बाजरे की बिजाई उत्पादक क्षेत्रों में 60 प्रतिशत पूरी हो गई है, शेष 40 प्रतिशत अगले 15-20 दिन के अंतराल पूरी हो जाएगी। बाजारों में स्टॉक अनुकूल नहीं है, इसलिए अभी घटने की गुंजाइश नहीं है। बाजरे का उत्पादन मुख्य रूप से खरीफ सीजन में सितंबर अक्टूबर के माह में यूपी हरियाणा राजस्थान तीनों ही राज्यों में होता है। इसकी फसल 80 प्रतिशत खरीफ सीजन में आती है तथा 20 प्रतिशत रबी सीजन में आती है। इसका उत्पादन गत वर्ष 140 लाख मैट्रिक टन के करीब हुआ था, लेकिन पुराना स्टॉक पाइप लाइन में नहीं होने तथा लगातार खपत वाले उद्योगों की मांग के साथ-साथ 27 प्रतिशत खाद्यान्न में चले जाने से वर्तमान में स्टॉक ज्यादा नहीं है। दूसरी ओर राया हाथरस मथुरा आदि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में इस बार रबी सीजन की बिजाई कम हुई थी, जिसे जो खरीफ रबी सीजन के कुल उत्पादन में गर्मी वाली 20 प्रतिशत फसल आती थी, वह इस बार मुश्किल से पांच प्रतिशत आई है, वह ग्रीन माल सारा खाद्यान्न में चला गया है। इस वजह से माल की किसी भी मंडी में प्रेशर नहीं है तथा स्टॉक भी बहुत ज्यादा नहीं है, इन सब के बावजूद भी मक्की चौतरफा अधिक आने तथा 70 प्रतिशत हल्के माल आने से बाजरे की खपत घट गई है। नई फसल अब आने में खरीफ सीजन वाली 3 महीने का समय बाकी है, क्योंकि इसकी फसल अलग-अलग प्रजाति के अनुसार 80 से 84 दिनों में आती है, अभी तक इसकी बिजाई 60 प्रतिशत मेरठ सहारनपुर हापुड़ गुलावठी खुर्जा डांवर, हाथरस, जलेसर रोड, राया, मथुरा के साथ-साथ रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ लाइन में अधिक हुई है। उधर राजस्थान के शेखावाटी रिंगस खाटू दौसा डीडवाना नागौर लाइन में भी बिजाई अधिक हुई है, शेष 40 प्रतिशत बाजरा, जो प्रयागराज लाइन में बोया जाता है, वह अश्लेषा नक्षत्र में बोया जाता है, उसके लिए अभी 15 दिन का समय बाकी है। नई फसल सितंबर-अक्टूबर में आएगी, उससे पहले बाजरे का स्टाक खपत हेतु, किसी भी मंडी में ज्यादा नहीं है। यही कारण है कि ग्राहकी कमजोर के बावजूद 2400/2450 रुपए प्रति कुंतल के बीच मौली बरवाला पहुंच में बाजरे के भाव बोल रहे हैं। हम मानते हैं कि मक्की, हल्के भारी माल सस्ती बिकने से बाजरे का व्यापार भी बहुत कम रह गया है, इन सब के बावजूद भी घबराकर माल काटने की जरूरत नहीं है तथा नई फसल आने से पहले एक बार 100 रुपए प्रति कुंतल की बहुत बढ़ सकता है।