़ी है क्योंकि जापान, यूरोप और अमेरिका के दर्जनों दिग्गजों के लिए भारत किसी ग्रेवयार्ड (कब्रिस्तान) से कम नहीं है। और शुरूआत सभी की करीब-करीब साथ ही हुई थी। लेकिन ह्यूंदे अपनी इंडिया जर्नी में फेज-टू में पहुंच गई है। आईपीओ के जरिए लिस्ट होने के बाद अब यह मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स और महिन्द्रा एंड महिन्द्रा वाले क्लब में शामिल हो गई है। इन चारों टॉप कंपनियों का भारत के पीवी मार्केट में 80 परसेंट से ज्यादा शेयर है। चूंकि भारत के पास डेमोग्राफिक डिविडेंड और ग्रोथ का हेडरूम बहुत है ऐसे में देश बढ़ेगा तो ह्यूंदे भी बढ़ेगी।  पिछले साल भारत आए ह्यूंदे मोटर ग्रुप के एक्जेक्टिव चेयरमैन इउसुन चुंग ने कहा था ...भारत में अपनी  ब्रांड रेपुटेशन और और कंपीटिटिव क्वॉलिटी का फायदा उठाकर, हम पड़ोसी देशों को एक्सपोर्ट बढ़ाने का टार्गेट लेकर चल रहे हैं। भारत को एक ग्लोबल एक्सपोर्ट हब बनाने से रीजनल मार्केट्स में कंपनी को कंपीट करने में मदद मिलेगी। 23 सितंबर 1998 को सांत्रो के जरिए भारत के मार्केट में कदम रखने वाली ह्यूंदे की शुरुआत कोई तूफानी नहीं रही और कंपनी केवल 17627 गाडिय़ां ही बेच पाई थी। जबकि मारुति की सेल 3.85 लाख यूनिट्स की थी। पिछले वित्त वर्ष में ह्यूंदे की डॉमेस्टिक सेल्स जहां 5.98 लाख यूनिट्स थी वहीं मारुति की 17.95 लाख। हालांकि लंबे समय तक मारुति के बाद दूसरी बेस्ट सेलर बनी रहने के बाद ह्यूंदे के सामने देसी दिग्गज टाटा और महिन्द्रा ने तगड़ा चैलेंज पेश कर दिया है और दूसरे पायदान के लिए इन तीनों में ही क्लिफहैंगर (बहुत मामूली अंतर से नतीजा अटका रहना) के से हालात बने हुए हैं। वर्तमान में भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट है पीवी सेल्स 43 लाख यूनिट्स तक पहुंच चुकी है और अभी तो 148 करोड़ की आबादी वाले भारत में कार डेंसिटी मुश्किल से 30 ही है। क्रेटा चैरी ऑन द केक : हालांकि सांत्रो कंपनी के लिए कोई दो दशक तक ब्रेड एंड बटर बनी रही और इसकी 20 लाख से ज्यादा यूनिट्स बिक चुकी हैं। लेकिन चैरी ऑन द केक तो क्रेटा ही कही जाएगी। क्रेटा ने आते ही रेनो डस्टर जैसे अपने दौर के पावरब्रांड को धाराशायी कर दिया था। और साथ में लगी टेबल 4 से पता चलता है कि 10 साल पूरे कर लेने के बावजूद क्रेटा ह्यूंदे के लिए फ्लेगशिप मॉडल बनी हुई है। पिछले वित्त वर्ष में क्रेटा की 1.96 लाख यूनिट्स बिकीं। और सबसे बड़ी बात इससे ऊपर जो मारुति वैगन आर और टाटा पंच की प्राइस पोजिशनिंग ह्यूंदे क्रेटा के मुकाबले अमूमन आधी ही है। ह्यूंदे क्रेटा इन सालों में 12 लाख यूनिट्स के सेल्स लेवल को पार कर चुकी है।

