ओवल ऑफिस में कदम रखते ही डॉनाल्ड ट्रंप ने ग्लोबल ट्रेड के शांत पानी में पत्थर फेंक दिया है। इसकी इसकी तरंगों की जद में पूरी दुनिया आ चुकी है और ग्लोबल ट्रेड और जियोपॉलिटिक्स के नए-नए समीकरण बन रहे हैं। पिछले दिनों ट्रंप ने भारत को बड़ी राहत देते हुए कहा कि भारत के साथ ट्रेड टॉक अच्छी चल रही हैं। लेकिन सबसे बड़ा खेल साउथ कोरिया, चीन और जापान ने किया है। ये दोनों ही देश चीन से बॉर्डर पर भिड़े हुए हंै। और तीनों एक-दूसरे के खिलाफ अपनी जनता को उकसाते रहते हैं। लेकिन खबर है कि तीनों पड़ौसी देशों ने आपस में हाथ मिला लिए हैं। ट्रंप के आने का ही नतीजा है कि पांच वर्ष में इन्होंने पहली बार ट्रेड टॉक सम्मेलन बुलाया और इसका मकसद क्षेत्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाने की कोशिश करना था। ये तीनों की देश ट्रंप टैरिफ की फायरिंग लाइन में हैं क्योंकि इनका अमेरिका के साथ बहुत बड़ा ट्रेड सरप्लस है। बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया कि तीन व्यापार मंत्रियों ने रीजनल और ग्लोबल ट्रेड को बढ़ावा देने के लिए दक्षिण कोरिया-जापान-चीन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर हाईलेवल मीटिंग करने पर सहमति जताई है। दक्षिण कोरिया के ट्रेड मिनिस्टर अहन डुक-ग्यून ने कहा कि आरसैप समझौते को मजबूत करना आवश्यक है। तीनों ही देश आरसैप के सदस्य हैं। बुधवार 2 अप्रेल को ट्रंप टैरिफ बढ़ाने की घोषणा करने वाले हैं। ट्रंप 2 अप्रेल को लिबरेशन डे कह रहे हैं। इन तीनों देशों ने 2012 के बाद से ही तीन पक्षीय फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की बातचीत को आगे नहीं बढ़ाया था लेकिन अब इसे फास्ट्रेक किया जा रहा है। आरसैप जो 2022 में लागू हुआ 15 एशिया-प्रशांत देशों के बीच एक ट्रेड अरेंजमेंट है जिसका उद्देश्य व्यापार बाधाओं को कम करना है। भारत आरसैप का सदस्य नहीं है। ट्रम्प ने पिछले सप्ताह कार और ऑटो कंपोनेंट्स पर 25 परसेंट इंपोर्ट ड्यूटी लगाई है और ये तीनों ही देश अमेरिका को बड़ी मात्रा में ऑटो एक्सपोर्ट करते हैं। एस एंड पी के अनुसार अमेरिका को ऑटो एक्सपोर्ट के लिहाज से मेक्सिको के बाद साउथ कोरिया का नंबर आता है। इसके बाद जापान है। बाइडन प्रशासन ने चीनी कारों पर 100 परसेंट इंपोर्ट टैरिफ लगा दिया था जिसे ट्रंप ने और बढ़ा दिया है।