TOP

ई - पेपर Subscribe Now!

ePaper
Subscribe Now!

Download
Android Mobile App

Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

13-12-2025

बाजारों में रुपए की तंगी से लालमिर्च में टेंपरेरी मंदा

  •  गत वर्ष किसानों को लाल मिर्च में लाभ नहीं मिलने से बीते वर्ष बिजाई कम हुई थी तथा आने वाली फसल भी प्रतिकूल मौसम से काफी क्षेत्रों में गल गई है। लाल मिर्च की नई फसल आने में दो महीने का समय बाकी है, उससे पहले दक्षिण भारत की उत्पादक मंडियों में स्टॉक की कमी है, इसे देखते हुए जड़ में मंदा नहीं है। थोड़ा करेक्शन के बाद फिर बढ़ जाएगी। गत जुलाई अगस्त में  मिर्च की गुंटूर वारंगल दुखिराला सहित तेलंगाना राज्यों में बिजाई के बाद लगातार 15 दिन के अंतराल पर भारी बरसात होने से 37-38 प्रतिशत भूमि में पौधे नष्ट हो गए थे, तत्पश्चात् बाद के लगाए हुए वहां पौधे ही अनुकूल नहीं हुए तथा शत प्रतिशत अब  फली तैयार होने वाली है, लेकिन वह अपेक्षाकृत कम है। उत्तर भारत के किसानों को मिर्च में इस बार सीजन पर काफी नुकसान लगा है तथा उत्पादन व मिर्च की तुड़ाई की लागत महंगी हो जाने से अभी तक 27-28 प्रतिशत बिजाई कम हुई थी। इसके अलावा दक्षिण भारत में गुंटूर वारंगल ब्यादगी, कडप्पा लाइन में भी विगत दो वर्षों से लाल मिर्च के भाव नहीं मिलने से किसानों ने बिजाई कम किया है तथा उसकी बजाय मक्की पर ज्यादा रुझान बना हुआ था। इसकी पुरानी फसल फरवरी में आई थी तथा इस बार गुंटूर लाइन के सभी कोल्ड स्टोर में गत वर्ष की तुलना में स्टॉक कम है, डंडीदार तेजा हल्का एवं मीडियम माल का स्टॉक ज्यादा था, वह माल पंजाब हिमाचल एवं बिहार बंगाल में ज्यादा गया है, क्योंकि इंदौर लाइन की फसल इस बार पहले की अपेक्षा कम आई थी। यूपी के बरेली लाइन में भी स्टाक ज्यादा नहीं है। इस वजह से अब कोल्ड स्टोरों का माल धीरे-धीरे निकलने लगा है तथा कोई भी कारोबारी स्टॉक के प्रेशर में नहीं है। फिलहाल चालू सप्ताह में ग्राहकी कमजोर होने से जो लाल मिर्च तेजा डंडीदार यहां 175/180 रुपए प्रति किलो बिक रही थी, उसके भाव 165/170 रुपए प्रति किलो रह गए हैं तथा फुल कट माल ऊपर में 10 रुपए घटाकर 205/215 रुपए बोलने लगे हैं। गौरतलब है कि 2 वर्ष पहले फुल कट तेजा 350/360 रुपए तक ऊपर में बिक गया था।, इसमें 35 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। डंडीदार माल नीचे में 140/155 रुपए भी बिक रहे हैं, लेकिन उन मालों का स्टॉक अब ज्यादा नहीं है। आज की तारीख में बढिय़ा तेजा दंडीदार मगांने पर 170/175 रुपए आकर पड़ रहा है, जबकि वह माल यहां 160/165 रुपए बिक रहा है। यही कारण है कि वर्तमान भाव में बाजार कुछ दिन सुस्ती के बाद तेज लग रहा है। उधर हिमाचल में अधिक बरसात से पिछले दिनों तबाही हुई थी, अब वहां के कारोबारी माल खरीदने लगे हैं। आगे चालू महीने सर्दी के चलते चालानी मांग फिर बढऩे की संभावना है। गुंटूर लाइन के कोल्ड स्टोर में गत वर्ष की तुलना में स्टाक कम है तथा वारंगल दुग्गीराला ब्यादगी लाइन में भी माल ज्यादा नहीं है तथा वहां जो स्टाक में माल पड़ा है, उसके ऊंचे भाव बोल रहे हैं। उधर बिहार बंगाल झारखंड एवं मध्य प्रदेश में चुनाव के बाद चालानी मांग बढ़ गई है, वहां पर नीचे वाली क्वालिटी में अच्छी खपत रहती है, जो गुंटूर लाइन से सीधे माल जा रहा है। वहां के लिए डंडीदार हल्की क्वालिटी एवं 334 न. पाला माल ज्यादा लोड हो रहा है। इसके अलावा फटकी माल भी जा रहा है। यही कारण है कि वहां से पड़ते दिल्ली सहित उत्तर भारत की मंडियों के लिए महंगे लग रहे हैं। आने वाली फसल में अभी समय बाकी है।