    और लगातार भारत की बेस्ट सेलर मिडसाइज एसयूवी बनी हुई है। इस सैगमेंट में दूसरे पायदान पर महिन्द्रा स्कॉर्पियो (दोनों वेरिएंट) है जिसकी सेल्स वित्त वर्ष 25 में 1.64 लाख यूनिट्स थी। क्रेटा का कंपनी ने पिछले साल फेसलिफ्ट वर्जन लॉन्च किया था और हाल ही इसका इलेक्ट्रिक वर्जन भी मार्केट में आया है। वित्त वर्ष 2016 में आई क्रेटा ने 4 से 4.4 मीटर लंबाई वाले मिड-साइज एसयूवी सेगमेंट को मेनस्ट्रीम करने में बड़ी मदद की है। आज स्थिति यह है कि इस मिड-साइज एसयूवी सेगमेंट ने पिछले पांच वर्ष में पूरे एसयूवी सेगमेंट को पीछे छोड़ दिया है। प्राइस प्रीमियम : मार्केट रिसर्च फर्म जाटो डायनामिक्स इंडिया के प्रेसिडेंट रवि भाटिया कहते हैं भारत में मारुति सुजुकी क्लीयर नंबर है। लेकिन इंडिया का मार्केट एक पिरामिड की तरह है, जिसमें प्रति यूनिट औसत प्राइस 8.5 लाख है। मारुति की गाडिय़ों की प्र्रति यूनिट औसत प्राइस 8.27 लाख है, वहीं ह्यूंदे 11.55 लाख के साथ  दूसरे स्थान पर है। महिन्द्रा की प्रति यूनिट औसत प्राइस 15.42 लाख रुपये है। आज मिडसाइज एसयूवी सैगमेंट में ह्यूंदे का शेयर करीब 30 परसेंट है। हालांकि 2019 में ह्यूंदे का 68 परसेंट शेयर के साथ इस सैगमेंट में एकछत्र राज था। लेकिन पिछले वित्त वर्ष में यह सैगमेंट 4.86 लाख यूनिट्स तक पहुंच चुका है। इसमें मारुति ग्रांड विटारा 1.23 लाख यूनिट्स के साथ बड़ी प्लेयर बनकर उभरी है। लेकिन पिछले वित्त वर्ष में ग्रांड विटारा पर ह्यूंदे क्रेटा ने अपनी लीड बढ़ा ली है। कस्टमर पल्स : जाटो डायनामिक्स के प्रेसिडेंट और डायरेक्टर रवि भाटिया कहते है ह्यूंदे ने हमेशा उन  बायर्स की पल्स को सही तरह से पकड़ा है जो फीचर रिच कारों की ओर आकर्षित होते हैं। यही बात है जो ह्यूंदे को ग्लोबल ब्रांड्स के ग्रेवयार्ड में भी ना केवल जिंदा रखती है बल्कि आगे बढ़ाती है। लेकिन ह्यूंदे के इस फीचर रिच कस्टमर प्रॉफाइल को टाटा और महिन्द्रा ने क्रेक कर लिया है। ये दोनों देसी दिग्गज अब ह्यूंदे के लिए बड़े चैलेंजर बन चुके हैं। कंपनी दूसरे पायदान से बेदखल हो चुकी है। ऐसे में ह्यूंदे को अपनी पोजिशनिंग को रीडिफाइन करने की जरूरत है। भाटिया कहते हैं बाजार में सफलता आज की तारीख में इतनी आसानी से नहीं बदली जा सकती। भारत के ऑटोमेकर्स ने अपने प्रोडक्ट्स को बेहतर बनाया है और भारतीय कस्टमर की पसंद के अनुसार खुद को पूरी तरह से ढाल लिया है। जब तक आप बाजार के मिडल ऑफ द पिरामिड को टारगेट नहीं करते — यानी अच्छी वैल्यू के साथ बेहतर सर्विस नहीं देते — तब तक सफलता बेहद मुश्किल है और इस मामले में टाटा और महिन्द्रा ने अपने आपको बहुत इवॉल्व किया है। और इसीलिए ह्यूंदे को क्रेटा  वाले कामयाब क्लोन की जरूरत है।

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क्रेटा का क्लोन मिले तो ह्यूंदे की बात बने

