भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्र अगले दशक में लगभग तीन गुना बढक़र लगभग 120 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच सकता है। यह जानकारी एक नई रिपोर्ट में दी गई। ओमनीसाइंस कैपिटल की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह वृद्धि इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश, सरकारी सुधारों और उद्योग के औपचारिकीकरण से प्रेरित होगी। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद 2025 के 4.2 ट्रिलियन डॉलर से बढक़र 2035 तक 10 ट्रिलियन डॉलर हो जाने की उम्मीद है, जिसमें उद्योग और कृषि का योगदान 4 ट्रिलियन डॉलर होगा। लॉजिस्टिक्स लागत भारत के कृषि उद्योग के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 30 प्रतिशत है, इसलिए अनुमान है कि लॉजिस्टिक्स बाजार 2035 तक 1.2 ट्रिलियन डॉलर या लगभग 120 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा। ओम्निसाइंस कैपिटल के अध्यक्ष और मुख्य पोर्टफोलियो मैनेजर ने कहा कि यह क्षेत्र रिकॉर्ड सार्वजनिक व्यय और सुधारों के बल पर कई दशकों की उछाल के कगार पर है। उन्होंने कहा कि नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन, पीएम गति शक्ति और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति जैसी सरकारी पहल सीधे तौर पर इस क्षेत्र की अक्षमताओं को दूर करती हैं। उन्होंने आगे कहा कि डिजिटलीकरण और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) बड़े पैमाने पर खंडित लॉजिस्टिक्स उद्योग के औपचारिकीकरण को गति दे रहे हैं, रिपोर्ट के अनुसार, सरकार का इन्फ्रास्ट्रक्चर व्यय 2021 में सकल घरेलू उत्पाद के 2.1 प्रतिशत से बढक़र 2025 में 3.1 प्रतिशत हो गया है और 2030 तक इसके 5 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है। सडक़ों, रेलवे और समर्पित माल ढुलाई गलियारों में बड़े पैमाने पर निवेश के साथ-साथ भारत-मध्यपूर्व - यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) जैसी परियोजनाओं से लागत में कमी, ट्रांजिट के समय में कमी और वैश्विक व्यापार में भारत की भूमिका मजबूत होने की उम्मीद है। मेक इन इंडिया और उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजनाओं के तहत बढ़ते विनिर्माण उत्पादन से भी इस क्षेत्र के विकास को समर्थन मिलेगा। साथ ही, यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म, ई-वे बिल और आरएफआईडी-सक्षम ट्रैकिंग जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से डिजिटलीकरण ने दक्षता में सुधार किया है। जीएसटी 2.0 और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के तहत 2035 तक उद्योग का 60 प्रतिशत तक औपचारिकीकरण होने की उम्मीद है, जबकि वर्तमान में असंगठित आधार लगभग 80 प्रतिशत है।