TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

20-09-2025

फ्लेक्सी स्टाफिंग इंडस्ट्री रेवेन्यू लगभग 2,58,000 करोड़ तक पहुंचने की संभावना

  •  भारत के फ्लेक्सी वर्कफोर्स के फाइनेंशियल ईयर 2027 तक 12.6 प्रतिशत के सीएजीआर से बढक़र 91.6 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। भारतीय स्टाफिंग फेडरेशन (आईएसएफ) द्वारा संकलित आंकड़े इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि फ्लेक्सी स्टाफिंग इंडस्ट्री आने वाले वर्षों में औपचारिक रोजगार को आकार देने में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा, जिसे आर्थिक सुधार और विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ती मांग का समर्थन प्राप्त होगा। आईएसएफ की ‘इंडियन फ्लेक्सी स्टाफिंग इंडस्ट्री 2025- एम्प्लॉयमेंट ग्रोथ - सेक्टर एंड स्टेट एनालिसिस’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि फ्लेक्सी स्टाफिंग इंडस्ट्री का रेवेन्यू वित्त वर्ष 2027 तक लगभग 2,58,000 करोड़ रुपए (लगभग 24 अरब डॉलर) तक पहुंच जाएगा, जो 17.3 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। वित्त वर्ष 2026 तक इस बाजार के 2,20,000 करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। यह वृद्धि दर्शाती है कि कंपनियां आगे बने रहने, अनुपालन बोझ कम करने और स्किल्ड टैलेंट तक शीघ्रता से पहुंचने के लिए कॉन्ट्रैक्ट और अस्थायी कर्मचारियों पर अधिकाधिक निर्भर हो रही हैं। वर्तमान में, भारत फ्लेक्सी वर्कफोर्स साइज के मामले में ग्लोबल लेवल पर तीसरे स्थान पर है। वित्त वर्ष 2025 में देश का त्रिपक्षीय वर्कफोर्स 72 लाख तक पहुंच गया, जो कुल वर्कफोर्स का 1.3 प्रतिशत है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना मिलकर इस वर्कफोर्स का लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा हैं, जबकि कोयंबटूर, मैसूर, इंदौर, भोपाल और सूरत जैसे टीयर-2 और टीयर-3 शहर नियुक्ति के प्रमुख केंद्रों के रूप में उभर रहे हैं। सेक्टर-वाइज, लॉजिस्टिक्स, बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेस (बीएफएसआई) और मैन्युफैक्चरिंग मिलकर देश के फॉर्मल कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ के लगभग 38 प्रतिशत को रोजगार देते हैं। इस बीच, ई-कॉमर्स सेक्टर ने गत पांच वर्षों में फ्लेक्सी हायरिंग में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की है, जिसकी औसत वार्षिक वृद्धि लगभग 20 प्रतिशत है। फिनटेक भी एक मजबूत योगदानकर्ता के रूप में उभरा है। कुल मिलाकर, 80 प्रतिशत वर्कफोर्स आईटी, इंफ्रास्ट्रक्चर, रिटेल, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा सहित 12 प्रमुख क्षेत्रों से आता है। आईएसएफ के अध्यक्ष ने कहा कि फ्लेक्सी स्टाफिंग का बढऩा देश भर में औपचारिक रोजगार के बढ़ते स्वरूप का संकेत है। उन्होंने बताया कि टीयर-2 और टीयर-3 शहर अस्थायी कर्मचारियों को मान्यता प्राप्त रोजगार, उचित वेतन, वार्षिक प्रोत्साहन और स्वास्थ्य बीमा जैसे लाभ प्रदान कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इस रुझान को भारत के युवा वर्कफोर्स द्वारा भी आकार दिया जा रहा है। फ्लेक्सी नौकरियों की तलाश करने वालों में से लगभग 71 प्रतिशत 30 वर्ष से कम आयु के हैं, जबकि पिछले वित्त वर्ष में महिलाओं की भागीदारी 26 प्रतिशत थी।

