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Daily Business Newspaper | A Knowledge Powerhouse in Hindi

15-08-2025

जीरा : अभी सुस्ती जारी रहने की संभावना

  •  ऊंझा में पिछले कुछ समय से जीरे की आवक सीमित ही बनी हुई है। इसके बाद भी निर्यातकों की सक्रियता का अभाव बना होने से इसमें मंदी भी आती जा रही है। अत: आगामी दिनों में जीरे में सुस्ती बनी रह सकती है। उत्तरी गुजरात को छोडक़र राज्य के अन्य हिस्सों में चालू मानसून सीजन में अभी तक अच्छी वर्षा हुई है। कई क्षेत्रों में तो बाढ़ भी आने रिपोर्ट आ रही हैं। उधर, कीमत उम्मीद से नीची होने के कारण गुजरात के किसानों द्वारा हाल ही में अपनी जीरा फसल की बिक्री सीमित मात्रा में किए जाने के कारण ऊंझा मंड़ी में इस प्रमुख किराना जिंस की आवक सीमित ही बनी हुई है। यही वजह है कि अंतिम सूचना के समय ऊंझा में जीरे की करीब 6-8 हजार बोरियों की आवक होने की सूचनाएं आ रही हैं। नवीनतम आवक सामान्य की अपेक्षा काफी नीची है। नाममात्र की आवक के बाद भी विशेषकर निर्यातकों की लिवाली का अभाव बना हुआ है। इसी वजह से ऊंझा में जीरे की कीमत हाल ही में 40-100 रुपए मंदी होकर फिलहाल 3820/3900 रुपए प्रति 20 किलोग्राम बीच बनी होने की जानकारी मिली। इससे पूर्व हाल ही में इसमें 200-225 रुपए की गिरावट आई थी। जीरे में इस गिरावट का प्रमुख कारण यह है कि आवक तुलनात्मक रूप से नीची होने के बाद भी निर्यातकों की सक्रियता का अभाव बना हुआ है। आमतौर पर चीन की तुलना में तुर्की में जीरे की कीमत ऊंची होती है। इधर, स्थानीय थोक किराना बाजार में हाल ही में आई तेजी के बाद स्टॉकिस्टों की लिवाली सुस्त ही बनी होने से जीरा सामान्य हाल ही में 600 रुपए मंदा होकर फिलहाल 20,300/28,800 रुपए प्रति क्विंटल पर बना हुआ है। इससे पूर्व इसमें एक हजार रुपए का उछाल आया था। भारत के अलावा विश्व में तुर्की और सीरिया को जीरे के अन्य उत्पादक देशों के रूप में जाना जाता है। अब अफगानिस्तान तथा ईरान भी चुनौती पेश करने लगे हैं। आमतौर पर तुर्की एवं सीरिया में संयुक्त रूप से करीब 35 हजार टन जीरे का उत्पादन होता है और इनकी क्वालिटी भारतीय जीरे की तुलना में हल्की होती है। चीन में जीरे की नई फसल भी चल रही है और इस बार वहां इसका उत्पादन बढक़र 16 लाख टन के आसपास होने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है। तुर्की में नई फसल भी बाजारों में आ रही है। गृहयुद्ध के कारण सीरिया में इस बार उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित होने का अनुमान लगाया जा रहा है। चालू वित्त वर्ष 2025-26 के आरंभिक दो महीनों में देश से 1086.31 करोड़ रुपए कीमत के 45,142.95 टन जीरे का निर्यात हुआ है। एक वर्ष पूर्व आलोच्य अवधि में इसकी 61,448.59 टन मात्रा का निर्यात हुआ था और इससे 1608.79 करोड़ रुपए की आय हुई थी। आगामी दिनों में जीरे में सुस्ती बनी रह सकती है।

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जीरा : अभी सुस्ती जारी रहने की संभावना

 ऊंझा में पिछले कुछ समय से जीरे की आवक सीमित ही बनी हुई है। इसके बाद भी निर्यातकों की सक्रियता का अभाव बना होने से इसमें मंदी भी आती जा रही है। अत: आगामी दिनों में जीरे में सुस्ती बनी रह सकती है। उत्तरी गुजरात को छोडक़र राज्य के अन्य हिस्सों में चालू मानसून सीजन में अभी तक अच्छी वर्षा हुई है। कई क्षेत्रों में तो बाढ़ भी आने रिपोर्ट आ रही हैं। उधर, कीमत उम्मीद से नीची होने के कारण गुजरात के किसानों द्वारा हाल ही में अपनी जीरा फसल की बिक्री सीमित मात्रा में किए जाने के कारण ऊंझा मंड़ी में इस प्रमुख किराना जिंस की आवक सीमित ही बनी हुई है। यही वजह है कि अंतिम सूचना के समय ऊंझा में जीरे की करीब 6-8 हजार बोरियों की आवक होने की सूचनाएं आ रही हैं। नवीनतम आवक सामान्य की अपेक्षा काफी नीची है। नाममात्र की आवक के बाद भी विशेषकर निर्यातकों की लिवाली का अभाव बना हुआ है। इसी वजह से ऊंझा में जीरे की कीमत हाल ही में 40-100 रुपए मंदी होकर फिलहाल 3820/3900 रुपए प्रति 20 किलोग्राम बीच बनी होने की जानकारी मिली। इससे पूर्व हाल ही में इसमें 200-225 रुपए की गिरावट आई थी। जीरे में इस गिरावट का प्रमुख कारण यह है कि आवक तुलनात्मक रूप से नीची होने के बाद भी निर्यातकों की सक्रियता का अभाव बना हुआ है। आमतौर पर चीन की तुलना में तुर्की में जीरे की कीमत ऊंची होती है। इधर, स्थानीय थोक किराना बाजार में हाल ही में आई तेजी के बाद स्टॉकिस्टों की लिवाली सुस्त ही बनी होने से जीरा सामान्य हाल ही में 600 रुपए मंदा होकर फिलहाल 20,300/28,800 रुपए प्रति क्विंटल पर बना हुआ है। इससे पूर्व इसमें एक हजार रुपए का उछाल आया था। भारत के अलावा विश्व में तुर्की और सीरिया को जीरे के अन्य उत्पादक देशों के रूप में जाना जाता है। अब अफगानिस्तान तथा ईरान भी चुनौती पेश करने लगे हैं। आमतौर पर तुर्की एवं सीरिया में संयुक्त रूप से करीब 35 हजार टन जीरे का उत्पादन होता है और इनकी क्वालिटी भारतीय जीरे की तुलना में हल्की होती है। चीन में जीरे की नई फसल भी चल रही है और इस बार वहां इसका उत्पादन बढक़र 16 लाख टन के आसपास होने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है। तुर्की में नई फसल भी बाजारों में आ रही है। गृहयुद्ध के कारण सीरिया में इस बार उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित होने का अनुमान लगाया जा रहा है। चालू वित्त वर्ष 2025-26 के आरंभिक दो महीनों में देश से 1086.31 करोड़ रुपए कीमत के 45,142.95 टन जीरे का निर्यात हुआ है। एक वर्ष पूर्व आलोच्य अवधि में इसकी 61,448.59 टन मात्रा का निर्यात हुआ था और इससे 1608.79 करोड़ रुपए की आय हुई थी। आगामी दिनों में जीरे में सुस्ती बनी रह सकती है।


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