अमरीका के प्रेसीडेंट बनने के बाद से ही इंपोटर्स पर लगाए जाने वाले ऊंचे टैरिफ के कारण इंडिया डोनाल्ड ट्रंप के निशाने पर रहा है। 3 दिन पहले ही ट्रंप ने कहा था ‘India Is One Of The Highest Tariffing Nations In The World’ डाटा के लिहाज से ट्रंप के इस कथन का एनालिसिस करें तो यह एकदम सही है। इंडिया द्वारा इंपोटर्स पर लगाए जाने वाले ऊंचे टैरिफ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2007 से 2023 के बीच ग्लोबल लेवल पर एवरेज टैरिफ रेट 7.1% से घटकर 6.5% रही। इस दौरान अमरीका द्वारा लगाए जाने वाले एवरेज टैरिफ जहां 2.1% से लेकर 2.4% के बीच स्टेबल रहे वहीं यूरोपियन यूनियन (श्व) द्वारा लगाए जाने वाले एवरेज इंपोर्ट टैरिफ 3% से घटकर 2.7% रह गए। चीन के टैरिफ भी इस पीरियड में 5% से घटकर 3% रह गए। इनके विपरीत इंडिया द्वारा लगाए जाने वाले टैरिफ जहां वर्ष 2020 तक घटकर एवरेज 7% के लेवल पर आ गए थे पर कोविड के बाद इनमें एकाएक बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई व 2023 में यह एवरेज 12% के लेवल पर पहुंच गए। प्रोडक्ट केटेगरी के आधार पर देखें तो एग्रीकल्चर प्रोडक्ट सेगमेंट में इंडिया द्वारा करीब 75% प्रोडक्ट्स पर 25-50% की रेंज में इंपोर्ट टैरिफ लगाया जाता है जो ग्लोबल कंपीटिशन से किसानों के हितों की रक्षा करने की मंशा को इंडिकेट करता है। नॉन-एग्रीकल्चरल प्रोडक्ट केटेगरी की बात करें तो ऑस्ट्रेलिया, कनाडा व ब्रिटेन द्वारा इन प्रोडक्ट्स पर मिनिमम टैरिफ लगाया जाता है जबकि इंडिया द्वारा इस केटेगरी के 60% प्रोडक्ट्स पर 5-10% की रेंज में इंपोर्ट टैरिफ लगाया जाता है। 2023 में कई प्रोडक्ट्स पर इंडिया द्वारा लगाए जा रहे इंपोर्ट टैरिफ वल्र्ड में सर्वाधिक थे। इंडिया ऑयलसीड्स पर 60.1%, शुगर पर 51.5% व बेवरेजेज़ पर 74.5% का इंपोर्ट टैरिफ लगा रहा है जो इंडिकेट करता है कि इंडिया का फोकस अपनी डोमेस्टिक एग्रीकल्चर व फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज को सेफगार्ड करने पर है। चीन की बात करें तो वह शुगर पर 28.7%, बेवरेजेज़ पर 19.2% व सीरियल्स यानि अनाज के इंपोर्ट पर 20.2% इंपोर्ट टैरिफ लगाता है वहीं अमरीका के हाई-टैरिफ प्रोडक्ट्स में डेयरी प्रोडक्ट्स (16.8%), शुगर (12.2%) व बेवरेजेज़ (17.5%) शामिल हैं। डोनाल्ड ट्रंप की रेसीप्रोकल टैरिफ लगाने की चेतावनी इंडिया के इन्हीं हाई-टैरिफ के कारण है। ट्रंप चाहते हैं कि या तो इंडिया टैरिफ घटाए नहीं तो अमरीका भी विभिन्न प्रोडक्ट्स पर उतने ही इंपोर्ट टैरिफ लगाएगा जितने कि इंडिया द्वारा लगाए जाएंगे। दोनों ही मामलों में इंडिया की डोमेस्टिक इंडस्ट्री के सामने व्यापक चुनौतियां पैदा होंगी क्योंकि यदि इंडिया टैरिफ घटाता है तो इंडियन मार्केट में इंपोर्टेड प्रोडक्ट्स की बाढ़-सी आ सकती है वहीं इंडिया के टैरिफ नहीं घटाने की स्थिति में यदि अमरीका रेसीप्रोकल टैरिफ लगाता है तो इंडिया के एक्सपोटर््स बड़े लेवल पर हिट हो सकते हैं। ऐसे में इंडियन इंडस्ट्री को अब लो-टैरिफ वल्र्ड की सच्चाई को मानते हुए सरकारी सहायता पर डिपेंडेंट रहने की जगह अपनी Competitiveness को बढ़ाते हुए ग्लोबल मार्केट में मुकाबला करने के लिए तैयारी पर फोकस करना शुरू कर देना चाहिए।