Share
फ्लेक्सी स्टाफिंग इंडस्ट्री रेवेन्यू लगभग 2,58,000 करोड़ तक पहुंचने की संभावना

 भारत के फ्लेक्सी वर्कफोर्स के फाइनेंशियल ईयर 2027 तक 12.6 प्रतिशत के सीएजीआर से बढक़र 91.6 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई। भारतीय स्टाफिंग फेडरेशन (आईएसएफ) द्वारा संकलित आंकड़े इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि फ्लेक्सी स्टाफिंग इंडस्ट्री आने वाले वर्षों में औपचारिक रोजगार को आकार देने में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा, जिसे आर्थिक सुधार और विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ती मांग का समर्थन प्राप्त होगा। आईएसएफ की ‘इंडियन फ्लेक्सी स्टाफिंग इंडस्ट्री 2025- एम्प्लॉयमेंट ग्रोथ - सेक्टर एंड स्टेट एनालिसिस’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि फ्लेक्सी स्टाफिंग इंडस्ट्री का रेवेन्यू वित्त वर्ष 2027 तक लगभग 2,58,000 करोड़ रुपए (लगभग 24 अरब डॉलर) तक पहुंच जाएगा, जो 17.3 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। वित्त वर्ष 2026 तक इस बाजार के 2,20,000 करोड़ रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। यह वृद्धि दर्शाती है कि कंपनियां आगे बने रहने, अनुपालन बोझ कम करने और स्किल्ड टैलेंट तक शीघ्रता से पहुंचने के लिए कॉन्ट्रैक्ट और अस्थायी कर्मचारियों पर अधिकाधिक निर्भर हो रही हैं। वर्तमान में, भारत फ्लेक्सी वर्कफोर्स साइज के मामले में ग्लोबल लेवल पर तीसरे स्थान पर है। वित्त वर्ष 2025 में देश का त्रिपक्षीय वर्कफोर्स 72 लाख तक पहुंच गया, जो कुल वर्कफोर्स का 1.3 प्रतिशत है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना मिलकर इस वर्कफोर्स का लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा हैं, जबकि कोयंबटूर, मैसूर, इंदौर, भोपाल और सूरत जैसे टीयर-2 और टीयर-3 शहर नियुक्ति के प्रमुख केंद्रों के रूप में उभर रहे हैं। सेक्टर-वाइज, लॉजिस्टिक्स, बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेस (बीएफएसआई) और मैन्युफैक्चरिंग मिलकर देश के फॉर्मल कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ के लगभग 38 प्रतिशत को रोजगार देते हैं। इस बीच, ई-कॉमर्स सेक्टर ने गत पांच वर्षों में फ्लेक्सी हायरिंग में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की है, जिसकी औसत वार्षिक वृद्धि लगभग 20 प्रतिशत है। फिनटेक भी एक मजबूत योगदानकर्ता के रूप में उभरा है। कुल मिलाकर, 80 प्रतिशत वर्कफोर्स आईटी, इंफ्रास्ट्रक्चर, रिटेल, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा सहित 12 प्रमुख क्षेत्रों से आता है। आईएसएफ के अध्यक्ष ने कहा कि फ्लेक्सी स्टाफिंग का बढऩा देश भर में औपचारिक रोजगार के बढ़ते स्वरूप का संकेत है। उन्होंने बताया कि टीयर-2 और टीयर-3 शहर अस्थायी कर्मचारियों को मान्यता प्राप्त रोजगार, उचित वेतन, वार्षिक प्रोत्साहन और स्वास्थ्य बीमा जैसे लाभ प्रदान कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इस रुझान को भारत के युवा वर्कफोर्स द्वारा भी आकार दिया जा रहा है। फ्लेक्सी नौकरियों की तलाश करने वालों में से लगभग 71 प्रतिशत 30 वर्ष से कम आयु के हैं, जबकि पिछले वित्त वर्ष में महिलाओं की भागीदारी 26 प्रतिशत थी।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news