 ग्लोबल दिग्गजों में टोयोटा और ह्यूंदे ऑटो इंक में सक्सैस स्टोरी है। ह्यूंदे के लिए तो हालात और भी मुश्किल थे क्योंकि देवू के दीवालिया होने से हिंदुस्तानी जेब जला चुके थे...भरोसा खो चुके थे। ह्यूंदे की सक्सैस स्टोरी इसलिए भी बड़ी है क्योंकि जापान, यूरोप और अमेरिका के दर्जनों दिग्गजों के लिए भारत किसी ग्रेवयार्ड (कब्रिस्तान) से कम नहीं है। और शुरूआत सभी की करीब-करीब साथ ही हुई थी। लेकिन ह्यूंदे अपनी इंडिया जर्नी में फेज-टू में पहुंच गई है। आईपीओ के जरिए लिस्ट होने के बाद अब यह मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स और महिन्द्रा एंड महिन्द्रा वाले क्लब में शामिल हो गई है। इन चारों टॉप कंपनियों का भारत के पीवी मार्केट में 80 परसेंट से ज्यादा शेयर है। चूंकि भारत के पास डेमोग्राफिक डिविडेंड और ग्रोथ का हेडरूम बहुत है ऐसे में देश बढ़ेगा तो ह्यूंदे भी बढ़ेगी।  पिछले साल भारत आए ह्यूंदे मोटर ग्रुप के एक्जेक्टिव चेयरमैन इउसुन चुंग ने कहा था ...भारत में अपनी  ब्रांड रेपुटेशन और और कंपीटिटिव क्वॉलिटी का फायदा उठाकर, हम पड़ोसी देशों को एक्सपोर्ट बढ़ाने का टार्गेट लेकर चल रहे हैं। भारत को एक ग्लोबल एक्सपोर्ट हब बनाने से रीजनल मार्केट्स में कंपनी को कंपीट करने में मदद मिलेगी। 23 सितंबर 1998 को सांत्रो के जरिए भारत के मार्केट में कदम रखने वाली ह्यूंदे की शुरुआत कोई तूफानी नहीं रही और कंपनी केवल 17627 गाडिय़ां ही बेच पाई थी। जबकि मारुति की सेल 3.85 लाख यूनिट्स की थी। पिछले वित्त वर्ष में ह्यूंदे की डॉमेस्टिक सेल्स जहां 5.98 लाख यूनिट्स थी वहीं मारुति की 17.95 लाख। हालांकि लंबे समय तक मारुति के बाद दूसरी बेस्ट सेलर बनी रहने के बाद ह्यूंदे के सामने देसी दिग्गज टाटा और महिन्द्रा ने तगड़ा चैलेंज पेश कर दिया है और दूसरे पायदान के लिए इन तीनों में ही क्लिफहैंगर (बहुत मामूली अंतर से नतीजा अटका रहना) के से हालात बने हुए हैं। वर्तमान में भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट है पीवी सेल्स 43 लाख यूनिट्स तक पहुंच चुकी है और अभी तो 148 करोड़ की आबादी वाले भारत में कार डेंसिटी मुश्किल से 30 ही है। क्रेटा चैरी ऑन द केक : हालांकि सांत्रो कंपनी के लिए कोई दो दशक तक ब्रेड एंड बटर बनी रही और इसकी 20 लाख से ज्यादा यूनिट्स बिक चुकी हैं। लेकिन चैरी ऑन द केक तो क्रेटा ही कही जाएगी। क्रेटा ने आते ही रेनो डस्टर जैसे अपने दौर के पावरब्रांड को धाराशायी कर दिया था। और साथ में लगी टेबल 4 से पता चलता है कि 10 साल पूरे कर लेने के बावजूद क्रेटा ह्यूंदे के लिए फ्लेगशिप मॉडल बनी हुई है। पिछले वित्त वर्ष में क्रेटा की 1.96 लाख यूनिट्स बिकीं। और सबसे बड़ी बात इससे ऊपर जो मारुति वैगन आर और टाटा पंच की प्राइस पोजिशनिंग ह्यूंदे क्रेटा के मुकाबले अमूमन आधी ही है। ह्यूंदे क्रेटा इन सालों में 12 लाख यूनिट्स के सेल्स लेवल को पार कर चुकी है।