Share
बाजारों में रुपए की तंगी से लालमिर्च में टेंपरेरी मंदा

 गत वर्ष किसानों को लाल मिर्च में लाभ नहीं मिलने से बीते वर्ष बिजाई कम हुई थी तथा आने वाली फसल भी प्रतिकूल मौसम से काफी क्षेत्रों में गल गई है। लाल मिर्च की नई फसल आने में दो महीने का समय बाकी है, उससे पहले दक्षिण भारत की उत्पादक मंडियों में स्टॉक की कमी है, इसे देखते हुए जड़ में मंदा नहीं है। थोड़ा करेक्शन के बाद फिर बढ़ जाएगी। गत जुलाई अगस्त में  मिर्च की गुंटूर वारंगल दुखिराला सहित तेलंगाना राज्यों में बिजाई के बाद लगातार 15 दिन के अंतराल पर भारी बरसात होने से 37-38 प्रतिशत भूमि में पौधे नष्ट हो गए थे, तत्पश्चात् बाद के लगाए हुए वहां पौधे ही अनुकूल नहीं हुए तथा शत प्रतिशत अब  फली तैयार होने वाली है, लेकिन वह अपेक्षाकृत कम है। उत्तर भारत के किसानों को मिर्च में इस बार सीजन पर काफी नुकसान लगा है तथा उत्पादन व मिर्च की तुड़ाई की लागत महंगी हो जाने से अभी तक 27-28 प्रतिशत बिजाई कम हुई थी। इसके अलावा दक्षिण भारत में गुंटूर वारंगल ब्यादगी, कडप्पा लाइन में भी विगत दो वर्षों से लाल मिर्च के भाव नहीं मिलने से किसानों ने बिजाई कम किया है तथा उसकी बजाय मक्की पर ज्यादा रुझान बना हुआ था। इसकी पुरानी फसल फरवरी में आई थी तथा इस बार गुंटूर लाइन के सभी कोल्ड स्टोर में गत वर्ष की तुलना में स्टॉक कम है, डंडीदार तेजा हल्का एवं मीडियम माल का स्टॉक ज्यादा था, वह माल पंजाब हिमाचल एवं बिहार बंगाल में ज्यादा गया है, क्योंकि इंदौर लाइन की फसल इस बार पहले की अपेक्षा कम आई थी। यूपी के बरेली लाइन में भी स्टाक ज्यादा नहीं है। इस वजह से अब कोल्ड स्टोरों का माल धीरे-धीरे निकलने लगा है तथा कोई भी कारोबारी स्टॉक के प्रेशर में नहीं है। फिलहाल चालू सप्ताह में ग्राहकी कमजोर होने से जो लाल मिर्च तेजा डंडीदार यहां 175/180 रुपए प्रति किलो बिक रही थी, उसके भाव 165/170 रुपए प्रति किलो रह गए हैं तथा फुल कट माल ऊपर में 10 रुपए घटाकर 205/215 रुपए बोलने लगे हैं। गौरतलब है कि 2 वर्ष पहले फुल कट तेजा 350/360 रुपए तक ऊपर में बिक गया था।, इसमें 35 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। डंडीदार माल नीचे में 140/155 रुपए भी बिक रहे हैं, लेकिन उन मालों का स्टॉक अब ज्यादा नहीं है। आज की तारीख में बढिय़ा तेजा दंडीदार मगांने पर 170/175 रुपए आकर पड़ रहा है, जबकि वह माल यहां 160/165 रुपए बिक रहा है। यही कारण है कि वर्तमान भाव में बाजार कुछ दिन सुस्ती के बाद तेज लग रहा है। उधर हिमाचल में अधिक बरसात से पिछले दिनों तबाही हुई थी, अब वहां के कारोबारी माल खरीदने लगे हैं। आगे चालू महीने सर्दी के चलते चालानी मांग फिर बढऩे की संभावना है। गुंटूर लाइन के कोल्ड स्टोर में गत वर्ष की तुलना में स्टाक कम है तथा वारंगल दुग्गीराला ब्यादगी लाइन में भी माल ज्यादा नहीं है तथा वहां जो स्टाक में माल पड़ा है, उसके ऊंचे भाव बोल रहे हैं। उधर बिहार बंगाल झारखंड एवं मध्य प्रदेश में चुनाव के बाद चालानी मांग बढ़ गई है, वहां पर नीचे वाली क्वालिटी में अच्छी खपत रहती है, जो गुंटूर लाइन से सीधे माल जा रहा है। वहां के लिए डंडीदार हल्की क्वालिटी एवं 334 न. पाला माल ज्यादा लोड हो रहा है। इसके अलावा फटकी माल भी जा रहा है। यही कारण है कि वहां से पड़ते दिल्ली सहित उत्तर भारत की मंडियों के लिए महंगे लग रहे हैं। आने वाली फसल में अभी समय बाकी है।


Label

PREMIUM

CONNECT WITH US

X
Login
X

Login

X

Click here to make payment and subscribe
X

Please subscribe to view this section.

X

Please become paid subscriber to read complete news