और लगातार भारत की बेस्ट सेलर मिडसाइज एसयूवी बनी हुई है। इस सैगमेंट में दूसरे पायदान पर महिन्द्रा स्कॉर्पियो (दोनों वेरिएंट) है जिसकी सेल्स वित्त वर्ष 25 में 1.64 लाख यूनिट्स थी। क्रेटा का कंपनी ने पिछले साल फेसलिफ्ट वर्जन लॉन्च किया था और हाल ही इसका इलेक्ट्रिक वर्जन भी मार्केट में आया है। वित्त वर्ष 2016 में आई क्रेटा ने 4 से 4.4 मीटर लंबाई वाले मिड-साइज एसयूवी सेगमेंट को मेनस्ट्रीम करने में बड़ी मदद की है। आज स्थिति यह है कि इस मिड-साइज एसयूवी सेगमेंट ने पिछले पांच वर्ष में पूरे एसयूवी सेगमेंट को पीछे छोड़ दिया है। प्राइस प्रीमियम : मार्केट रिसर्च फर्म जाटो डायनामिक्स इंडिया के प्रेसिडेंट रवि भाटिया कहते हैं भारत में मारुति सुजुकी क्लीयर नंबर है। लेकिन इंडिया का मार्केट एक पिरामिड की तरह है, जिसमें प्रति यूनिट औसत प्राइस 8.5 लाख है। मारुति की गाडिय़ों की प्र्रति यूनिट औसत प्राइस 8.27 लाख है, वहीं ह्यूंदे 11.55 लाख के साथ  दूसरे स्थान पर है। महिन्द्रा की प्रति यूनिट औसत प्राइस 15.42 लाख रुपये है। आज मिडसाइज एसयूवी सैगमेंट में ह्यूंदे का शेयर करीब 30 परसेंट है। हालांकि 2019 में ह्यूंदे का 68 परसेंट शेयर के साथ इस सैगमेंट में एकछत्र राज था। लेकिन पिछले वित्त वर्ष में यह सैगमेंट 4.86 लाख यूनिट्स तक पहुंच चुका है। इसमें मारुति ग्रांड विटारा 1.23 लाख यूनिट्स के साथ बड़ी प्लेयर बनकर उभरी है। लेकिन पिछले वित्त वर्ष में ग्रांड विटारा पर ह्यूंदे क्रेटा ने अपनी लीड बढ़ा ली है। कस्टमर पल्स : जाटो डायनामिक्स के प्रेसिडेंट और डायरेक्टर रवि भाटिया कहते है ह्यूंदे ने हमेशा उन  बायर्स की पल्स को सही तरह से पकड़ा है जो फीचर रिच कारों की ओर आकर्षित होते हैं। यही बात है जो ह्यूंदे को ग्लोबल ब्रांड्स के ग्रेवयार्ड में भी ना केवल जिंदा रखती है बल्कि आगे बढ़ाती है। लेकिन ह्यूंदे के इस फीचर रिच कस्टमर प्रॉफाइल को टाटा और महिन्द्रा ने क्रेक कर लिया है। ये दोनों देसी दिग्गज अब ह्यूंदे के लिए बड़े चैलेंजर बन चुके हैं। कंपनी दूसरे पायदान से बेदखल हो चुकी है। ऐसे में ह्यूंदे को अपनी पोजिशनिंग को रीडिफाइन करने की जरूरत है। भाटिया कहते हैं बाजार में सफलता आज की तारीख में इतनी आसानी से नहीं बदली जा सकती। भारत के ऑटोमेकर्स ने अपने प्रोडक्ट्स को बेहतर बनाया है और भारतीय कस्टमर की पसंद के अनुसार खुद को पूरी तरह से ढाल लिया है। जब तक आप बाजार के मिडल ऑफ द पिरामिड को टारगेट नहीं करते — यानी अच्छी वैल्यू के साथ बेहतर सर्विस नहीं देते — तब तक सफलता बेहद मुश्किल है और इस मामले में टाटा और महिन्द्रा ने अपने आपको बहुत इवॉल्व किया है। और इसीलिए ह्यूंदे को क्रेटा  वाले कामयाब क्लोन की जरूरत है।


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